'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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त्रिपुरा : चुनाव के बाद

25 वर्ष की अवधि तक राज कर रही माकपा की हार हो गई विधानसभा चुनाव में. इनकी हार और उनकी जीत पर बहस हो सकती है और हो रही है. बहस इस पर भी जारी है कि कम्युनिस्ट पार्टी के लोग अपेक्षाकृत ज्यादा ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, जनता के प्रति ज्यादा जवाबदेह होते हैं. भ्रष्टाचार, परिवारवाद जैसे गंभीर आरोपों से लगभग अलग …

एक केजरीवाल को मिटाने में पूरी सियासत नंगी हो गई

भ्रष्टाचारियों की ही जेब में जा रहा है देश की जनता का दिया हुआ टैक्स का पैसा. देश की जनता के दिए हुए टैक्स के पैसे से अडानी, अंबानी, वीडियोकॉन जैसे उद्योगपतियों का लाखों करोड़ रुपये का सरकारी ऋण माफ करने के साथ-साथ हजारों करोड़ रुपये और दे दिए टैक्स रिबेट के रूप में नरेन्द्र मोदी सरकार और नेहरू-गांधी परिवार …

सैन्य राष्ट्रवादिता के खिलाफ

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामीन नेतन्याहू ने 14 जनवरी से 19 जनवरी के बीच भारत की यात्रा की. इस साल भारत और इजरायल के बीच 1992 में शुरू हुए राजननियक संबंध के 25 साल पूरे हुए. इन संबंधों की शुरुआत सोवियत संघ के विघटन के साथ अंत हुए शीत युद्ध के परिप्रेक्ष्य में हुई थी. 2017 में 4 से 6 जुलाई …

भारत में मीडिया की सिमटती आजादी

मीडिया वेबसाइट हूट की इंडिया फ्रीडम रिपोर्ट, 2017 इस नतीजे पर पहुंची है कि पिछले एक साल में भारत में पत्रकारिता के लिए माहौल खराब हुआ है. गौरी लंकेश समेत दो पत्रकारों की गोली मारी गई. एक और पत्रकार की हत्या की गई. कुल 11 पत्रकार मारे गए. लेकिन इनमें से तीन की हत्या सीधे-सीधे उनकी पत्रकारिता से जुड़ती है. …

देश की अर्थव्यवस्था और जनता

आर्थिक समीक्षा में 2017-18 और 2018-19 के लिए वास्तविक जीडीपी विकास दर क्रमशः 6.75 फीसदी और 7-7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक 2014-15 से 2016-17 के बीच जीडीपी की विकास दर औसतन 7.5 फीसदी रही. अगर ये दोनों आंकड़े सही हैं तो संभवतः भारत की अर्थव्यवस्था इस दौरान दुनिया में सबसे तेजी से …

सत्ता के अहंकार में रोजगार पर युवाओं के साथ मजाक

चार सालों से पूरे देश में धार्मिक आयोजन भी एक संगठित उद्योग का रूप लेने की जद्दोजहद करता दीख रहा है. एक के बाद एक धार्मिक आयोजनों का सिलसिला कहीं थम न जाये, सरकारें इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखती है या नहीं, पर उनके मुखिया इस कार्यक्रमों में शिरकत करते दिखते रहते है. कितने भीख मांगने वालों के पास “आधार …

बैंकों का बढ़ता घाटा और पूंजीवादी संकट

अक्टूबर-दिसंबर के 3 महीने में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को 2,416 करोड़ का घाटा हुआ. उसके 25 हजार 836 करोड़ के कर्ज और डूब गए. कुल एनपीए अब 1 लाख 99 हजार करोड़ है, जिसमें वो शामिल नहीं जो पहले ही राइट ऑफ कर दिए गए हैं. कुल कर्ज का 10.35% अब एनपीए है और मेरा अनुमान है कि अभी …

दिल्ली मेट्रोः किराया बढ़ोतरी के विरोध में एक जरूरी कदम

मेरे एक घनिष्ट मित्र को मेरे एक मत से काफी समय से तकलीफ थी. आज पता चली. मैंने अक्टूबर माह से मेट्रो में सफर बंद कर दिया था. मेरा मानना था कि मेट्रो ने किराया 60% बढ़ाकर अपने मूल उद्दयेश के साथ बहुत बड़ा अतिक्रमण किया है. फिर ये भी सुचना थी कि आगे भी अक्टूबर माह में किराया बढेगा …

जस्टिस लोया पार्ट-2: मौतों के साये में भारत का न्यायालय और न्यायपालिका

जज लोया के केस में कल बेहद चौकाने वाला खुलासा सामने आया है, जिसके बारे में बात करने को देश के मुख्य मीडिया को सांप सूंघ गया है. कल पता चला है कि जज लोया की संदिग्ध मृत्यु के बाद के अगले दो सालों में उनसे जुड़े उनके मित्रों की संदिग्ध मृत्यु हुई है यह कुछ ऐसा ही है जैसे ‘व्यापम’ …

खुदरा में विदेशी घुसपैठ

[ केन्द्र की मोदी सरकार ने खुदरा बाजार में निवेश सौ फीसदी कर दिया है, जबकि वह खुद जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, और प्रधानमंत्री बनने के लिए चुनाव लड़ रहे थे, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 51 फीसदी एफडीआई का विरोध किये थे. ऐसे में उसी वक्त यह लेख प्रकाशित हुआ था, जिसकी महत्ता को देखते हुए आज …

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