'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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Reform or Retard

‘सुधार’ शब्द को साज़िशन बहु आयामी बना दिया गया है. साधारण अर्थ में सुधार मतलब कोई भी ऐसा कदम जो बेहतरी के लिए लिया गया हो, चाहे वह व्यक्ति के लिए हो या समाज, राजनीति, न्याय व्यवस्था, प्रशासन, अर्थ नीति या चुनाव हो. बाल अपराधियों को सुधार गृह में भेजने की परंपरा रही है, न कि चोर-उचक्कों और हत्यारों-रेपिस्ट लोगों …

फेसबुक और निकम्मे प्रोफेसर !

हमारे बहुत सारे रीयल मित्र मेरी आलोचना करते हैं और खिल्ली उड़ाते हैं कि यह क्या तमाशा कर रहे हो, हर समय फेसबुक पर लिखते रहते हो, फेसबुक लेखन किसी काम नहीं आएगा, कोई याद नहीं रखेगा इसे, समय बर्बाद करना बंद करो और किताबें लिखो, जमीनी स्तर पर काम करो. मैं अपने मित्रों से सहमत नहीं हूं. मेरा मानना …

ग़रीब विद्रोह करते हैं, भिखारी नहीं

अंग्रेजों ने ग़रीब बनाए थे और मोदी ने भिखारी. ग़रीब विद्रोह करते हैं, भिखारी नहीं. इसलिए चुनावी नतीजों के विश्लेषण के पहले लाभार्थी (यानि भिखारी) चेतना का ध्यान रखें, ख़ास कर गोबर पट्टी में, वर्ना आपके सारे आकलन धरे रह जाएंगे. आपको गोबर पट्टी के लोगों की स्वैच्छिक ग़ुलाम बनने की ख़ुशी और उन्हें ऐसा बनाने वालों के प्रति अपार …

प्रेम, परिवार और पितृसत्ता

प्रेम करो तो जरुरी नहीं है कि प्रेमिका या प्रेमी का प्रेम में पितृसत्तात्मक व्यवहार न हो ! प्रेमी ने बहुत सोच-विचार और वैचारिक मंथन के बाद तय किया कि शादी करेंगे. सोचा नए क़िस्म का परिवार बनाएंगे लेकिन यह सपना बहुत जल्द टूट गया. प्रेमिका शादी के बाद पुंसवादी तेवर के साथ आचरण करने लगी. उसे लगा कि घर …

डिक्टेटर का आत्मविश्वास : बेशर्मी अब तेरा ही आसरा है !

प्रधानमंत्री कभी मर्यादित भाषा बोलने के लिए ‘बदनाम’ नहीं रहे. मगर मतदान का पहला चरण खत्म होने के बाद उनकी घबराहट और डर और अधिक सामने आ रहा है. एक दिन कहते हैं कि देश और विदेश के ताकतवर लोग मुझे हटाना चाहते हैं. उसके एक दिन और पहले कहते हैं कि कांग्रेस आ गई तो आपकी मेहनत का सारा …

बाबा रामदेव श्रद्धा और अंधश्रद्धा के कांबो से पीड़ित रोगी समाज के लक्षण हैं

पिछले कुछ दशकों में भारत में कई बाबाओं का उदय हुआ है. इसके पहले भी बाबा हुआ करते थे मगर इन दिनों बाबाओं का जितना राजनैतिक और सामाजिक दबदबा है, उतना पहले शायद कभी नहीं रहा. कई बाबा अनेक तरह के काले कामों में लिप्त भी पाए गए हैं मगर उनकी दैवीय छवि के चलते उनके अपराधों को नज़रअंदाज़ किया …

यूक्रेन और इजरायल कंगाली के चलते दुनिया के मानचित्र से आत्महत्या के मुहाने पर आ गए हैं

जबसे अमरीकी खुफिया एजेंसियों ने ईरान के पास परमाणु बम होने की बात कही है तबसे नाटो देशों में भगदड़ मची हुई है. इजरायल पर ईरानी मिसाइलों के कोहराम से सन्न अमरीका ने ईरान के पास एक हास्यास्पद प्रस्ताव रखकर अपनी अपने शक्तिशाली होने की छवि का पोस्टमार्टम कर दिया है. ईरानी रक्षा विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक …

अंबेडकर की वैचारिक यात्रा को कैसे समझा जाए ?

अंबेडकर ने अपनी राजनीतिक यात्रा ब्राह्मणवाद के कर्मकांडी तथा घृणित जाति- व्यवस्था के खिलाफ मुखर आवाज के रूप में शुरू की. फ्रांसीसी क्रांति तथा पश्चिमी लोकतंत्र से प्रभावित अंबेडकर की समझ थी कि भारत में ब्राह्मणवाद की जड़ों को नष्ट कर पूंजीवाद एक लोकतांत्रिक समाज का निर्माण करेगा. इसी समझ के कारण ब्रिटिश साम्राज्यवाद तथा भारतीय पूंजीवाद के खिलाफ संघर्ष …

भाजपा इवीएम के दम पर हर जगह चुनाव जीतेगी

अर्णव गोस्वामी के लिए कोर्ट रात 12 बजे खुल सकता है, लेकिन केजरीवाल को बेवजह दो महीने जेल में रहना होगा और कोर्ट 29 अप्रैल के पहले ज़मानत पर फ़ैसला नहीं कर सकती है. यानी जो मोदी का कुत्ता नहीं है, सुप्रीम कोर्ट उसके लिए नहीं बना है, फिर इस कोर्ट की ज़रूरत क्या है ? आप कहेंगे कि संजय …

18वीं लोकसभा चुनाव : मोदी सरकार के 10 साल, वादे और हक़ीक़त

18वीं लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है जो इस साल 19 अप्रैल से 1 जून के बीच सात चरणों में सम्पन्न होगी. इस चुनाव के साथ ही इस बात का फैसला भी होगा कि अगले पाँच साल के दौरान क्या एक बार फिर देश की जनता मोदी सरकार के अधीन शासित होगी या विपक्ष की पार्टियाँ जनता पर सवारी …

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