'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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बंगलादेश की जनता को क्यों जनान्दोलन और विद्रोह का रास्ता अख्तियार करना पड़ा ?

मेरी नजर में बांग्लादेश में जो हुआ, वह एक विद्रोह और जनांदोलन था, जिसके केंद्र में चुनी हुई (कहने के लिए) तानाशाही का खात्मा और लोकतंत्र की पुनर्स्थापना था. ऐसे जनांदोलन में दक्षिणपंथी शक्तियां, विदेश शक्तियां और अपराधी अपनी-अपनी रोटी सेंकते हैं. वहां भी ऐसा हुआ. लेकिन मुख्य रूप से यह छात्रों के नेतृत्व में जनता के अन्य हिस्सों का …

उसे सब चाहिए, सब यानी सब…

उसे सब चाहिए. उसे सब चाहिए. सब यानी सब. जो दुनिया में है, वह भी और जो नहीं है, वह भी ! आकाश में सूर्य उसकी इजाजत से, उसकी सुविधा से निकले और डूबे, यह भी चाहिए. पक्षी कब और कितना चहचहाएं, कब भैंस पानी में जाए और कब और कितनी देर तक मुर्गी बांग दे, इसका निर्णय करने का …

बंगलादेश : बेरोज़गार युवाओं की लड़ाई व्यर्थ चली गई

बिना किसी आर्थिक हितों के भयंकर टकराव के किसी भी देश की स्थिति श्रीलंका या बांग्लादेश जैसी नहीं बन सकती है. बांग्लादेश के हालिया प्रतिक्रांति के पीछे चीन की विस्तारवादी नीति के साथ साथ भारत (मतलब अदानी) के आर्थिक हितों के बीच टकराव के साथ साथ अमरीकी सामरिक और आर्थिक हितों का टकराव भी है. इसे बहुत ध्यान से समझने …

दलित प्रश्न और प्रेमचन्द के आलोचक

सोशल मीडिया पर एक निरर्थक सी बात शुरू हुई प्रेमचंद की अमीरी-गरीबी को लेकर और फिर जल्दी ही ‘दलित-विरोधी’ और ‘जमीन्दार का मुंशी’ होने जैसे संगीन अभियोग लगाकर कतिपय साहित्यकारों ने फिर से उन्हें अदालत के कटघरे में ला खड़ा किया. ऐसा पहले भी, विशेष कर कुछ दलित लेखकों द्वारा किया जा चुका है और पहले की ही तरह इसबार …

शेख हसीना : बेटी ने अपना काम पूरा किया है…

बेटी ने अपना काम पूरा किया है…शेख हसीना 76 बरस की हो चुकी हैं. सत्ता में बीस बरस से ज्यादा हुए. एक लुंजपुंज और गरीब देश की कमान सम्हालने के बाद, उसे दक्षिण एशिया की इमर्जिंग इकॉनमी बनाने वाली हसीना की उपलब्धियां एक जीवन के लिए काफी हैं. इम्प्रेसिव हैं. हालांकि बंगलादेश के उभरने की कहानी 90 के दशक से …

बांग्लादेश के रूप में भारत ने कल एक अच्छा दोस्त खो दिया

बांग्लादेश के रूप में भारत ने कल एक अच्छा दोस्त खो दिया. एक ऐसा देश, जिसने लाख दबाव के बावजूद खुद को इस्लामिक कट्टरपंथी रास्ते पर नहीं जाने दिया. आप शेख हसीना के 15 साल के राज में बेशक तानाशाही को देख सकते हैं, लेकिन, देश की सत्ता को चीन जैसे घड़ियाल के मुंह में समाने से बचाने के लिए …

बांग्लादेश में यूं ही नहीं हुआ तख्ता पलट..किसकी साज़िश !

लडाई तो बहुत छोटी थी, लेकिन उसका परिणाम कुछ ऐसा होगा ये बंगला देश में कभी किसी ने सोचा नहीं होगा. 30% आरक्षण को खत्म करने की मांग के साथ युवा आंदोलनरत हुए. कॉलेज दर कॉलेज और यूनिवर्सिटी दर यूनिवर्सिटी छात्र जुड़ते चले गए. और उनकी मांग सिर्फ शुरुआत में यही नजर आई कि जो 30% आरक्षण सरकारी नौकरियों में …

अन्तर्राष्ट्रीय फ्रेंडशिप-डे : दुनिया के सबसे बड़े दोस्त क्रांतिकारी फ्रेडरिक एंगेल्स की याद में

अन्तर्राष्ट्रीय फ्रेंडशिप-डे दुनिया के सबसे बड़े दोस्त क्रांतिकारी फ्रेडरिक एंगेल्स की याद में हर साल मनाया जाता है. मार्क्सवाद, सर्वहारा वर्ग के दो महान नेता और मित्रों के संयुक्त उद्यम का परिणाम है. यही कारण है कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स के आजीवन मित्रता को सारी दुनिया ‘अन्तर्राष्ट्रीय फ्रेंडशिप-डे’ के रुप में मनाती है – सम्पादक वैसे तो दुनिया में …

अंधविश्वास – मुंशी प्रेमचंद

हिन्दू-समाज में पुजने के लिए केवल लंगोट बांध लेने और देह में राख मल लेने की जरूरत है; अगर गांजा और चरस उड़ाने का अभ्यास भी हो जाए, तो और भी उत्तम. यह स्वांग भर लेने के बाद फिर बाबाजी देवता बन जाते हैं. मूर्ख हैं, धूर्त हैं, नीच हैं, पर इससे कोई प्रयोजन नहीं. वह बाबा हैं. बाबा ने …

उत्तर प्रदेश की ‘नज़ूल’ ज़मीन से लोगों को उजाड़ने का योगी षड्यंत्र

योगी सरकार की उपलब्धि और कुछ हो ना हो मगर लोगों के घर उजाड़ने की उपलब्धि अवश्य है. हर कुछ दिन बाद किसी ना किसी का घर उजाड़ने का खेल खेला जा रहा है. कभी अपराध के नाम पर किसी का घर उजाड़ा जा रहा है तो कभी ग्रीन बेल्ट के नाम पर तो कभी भव्यता के नाम पर तो …

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