'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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आगामी बीस सालों में समाज का संपूर्ण लंपटीकरण हो जायेगा अगर…

समाजशास्त्रियों को भारत में पिछले एक दशक में बढ़ती हुई बेरोज़गारी की समस्या, बेरोज़गार बच्चों के विवाह की समस्या और इसके चलते समाज में बढ़ रहे व्यभिचार की समस्या के अंतरसंबंधों पर गहन विचार विमर्श और डेटा एनालाईसिस की ज़रूरत है. आने वाले समय में यह समस्या एक विकराल रूप धारण करने जा रही है. भारत चीन नहीं है, जहां …

गांधी, नेहरू और सुभाष

श्याम बेनेगल की फिल्म ‘नेताजी द अनफॉरगोटेन हीरो’ में एक दृश्य है. 10 दिसंबर 1942 की सुबह सुभाष बाबू बर्लिन में बैठकर अखबार पढ़ रहे हैं, तभी उनके सहयोगी एसीएन नांबियार वहां आए. सुभाष बाबू ने अखबार बढ़ाते हुए नांबियार से ‘क्विट इंडिया मूवमेंट’ और गांधी जी की गिरफ्तारी की ख़बर सुनाई. बोस ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ और ‘करो या …

जवाहर का खून, उनकी रगों में अपना रंग दिखा रहा है

1947 का मशहूर किस्सा है… पार्टीशन की बेला थी, भारत आजाद हो चुका था और नेहरू प्रधानमंत्री थे. दिल्ली सापेक्षिक रूप से शांत था, मगर अचानक से फिजां बदल गई. किसी जगह मुसलमानों के द्वारा हिन्दुओं पर आक्रमण की अफवाह से गुस्सा हिन्दू टोलियां भी निकल आयी. कनॉट प्लेस में मुलसमानों की दुकानों को लूटा जाने लगा, भीड़ हिंसा पर …

हां मैं अयोध्या जाऊंगा…

अगर मुझे किसी मंदिर से और किसी वेश्यालय से एक साथ निमंत्रण मिले तो मैं वेश्यालय जाना पसंद करूंगा, क्योंकि वहां पर मुझे हाड़ मांस का एक पुतला तो मिलेगा, कोई पत्थर का बुत नहीं. मैं उस समय सबसे ज़्यादा संतुष्ट महसूस करता हूं जब मैं समाज के सबसे अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति या समूह के संसर्ग में रहता …

बिहार की शान पटना संग्रहालय (म्यूजियम) तथा अन्य ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने के लिए आगे आएं !

बिहार की शान पटना संग्रहालय (म्यूजियम) तथा अन्य ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने के लिए ‘पटना संग्रहालय बचाओ विरासत बचाओ संघर्ष समिति’ ने संवेदनशील एवं जनतांत्रिक नागरिकों से अपील जारी किया है. सैकड़ों लोगों के हस्ताक्षर से जारी यह अपील देश के जनमानस को झकझोरने का कार्य किया है. ज्ञात हो कि बिहार सरकार ने बिहार की प्राचीन धरोहरों को समेटे 106 …

चुनाव के उपरांत की परिस्थिति और हमारे कर्तव्य : सीपीआई (माओवादी)

प्रस्तुत आलेख सीपीआई (माओवादी) के केंद्रीय कमेटी द्वारा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद 11 जून, 2019 को पार्टी सदस्यों के नाम जारी किया गया सीसी सर्कुलर: 4/2019 है, जिसे सीपीआई (माओवादी) के केन्द्रीय सैद्धांतिक पत्रिका ‘पीपुल्सवार’ के हिन्दी संस्करण ‘लाल पताका’ के जून, 2019 के अंक में प्रकाशित किया गया था. चूंकि अब एकबार फिर 2024 में देश …

गृहमंत्री अमित शाह के नाम साथी रितेश विद्यार्थी का खुला खत : ‘दमन की इन्तहां, प्रतिरोध की धार को और पैना कर देती है !’

महोदय, पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जो आपके मंत्रालय के अधीन आती है, लगातार देश भर में सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है. उसका एक मात्र काम जनता के हक़ के लिए काम करने वालों को प्रताड़ित करना है. उनके घर पर, उनके रिश्तेदारों के यहां छापेमारी करना, उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसा देना अथवा उन्हें …

ईश्वरीय अवतार के साथ इस तरह का अन्याय !!!

मुझे तो शर्म आने लगी है कि हम कितने गये बीते लोग हैं कि हमारे बीच एक महापुरुष, ईश्वर का साक्षात अवतार विद्यमान है, द्युतिमान है, गतिमान है, असत्यमान है और हम उसे ईश्वर छोड़, महान आदमी तक मानने को तैयार नहीं !न हम उसे अशोक महान मानने को राजी हैं, न अकबर महान. न हम उसे महात्मा गांधी मानते …

बोल्शेविक क्रांति – समकालीन इतिहास में उसका महत्व

‘बोल्शेविक क्रांति, समकालीन इतिहास में उसका महत्व’ पर सीपीआई (माओवादी) ने अपने सैद्धांतिक अंग्रेजी मुखपत्र ‘पीपुल्सवार’ के हिन्दी संस्करण ‘लाल पताका’ के वर्ष 2017 के नवम्बर अंक में एक सैद्धांतिक लेख प्रकाशित किया है. यह लेख पहली नजर चीजों की पुनरावृति लग सकती है, लेकिन जब हम इस विषयवस्तु को देखते हैं तब ज्ञात होता है कि यह लेख आज …

स्टालिन के बारे में सच्चाई की खोज : यूरी ज़ुकोव की पुस्तक ‘इनोई स्टालिन’ (‘डिफरेंट स्टालिन’) के बारे में

सोवियत संघ और यूरोप के कुछ अन्य देशों में समाजवादी व्यवस्था का पतन, समाजवादी गुट और यूएसएसआर का विघटन सक्रिय सोवियत विरोधी प्रचार से पहले हुआ था. यह प्रचार पश्चिम द्वारा प्रायोजित था और स्थानीय फिफ्थ कॉलम्स द्वारा आयोजित किया गया था (यूएसएसआर में सबसे प्रभावशाली फिफ्थ कॉलमिस्ट एम. गोर्बाचेव, ए. याकोवलेव, बी. येल्तसिन और अन्य जैसे सीपीएसयू के नेता …

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