'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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रूसी क्रान्ति का विकास पथ और इसका ऐतिहासिक महत्व

रूस की महान समाजवादी क्रान्ति की अन्तर्वस्तु को ठीक से समझने के लिए वहां के क्रान्तिकारी संगठनों एवं संघर्षों की विकास प्रक्रिया पर गौर करना होगा. दुनिया के मार्क्सवादी चिंतकों और कम्युनिस्ट दलों/ग्रुपों के बीच करीब 35 सालों (1847 से 1882) तक यह धारणा मजबूती से कायम रही कि बड़े उद्योग और विश्व बाजार के अस्तित्व में आने के बाद …

विनोबा का भूदान आंदोलन गरीबों के साथ धोखा था ?

अंग्रेजों से आजादी के बाद देश को सामंतों से आजादी की जरूरत थी. यह सामंत मुगलों औऱ ब्रिटिशों के कारिंदे थे, उनके मातहत थे. इनके पास भू-संपदा थी. शासन पर पूर्णतः नियंत्रण था. दुनिया के कई देशों में भू-संपदा के बंटवारे के लिए रक्तपात हुआ. तब भारत में भी ऐसा हो सकता था क्योंकि अंग्रेज चले गए थे लेकिन राजव्यवस्था …

पंडित नेहरू के जन्मदिन पर विशेष : धार्मिक फंडामेंटलिज्म और नेहरू

आज देश में पंडित नेहरु की जयन्ती धूमधाम से मनायी जा रही है. नेहरु के व्यक्तित्व का निर्माण जनसंघर्षों में तपकर हुआ था. अब तक कांग्रेस उनकी जमा पूंजी को खाती रही है, लेकिन अब लगता है जमा-पूंजी खत्म हो गयी है. कांग्रेस को संघर्षों में शामिल होकर नए सिरे से राजनीतिक पूंजी कमानी होगी, लाठी-गोली खानी होगी. आम जनता …

मुझसे अक्सर सवाल होता है कि मुसलमान के पक्ष में क्यों लिखते हो ?

मुसलमान के पक्ष में क्यों लिखते हो ? क्या तुम्हारा पिता मुल्ला था ?? क्या तुम्हारी मां के किसी मुसलमान से रिश्ते थे ? क्या तुम अपना हिंदुत्व भूल गए हो, क्या क्षत्रिय धर्म भूल गए हो ?? जवाब दूं इसके पहले एक मजे की बात बताता हूं. मजे की बात यह है कि पाकिस्तान वालों ने कभी पाकिस्तान मांगा …

हां, जब मैं नेहरू से मिला…

आज जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन है. नए भारत के निर्माता का जन्मदिन और जो आज मौजूदा निजाम की नफरत का सबसे बड़ा शिकार है. बहरहाल मैं नेहरू जी से कुल एक बार मिला. देखा तो कई बार लेकिन एक बार मिला भी. अक्टूबर 1961 में तब हो रहे अंतर विश्वविद्यालयीन यूथ फेस्टिवल में मैंने वाद विवाद (भाषण) में सागर विश्वविद्यालय …

सदी का सबसे बेचैन कवि : मुक्तिबोध

मुक्तिबोध की बेचैनी अन्य महत्वपूर्ण कवियों की तरह सिर्फ़ यह नहीं है कि दुनिया ऐसी क्यों है, बल्कि यह भी है कि मैं ऐसा क्यों हूं. इसलिए उनकी तमाम रचनाएं इन्हीं दो दुनिया की आपसी जद्दोजहद से उपजी हैं. इसलिए मुक्तिबोध की रचनाएं बेहद ईमानदार रचनाएं हैं. अपने बारे में उनकी स्वीकारोक्ति देखिये – ‘हाय-हाय औऱ न जान ले कि …

भारत विचार परंपरा में नास्तिक दर्शन है और आरएसएस वर्चस्ववाद का पोषक है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना 1925 में हुई. इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत में परंपरागत तौर पर चले आ रहे वर्चस्व आधारित सामाजिक संरचना को बरकरार रखना था. इस संरचना में बहुसंख्यक मेहनत करने वालों को सामाजिक तौर पर शूद्र तथा नीच घोषित किया गया था. इतना ही नहीं, बल्कि इन नीच घोषित कर दिए गए मेहनतकश वर्ग को …

संघ का नया नारा ‘क्लिक करो और गप करो’

संघ का नया नारा है ‘क्लिक करो और गप करो.’ यह मूलतः इमेज अपहरण और असभ्यता का नारा है. कैमरा इसकी धुरी है. इसके तहत धर्मनिरपेक्षता और धर्मनिरपेक्ष नेताओं को हड़पने के सघन प्रयास हो रहे हैं. संघवालों की मुश्किल यह है कि वे धर्मनिरपेक्षता पर हमला करते-करते थक गए हैं ! मुसलमानों पर हमले करते-करते थक गए हैं ! …

महिला आरक्षण कानून सामंतवादी सोच की भेंट चढ़ा

महिला आरक्षण बिल 19 सितम्बर 2023 को नये संसद भवन (यानी सेन्ट्रल विस्टा) में पहला बिल के रूप में पारित हो गया. इसके बाद ये राज्य सभा में भी भारी मतों से पारित हो गया. इस कानून को भारी भरकम नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ दिया गया. ये संविधान के 128 वे संशोधन के उपरान्त बना है. भाजपा की केन्द्रीय …

हिंदुस्तान का सबसे सक्सेसफुल प्राइमिनिस्टर कौन है ?

इकॉनमिक्स के लिहाज से हिंदुस्तान का सबसे सक्सेसफुल प्राइमिनिस्टर कौन था ? अंदाजा लगाइए. जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में भारत की कमान सम्हाली. कुल बजट आया – 176 करोड़. 1964 में उनकी मौत हुई. आखिरी बजट – 2050 करोड़ वृद्धि- 10 गुना हर प्रधानमंत्री का एंट्री और एग्जिट ईयर आपको मालूम है. गूगल कीजिए, आपको इन दोनों वर्षों के बजट …

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