'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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हिंदुस्तान का पाकिस्तानीकरण

रियल एस्टेट के बिजनेस में तीन चीजें मायने रखती है. पहली लोकेशन, दूसरी.. लोकेशन और तीसरी- लोकेशन… पाकिस्तान के पास लोकेशन है. ऐसा चौराहा जिससे गुजरना आधी दुनिया की मजबूरी है. सेंट्रल एशिया के प्लेन्स और समुद्र के बीच सबसे छोटा रास्ता पाकिस्तान है. चीन और तिब्बत के बड़े पूर्वी इलाकों के लिए नजदीकी रास्ता पाकिस्तान है. भारत और अरब …

’आजादी’ के ’अमृत काल’ में भारत की अर्थव्यवस्था का बढ़ता संकट

’भारत की आजादी’ के 75 वर्ष पूरा होने पर राजग की नरेन्द्र मोदी सरकार इस अवसर को ‘अमृत काल’ के रूप में मना रही है. इस अवसर पर नरेन्द्र मोदी सरकार ने ‘भारत के विकास’ के लिए अगले 25 साल का एक ’रोड मैप’ तैयार किया है. 15 अगस्त, 2022 को लाल किला से भाषण देते हुए नरेन्द्र मोदी ने …

सर्वोच्च न्यायालय ने कैसे रामजन्म भूमि आंदोलन को सफल बनाने में भरपूर मदद की ?

एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के शीर्षस्थ न्यायालय को कौन सा अधिकार है जिसके तहत वह सरकार को किसी समुदाय का पूजाघर बनवाने का निर्देश दे सके ॽ ऐसा निर्णय करते हुए सर्वोच्च न्यायालय एक दीवानी मुक़दमे में संपत्ति विवाद पर निर्णय की सीमा का अतिक्रमण करते हुए एक सांप्रदायिक विवाद की सीमा में घुस गया है और जिस तरह से 1976 …

कर्जन का कर्ज…

‘भारत सरकार एक भारी भरकम मशीन है, जो कुछ करती धरती नहीं है’ – नाक मुंह चमकाते हुए लार्ड कर्जन ने जब भारत की धरती पर पहला कदम रखे, इन शब्दों से अपना इरादा जाहिर कर दिया. अब देश में प्रशासन की सारे कील कांटे दुरुस्त होने लगे. रेलवे से लेकर टेलीग्राफ तक सब कुछ ‘एफिशिएंट’ किया जाने लगा. बंगाल …

भाजपा-आरएसएस संविधान से ‘समाजवादी और सेकुलर’ शब्द हटाने के लिए माहौल बना रहे हैं

किसी भी देश की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह अपने हर बच्चे को मुफ्त शिक्षा दे. कोई भी सरकार किसी भी बच्चे से पढ़ाई का पैसा नहीं ले सकती है और पैसे लेकर शिक्षा बेचना किसी भी कानून के द्वारा जायज नहीं बना सकती इसलिए देशभर के नौजवानों को मुफ्त शिक्षा की मांग करनी चाहिए. भारत के समाज को अपनी …

‘भारतीय इतिहास का प्रमुख अन्तर्विरोध हिन्दू-मुस्लिम नहीं, बल्कि बौद्ध धर्म और ब्राह्मणवाद है’ – अम्बेडकर

आज हमारे देश का सामना जिस विकट परिस्थिति से है, उसके कारणों को समझने में कई बार हम इसलिए भी अक्षम हो जाते हैं कि बचपन से लेकर अब तक हमारा ध्यान ऐतिहासिक महापुरुषों की उदात्तता और उनके अवदान पर ही केन्द्रित रहा है, जैसे गौतम बुद्ध, सम्राट अशोक, बादशाह अकबर, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और डॉ. भीमराव अम्बेडकर वग़ैरह. …

शैक्षणिक कुपोषण का शिकार गोबरपट्टी के अभिशप्त निवासी

पिछले महीने कोई रिपोर्ट आई थी जिसमें बताया गया था कि भारत देश के टॉप 100 कॉलेजों में हिंदी पट्टी के राज्यों का एक भी कॉलेज शामिल नहीं है. कल एक दूसरी रिपोर्ट में बताया जा रहा था कि राम मंदिर को लेकर भाजपा की जो भी राजनीतिक शोशेबाजियां हैं, उनका सबसे अधिक असर हिंदी पट्टी में ही देखा जा …

‘भीमा कोरेगांव’ के बहाने कुछ बातें…

इस साल जब लोग नये साल का जश्न आदतन मना रहे होंगे तो समाज का एक हिस्सा 1 जनवरी को एक ऐसी घटना की 200वीं बरसी मना रहा होगा जिसने दलितों के आत्मसम्मान की लड़ाई को एक नयी दिशा दी. 1 जनवरी 1818 को महाराष्ट्र में पूना के नजदीक ‘भीमा कोरेगांव’ में अंग्रेजों की फौज के साथ मिलकर लड़ते हुए …

2030 तक भारत में बंधुआ मजदूरी को समाप्त करने के लक्ष्य की जमीनी हकीकत

जुलाई 2016 में केंद्र सरकार ने संसद को बताया था कि ‘बंधुआ मजदूरी के पूर्ण उन्मूलन’ के 15 वर्षीय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वे 2030 तक लगभग 1 करोड़ 84 लाख बंधुआ मजदूरों की पहचान, रिहाई और पुनर्वास करेंगे. केंद्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 1978 से जनवरी 2023 के बीच चार दशकों में लगभग 315,302 लोगों …

गुजरात मॉडल : गुजरात में प्रवासी कृषि श्रमिकों के बच्चे स्कूल से बाहर क्यों रहते हैं ?

भारत की सत्तारूढ़ भाजपा की मोदी सरकार ने जिस गुजरात मॉडल के झुनझुना को बजाकर 2014 में सत्ता पर आई थी, और जनता भी मंत्रमुग्ध होकर उसे वोट की थी, उस गुजरात मॉडल की भयावह तस्वीरों से भारत की जनता अब रोज ही दो-चार हो रही है, आज इसकी एक और कलई खुली गई है गौतमी कुलकर्णी द्वारा लिखित इस …

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