जब भी ब्राह्मणवाद संकटग्रस्त होता दिखता है, कोई बाभन नए अवतारी भेष में सामने आता है. बुद्ध की चुनौती खत्म करने बाभन शंकराचार्य आया. रैदास-कबीर की चुनौती खत्म करने तुलसीदास दुबे आया. फुले-शाहू जी की चुनौती खत्म करने बाभन तिलक आया. अंबेडकर-पेरियार की चुनौती खत्म करने बाभन हेडगेवार-गोलवरकर और उनके चेले आए. इस समय दलितों-पिछडों और आदिवासियों की बनती एकता …
आरक्षण पर चन्द्रचूड़ : ब्राह्मणवाद जब जब संकटग्रस्त होता है, कोई बाभन अवतारी भेष में आता है
