सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के क्रियाकलापों को कल विभिन्न टीवी चैनलों के टॉक-शो में चार के मुकाबले बीस मतों से सही ठहराने की होड़ देख कर ऐसा लगा कि किसी को इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि न्यायाधीशों के लिए स्थापित मर्यादा कि वे न्यायालयों के आंतरिक मतभेदों और मसलों को सार्वजनिक नहीं करते, का उलंघन हुआ …