'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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‘सप्ताह में 90 घंटा काम करो…अपनी नहीं दूसरे की बीबी को निहारो’

चेयरमेन साब की ख़ुद की सैलरी 51 करोड़ है पिछले साल की. अपने कर्मचारियों, सॉरी मज़दूरों से 5434.57 गुना ज़्यादा. ज्ञात-अज्ञात कारणों से इनकी पत्नी इनकी सुदर्शन मुखाकृति एक दिन भी नहीं देखना चाहती तो इसकी खुन्नस यह सब पर निकाल रहे. अपनी पत्नी न निहारें, सन्डे को भी ऑफिस आएं और दूसरों की पत्नियां निहारें और लाइफ के लेंटर …

मोबाइल, सोशल मीडिया और रील्स

पिछले साल पटना के एक युवक का आइएएस में चयन हुआ तो पत्रकार लोग उसका इंटरव्यू लेने पहुंचे. एक ने पूछा कि आप मोबाइल पर क्या क्या देखते हैं ? तो जवाब मिला – ‘लगभग सब कुछ क्योंकि हर चीज आपको कुछ न कुछ सिखाती है.’ अचंभित पत्रकार ने पूछा – ‘क्या रील्स भी देखते हैं ?’ युवक ने जवाब …

साधु-महात्मा योगगुरुओं के रूप में ठगों का भरमार है, जो भारतीय फासीवाद का जबरदस्त समर्थक है

60 से 70 के दशक में भारतीय बाबा और गुरुओं के बाजार में सर्वप्रथम ‘महेश योगी’ एक बडे़ नाम के रूप में उभरे थे. यह वही समय था, जब पश्चिम जगत में ‘हिप्पी आंदोलन’ उभरा था. यह पश्चिम; विशेष रूप से अमेरिका में आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक संकट का दौर था. वियतनाम में अमेरिकी बर्बरता के खिलाफ अमेरिका तथा पूरे …

मान लिया कि प्रशांत किशोर अभिनेता है लेकिन…

जन सुराज के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखा, ‘ध्वस्त शिक्षा और भ्रष्ट परीक्षा के खिलाफ प्रशांत किशोर का आमरण अनशन जारी.’ हालांकि, मुद्दा शिक्षा और परीक्षा है लेकिन अधिक चर्चा इस बात को लेकर है कि प्रशांत किशोर के पीछे कौन सी शक्तियां हैं, उनकी फंडिंग के स्रोत क्या हैं, उनके बगल में लगी वैनिटी वैन का मालिक कौन है, …

राजनीतिक कार्यकर्ता मनीष आजाद की गिरफ्तारी की तीखी निंदा

सीएएसआर यानि कैंपेन एगेंस्ट स्टेट रिप्रेशन ने एटीएस द्वारा की गयी राजनीतिक कार्यकर्ता मनीष आजाद की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है. एक संयुक्त बयान में संगठन ने कहा कि 5 जनवरी को लखनऊ एटीएस ने राजनीतिक कार्यकर्ता, कवि और लेखक मनीष आजाद को उनके इलाहाबाद स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया. मनीष आज़ाद पिछले 3 दशकों से राजनीतिक रूप …

लोकतंत्र के नाम पर संविधान खत्म कर मनुस्मृति लागू की जा रही है

मुगलों ने मनुस्मृति संविधान को नहीं छुआ, ना कभी उसको मिटाने को सोचा. अंग्रेजों ने भी कभी मनुस्मृति को छूने की कोशिश नहीं की, हां, वे सामाजिक बुराईया जैसे छुआछूत, बाल विवाह, सती प्रथा जैसे अमानवीय कृत्यों पर ध्यान दिया, वह भी जब कोई भारतीय राजाराम मोहन राय जैसे लोग सामने आये. अंग्रेज चले गये. बहुत कुछ लूटकर ले गये …

एलिजा बट गम्बल (1841–1920) : जिसने डार्विन को गलत साबित किया

शायद आपको आश्चर्य हो लेकिन यह तथ्य है कि डार्विन महिलाओं को पुरुषों से कमतर मानते थे. इसके लिए उन्होंने 1871 में प्रकाशित अपनी किताब ‘The Descent of Man‘ में तथाकथित ‘वैज्ञानिक तथ्य’ दिए हैं. इस किताब के आने तक डार्विन की प्रतिष्ठा आसमान छू रही थी. लेकिन अमेरिका में महिला आंदोलन में सक्रिय एलिजा बट गम्बल (Eliza Burt Gamble) …

हिन्दुओं के महान संरक्षक महाराजाधिराज मुग़लकुल शिरोमणि प. पू औरंगजेब जी आलमगीर पर हम आपका ज्ञानवर्धन करेंगे

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सारांश : महाराजाधिराज मुगलकुल शिरोमणि एक ऐसा शीर्षक है, जो मुगल बादशाह औरंगजेब को दिया गया है. यह शीर्षक औरंगजेब की धार्मिक सहिष्णुता और हिंदुओं के प्रति उनकी संरक्षक भूमिका को दर्शाता है. हालांकि, इतिहासकारों और विद्वानों के बीच औरंगजेब की छवि को लेकर बहुत विवाद है. कुछ लोग उन्हें एक धार्मिक कट्टरपंथी और हिंदू विरोधी के रूप में देखते …

लेखक एक जीवित ईकाई है, तात्पर्य कि वह प्रत्येक अन्याय के विरोध में मुखर रहे !

लेखक एक जीवित ईकाई है. इसका सीधा सा तात्पर्य यही है कि वह प्रत्येक अन्याय के विरोध में मुखर रहे. विरोध जीवित होने का प्रमाण है. वह किसी ऐसे समूहगान का हिस्सा न बने, न ही किसी ऐसे सुर में सुर मिलाए जो तात्कालिक है. उसकी मंशा वह नहीं ही रहे जो एक सरलीकरण की प्रक्रिया से गुजरते हों. यद्यपि …

‘शांति संभव है, अगर भारत 1962 के युद्ध की सच्चाई स्वीकार कर ले तो…’ : ब्रिगेडियर बीएल पूनिया (सेवानिवृत्त)

सारांश : ब्रिगेडियर बीएल पूनिया, सेवानिवृत्त, ने अपने एक लेख में 1962 के भारत-चीन युद्ध की सच्चाई को स्वीकार करने की आवश्यकता पर बल दिया है. उन्होंने कहा है कि यदि भारत 1962 के युद्ध की सच्चाई को स्वीकार करे, तो इससे दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने में मदद मिल सकती है. ब्रिगेडियर पूनिया ने कहा है कि …

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