'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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मई दिवस पर विशेष : आधुनिक सभ्यता का कोहिनूर हैं मजदूर

आश्चर्य की बात है कि देश के निर्माण में मजदूरों की केन्द्रीय भूमिका है लेकिन आज किसी अखबार ने मजदूरों की खबरें अपने पहले पन्ने पर नहीं दीं. टीवी चैनलों में मजदूर गायब है, इंटरनेट पर मीडिया वेबसाइट पर मजदूर गायब है. अरे कुछ तो शर्म करो कृतघ्नों ! मजदूरों के बिना यह देश नहीं चलता. यह देश मजदूरों का …

‘मैं आज भी मजदूर का जीवन जीता हूं !’

मजदूर दिवस के दिन मजदूरों से इस सरकार को कितना प्रेम है,यह जान लेना उचित होगा. आप तो चाहेंगे कि मैं लिखूं कि इस सरकार को मजदूरों से कोई लगाव नहीं है. सॉरी मैं इस बहकावे में आनेवाला नहीं हूं. मैं कहूंगा कि इस सरकार को ही मजदूरों से वास्तविक प्रेम है, उनकी चिंता है इसीलिए पूरे विश्व में मोदी …

नौकरशाह के. के. पाठक के फरमान से हलकान शिक्षकों का पांच महीने से वेतन बंद

के. के. पाठक के फरमान दर फरमान और निरंतरता की मनमानियों से जब बिहार का शैक्षणिक माहौल कर्कश कोलाहलों से ग्रस्त और शिक्षक समाज त्रस्त हो उठा था तो खास कर सत्ताधारी दलों से जुड़े शिक्षक या स्नातक प्रतिनिधि विधान पार्षदों ने वीडियो साक्षात्कारों में विरोध की आवाजें बुलंद की. करीब पांच छह महीने पहले हमने उनमें से कुछ विधान …

जब कहानी ने पलटकर कहानीकार से सवाल किया

लेखक और मनोविज्ञान विशेषज्ञ विनय कुमार जी ने जानना चाहा कि कविताओं पर तो बहुत सी कविताएं लिखी गई हैं, लेकिन कहानी और लेखक के रिश्ते पर कौन सी कहानियां लिखी गई हैं. मुझे याद आया, मेरी कहानी कुछ बरस पहले ‘आजकल’ में आई थी‌. वह कहानी साझा कर रहा हूं. एक दिन कहानी ने पलटकर कहानीकार को घेर लिया- …

‘कोविशील्ड वैक्सीन’ के नाम पर मोदी ने दी है मौत की गारंटी

छोड़ दीजिए ये माया–मोह की बातें. ये सेल्फी और सालगिरह की दावतें. आपको इन सबसे कोई लेना–देना नहीं होना चाहिए, क्योंकि आप मरने वाले हैं, अगर आपने नरेंद्र मोदी की गारंटी, यानी कोविशील्ड का टीका लगवाया है. भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने जिस ब्रिटिश कंपनी के साथ मिलकर यह कोविड वैक्सीन बनाई है, उसने माना है कि इससे दिल के दौरे …

समुद्र में तबाही ला रही हैं बैटरी वाली गाड़ियां

पृथ्वी के निर्माण से लेकर अबतक जहां कभी रोशनी की एक किरण तक नहीं पहुंची, वहां बड़े-बड़े अर्थमूवर और खुदाई-ढुलाई के बाकी औजार पहुंचाने की भूमिका बनाई जा रही है. गहरे समुद्रों की तली तक इंसानी पहुंच की कोशिशें डेढ़ सौ साल पहले शुरू हो चुकी थीं लेकिन इनका मकसद धरती के एक अत्यंत विशाल लेकिन अनजाने क्षेत्र के बारे …

‘किसी की ट्रेजडी किसी की कॉमेडी बन जाती है’ – चार्ली चैपलिन

एक बार आठ-दस साल का चार्ली चैप्लिन लंदन की दुपहरी में घर के बाहर खड़ा था. बस यूं ही गली की हलचल देख टाइमपास कर रहा था. तभी उसने देखा कि एक आदमी छोटे से मेमने को पकड़े हुए गली से गुज़र रहा है. गली के सिरे पर एक कसाईखाना था. अचानक ही मेमना उस आदमी की पकड़ से छूट …

…इसके बावजूद इन चुनावों में बहुत कुछ दांव पर है

लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण की वोटिंग हो रही है, लेकिन मतदाताओं में उत्साह नहीं दिखलाई देता. पहली बार मतदान करने जा रहे युवाओं ने तो लगभग मुंह ही फेर लिया है. ये एक स्वप्नहीन चुनाव है. एक तरह का यथास्थितिवाद लोकमानस पर हावी है. वोट बदलाव के लिए दिए जाते हैं, लेकिन बदलाव की सूरत नज़र नहीं आती, …

मज़दूरों के लिए इतना बुरा वक़्त कभी नहीं रहा

‘बदलते पर्यावरण के मद्देनज़र, कार्य क्षेत्र पर सुरक्षा एवं स्वास्थ्य सुनिश्चित करना’, विषय पर ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ की रिपोर्ट, 22 अप्रैल 24 को प्रकाशित हुई. मज़दूर वर्ग से प्रतिबद्धता रखने वाले, संवेदनशील व्यक्ति के लिए, इस रिपोर्ट को पढ़ना बहुत मुश्किल काम है. समूची दुनिया में आज पूंजी का राज़, पूंजीवाद क़ायम है. पूंजीवाद में, पूंजी और श्रम के बीच …

लेनिन और लेनिनवाद

मार्क्स और एंगेल्स के अनुगामी लेनिन समूची दुनिया के सर्वहारा वर्ग, मेहनतकश अवाम और उत्पीडित राष्ट्रों के महान क्रान्तिकारी शिक्षक रहे. साम्राज्यवाद के युग की ऐतिहासिक परिस्थिति में और सर्वहारा समाजवादी क्रान्ति की ज्वालाओं के बीच लेनिन ने मार्क्स और एंगेल्स की क्रान्तिकारी शिक्षाओं को विरासत के रूप में ग्रहण किया, मजबूती से उनकी हिफाजृत की, वैज्ञानिक रूप से उन्हें …

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