चीनी लेखक लू शुन की तरह मैं भी मानता हूं कि हमें उन्हीं परम्पराओं को आगे बढाना चाहिए जो हमारे देश को किसी न किसी रूप में मजबूत करे. जो संस्कृति तेजी से बदलते हुये समय में हमें बचा न सके, उसे बचाने की कोई आवश्यकता नहीं है. समाचार पत्रों द्वारा महाकुम्भ की जो जानकारी मुझे मिली है, उसके आधार …
महाकुम्भ : जो संस्कृति तेजी से बदलते हुये समय में हमें बचा न सके, उसे बचाने की कोई आवश्यकता नहीं है
