'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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धर्मों के झूठ और बच्चों वाली बातों से बाहर निकलो यार !

सभी धर्मों की शुरुआत 3500 साल के अंदर-अंदर हुई है. उससे पहले के मनुष्य रेगिस्तान में भटक रहे थे, जंगलों में रह रहे थे. पशुपालन कर रहे थे. खेती की शुरुआत कर रहे थे. खेती की शुरुआत के साथ-साथ मनुष्य ने घूमना बंद करके बस्तियां गांव घर बनाकर टिक कर रहना शुरू किया. इसी के साथ दुनिया में अमीरी गरीबी …

दलित चेतना एक प्रति–सांस्कृतिक चेतना है

यदि हरबर्ट मार्खेज के शब्दों में कहें, तो दलित चेतना एक प्रति–सांस्कृतिक चेतना है और इसीलिए विद्रोही भी. इस चेतना का उत्स भारतीय सामाजिक संरचना है, जो न सिर्फ़ जाति पर आधारित है, बल्कि इस जाति–व्यवस्था को धार्मिक वैधता भी प्राप्त है. यहां हमें यह भी समझ लेना होगा कि हमारी जाति–व्यवस्था सामाजित दुराव के सिद्धांत पर आधारित है. प्रसिद्ध …

मोदी सरकार के नये तीन फासीवादी कानून : जो अपराधी नहीं होंगे, वे मारे जायेंगे

अंग्रेजों के औपनिवेशिक काल के कानूनों की जगह लेने वाले तीन नए कानून एक जुलाई से लागू हो गया. पुराने और नये दोनों कानून में एक बुनियादी अंतर यह है कि अंग्रेजों के पुराने कानून पढ़े-लिखे अंग्रेजों ने बनाया था, तो यह नये कानून अनपढ़ अपराधियों के द्वारा तैयार किया गया है. यह अनपढ़ अपराधी उन तमाम लोगों को खत्म …

अभी क्यों आया चीनी निवेश को अपग्रेड करने का सुझाव

भारत-चीन आर्थिक संबंध किसी निश्चित रास्ते पर चलने का नाम ही नहीं ले रहे. 2020 में गलवान घाटी के टकराव के बाद भारत में चीन की आर्थिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए न केवल वहां से होने वाले आयात को परिसीमित करने के प्रयास किए गए थे बल्कि चीन के पूंजी निवेश को हतोत्साहित करने के लिए 2021 में …

संस्कृति और राष्ट्रीय मुक्ति हेतु चीनी क्रान्ति के ‘येनान जाओ’ की तर्ज पर भारत में ‘दण्डकारण्य जाओ’

सारांश : दंडकारण्य में जाने का आह्वान: एक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन. दंडकारण्य, जो मध्य भारत में स्थित है, एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का क्षेत्र है. यह क्षेत्र आदिवासी समुदायों का घर है, जो अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में, एक आह्वान किया गया है कि लोग दंडकारण्य में जाएं, जो …

छत्तीसगढ़ में माओवाद : लोगों के न्याय के बिना शांति नहीं

राज्य सरकार के ऑपरेशन प्रहार में नक्सलियों, कार्यकर्ताओं और निर्दोष ग्रामीणों की हत्याओं और गिरफ्तारियों में तेज वृद्धि देखी गई है. 82 वर्षीय अनुभवी राजनेता अरविंद नेताम ने कहा, बल का अत्यधिक प्रयोग प्रतिकूल साबित हो सकता है. ‘हमारे पूर्वजों ने जल, जंगल, ज़मीन की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी. आदिवासियों ने एक सदी पहले जल, जंगल और …

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किया इस जनविरोधी और कॉरपोरेटपरस्त बजट की प्रतियां जलाने का आह्वान

संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए 23 जुलाई 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2024-25 की कड़ी आलोचना की है, और इस वजट की प्रतियों को जलाने का आह्वान किया है. एसकेएम ने बताया कि किसानों और मजदूरों की कीमत पर कृषि के निगमीकरण और राज्य सरकारों के अधिकारों …

विश्वविद्यालयों में प्रतिभाओं की, गुणवत्ता की खुल्लमखुल्ला संस्थानिक हत्या होती है!

नए आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने स्वीकार किया है कि देश के विश्वविद्यालयों से डिग्री लेकर निकलने वाला हर दूसरा नौजवान किसी काम के लायक नहीं होता. यानी पचास प्रतिशत, कहें तो आधे डिग्रीधारी नौजवान किसी नौकरी के लायक नहीं होते. कुछ वर्ष पहले चैंबर ऑफ कॉमर्स ने यह अनुपात इससे भी भयानक बताया था. कहा गया था कि देश …

Karnataka State Shops and Establishments Act : यानी काम के 14 घंटे !

कर्नाटक सरकार आईटी लॉबी से घूस खाकर उनके एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिसके अनुसार आईटी सेक्टर में काम करने के समय को 10 घंटे से बढ़ा कर 14 घंटे करने का प्रावधान है. ज़ाहिर है कि एक बार इसे अगर Karnataka State Shops and Establishments Act में ला दिया गया तो इसका प्रभाव हरेक सेक्टर में पड़ेगा. …

सेलेक्टिव लेखन और पक्षधरता में बहुत बड़ा अंतर है

कायरो, क्या तुम बता सकते हो कि किस ईश्वर के आख्यान में डूबकर अपनी नसों में भरते हो यह घृणा ? वैसे मेरा निजी अनुभव तो यही है कि ईश्वर का नया नागर संस्करण, एक ध्वजा है, जो घृणा सिखाता है और हत्या के लिए उकसाता है ‘बसंत त्रिपाठी’ के यह कहते ही मेरे जेहन में सवाल कौंध गई कि …

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