'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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गांधी की नज़र में संघ

संघ की रैली में गांधी ने कहा था, ‘शुरू में जो प्रार्थना गाई गई उसमें भारत माता, हिन्दू संस्कृति और हिन्दू धर्म की प्रशस्ति है. मैं दावा करता हूं मैं सनातनी हिन्दू हूं. मैं ‘सनातन‘ का मूल अर्थ लेता हूं. हिन्दू शब्द का सही सही मूल क्या है, यह कोई नहीं जानता. यह नाम हमें दूसरों ने दिया और हमने …

सावरकर को ‘वीर’ नहीं गद्दार सावरकर कहना चाहिए

सावरकर को ‘वीर सावरकर’ नहीं ‘गद्दार सावरकर’ कहना चाहिए क्योंकि सावरकर ने अंग्रेजों से माफ़ी मांग कर खुद अपना किया – धरा मिट्टी में मिला दिया था, जो उसने जेल जाने से पहले देश के लिए किया था. इसके बाद सावरकर अंग्रेजों के पेंशन पर जीता था और देश में हिन्दुत्व के नाम पर दंगे भड़काता था. ऐसा कायर और …

गांधी की नज़र में सावरकर की माफी !

देश में हो रही उथलपुथल और ऊहापोह के (भी) चलते विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न देने का इरादा सरकार के इरादे और बहुमत के बावजूद खटाई में तो है. सावरकर ने हिन्दू धर्म की एकल ऐंद्रिकता के ‘हिंदुत्व‘ शब्द का आविष्कार किया. जवानी में मिली कठोर जेल यातनाओं के कारण बर्बर गोरी हुकूमत को लगातार माफीनामे लिखकर कैद से …

सिलक्यारा टनल : जिम्मेदार गौतम अदानी और नरेंद्र मोदी सहभागी है

सिलक्यारा टनल में 41 मजदूरों को दफन करने की साज़िश नवयुग इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड ने रची थी. बीते 15 दिन ने तमाशा देख रहा हूं. बंदरों की तरह सब उछल–कूद कर रहे हैं, लेकिन किसी पत्तलकार (गोदी पत्रकार) की हिम्मत नहीं हो रही है यह बोलने की कि अदानी सेठ ने 2020 में नवयुग को खरीदा था. भयंकर कमज़ोर कलेजा …

पराली पर कोहराम : किसान नहीं सरकार की नीतियां जिम्मेदार

पराली का सच जानने के लिए लेख को पूरा पढ़ें कि कैसे यह नगण्य समस्या है और जितना भी है, किसानों से ज्यादा इसके लिए सरकारी नीतियां जिम्मेदार हैं. समाधान सिर्फ सरकार के वश का है, किसानों के हाथ से बाहर का चीज है. सरकार शहरी वायु प्रदूषण के अपने 97% का ठीकरा पराली के 3% पर फोड़ कर शहरी …

लुगदी साहित्य का अपने दौर में सबसे ज़्यादा बिकने वाला नाम – गुलशन नंदा

‘गुलशन नंदा’ यानि हिन्दी में पल्प फिक्शन उर्फ लुगदी साहित्य का अपने दौर का सबसे ज़्यादा बिकने वाला नाम. 60 से लेकर 80 के दशक तक की दर्जनों सिल्वर जुबिली, गोल्डन जुबिली फिल्मों के लेखक गुलशन नंदा ही थे लेकिन इस सफलता के बाद भी नंदा को हिन्दी शुद्ध साहित्यकारों के बीच एक घृणित नाम माना जाता था. इसका कारण …

मुनादी

खलक खुदा का, मुलुक बाश्शा का हुकुम शहर कोतवाल का… हर खासो-आम को आगाह किया जाता है कि खबरदार रहें और अपने-अपने किवाड़ों को अन्दर से कुंडी चढा़कर बन्द कर लें गिरा लें खिड़कियों के परदे और बच्चों को बाहर सड़क पर न भेजें क्योंकि एक बहत्तर बरस का बूढ़ा आदमी अपनी कांपती कमजोर आवाज में सड़कों पर सच बोलता …

उत्तराखंड की अंधेरी सुरंग में फंसे मजदूरों को रोशनी की आशा

अयोध्या में 22 लाख 23 हजार दीप जलाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया जा रहा था, उसी समय उत्तराखण्ड में चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए मजदूर सुरंग में जा रहे थे. यह सुरंग उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम की बीच की दूरी 26 कि.मी. कम करेगा और इसे सर्दियों के मौसम में भी चालू रखा जा सकता है. चारधाम परियोजना, …

भारत को जल्दी से जल्दी अपनी राजनीति की दिशा बदलनी पड़ेगी वरना…

फासीवादी कहेगा – गरीब आलसी होते हैं, मेहनती लोग अमीर होते हैं. प्रगतिशील कहेगा – किसान मजदूर लोग तो बहुत मेहनत करने के बाद भी गरीब बने रहते हैं. यह असल में गलत राजनैतिक सिस्टम की वजह से होता है कि चालाक लोग दूसरे की मेहनत और दूसरे के संसाधनों का फायदा उठा कर अमीर बन जाते हैं. जैसे अदाणी …

आंसुओं का वर्ग : पीड़ितों के आंसू बनाम घड़ियाली / सेलेक्टिव आंसू

मनीष सिसोदिया को अपनी बीमार पत्नी से मिल कर रोते देख कर लाखों लोगों की आंखों में आंसू आ गए. कुछ दिनों पहले यही आंसू बरबरा राव और स्टेन स्वामी या अन्य एक्टिविस्ट लोगों के लिए भी निकले थे. आंसू निकलना सेहत के लिए अच्छा है. आंसू निकलने से आपके संवेदनशील होने का प्रमाण भी मिलता है. न्याय पर अन्याय …

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