'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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वन नेशन वन इलेक्शन : सुल्तान का संवैधानिक मतिभ्रम

संवैधानिक मर्यादाओं की हाराकिरी करने भारत में अफीम के नशे से पीनक-युग पैदा हो गया है. फिलवक्त संविधान की पोथी राजनीतिक कशमकश के कारण हर नागरिक के हाथ में हथियार बनाकर पकड़ाए जाने का सियासी शगल चल रहा है. ज़्यादातर नेताओं, सांसदों, विधायकों को संविधान की अंतर्धारा की बारीकियों की सही जानकारी नहीं होती. संविधान उनके लिए झुनझुना है, जिसे …

गांधीवादी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार छत्तीसगढ़ के सुदूर जंगलों को शेष भारत से जोड़ते हैं

प्रसिद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार को गांधी के इस देश में छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस किस तरह परेशान कर रही है, इसका एक उदाहरण इस लेख में शामिल है. हालांकि इन उत्पीड़कों में अब सुप्रीम कोर्ट भी शामिल हो गया है, जिसने सच उजागर करने के जुर्म में उनपर 5 लाख का जुर्माना लगाया था. हिमांशु कुमार उन चंद पुलों …

पैलियो जिनॉमिक्स और स्वांटे पाबो : विलुप्त सजातीय जीवों का क्या कुछ हममें बचा है ?

स्वीडिश जीवविज्ञानी स्वांटे पाबो बिल्कुल बुनियादी जगह पर खड़े होकर इंसानों का इतिहास लिख रहे हैं. यह बुनियादी जगह है इंसान का आनुवांशिक ढांचा, जहां से उसका रंग-रूप, सोचना-बोलना, चलना-फिरना और काफी हद तक जीना-मरना भी निर्धारित होता है. विज्ञान के नोबेल अब अकेले व्यक्ति को कम ही मिलते हैं. चिकित्सा शास्त्र और शरीर क्रिया विज्ञान (फिजियॉलजी) के क्षेत्र में …

क्या आप इस समाज को बेहतर बनाने के लिए उतनी मेहनत कर रहे हैं, जितनी जरूरत है ?

कुछ वर्ष पहले मैंने दिल्ली से सहारनपुर तक पैदल यात्रा की थी. मुद्दा था चंद्रशेखर रावण की गैरकानूनी हिरासत का. उस यात्रा में मेरे साथ सिर्फ दो लोग आए थे. छत्तीसगढ़ से संजीत बर्मन और दिल्ली से कृष्णा. फेसबुक पर बड़े-बड़े कमेंट करने वाले लोग गायब ही रहे. एक सज्जन जो सहारनपुर से थे, वह काफी साल से मुझे कहते …

आजादी चरखे से नहीं आई, यह सच है…

छोटा सा अंदाजा लगायें. सन 2024 में देश में 1330 जेलें है, जिनमें 5.25 लाख कैदी है. यह तब, जब उनमें अधिकतम क्षमता से दो-तीन गुने कैदी हैं. तो सवाल यह कि सन 1920 या 1940 में देश मे कितनी जेलें होंगी ?? उन जेलों की कितनी क्षमता होगी ? याद रखिए देश की पॉपुलेशन, तब बत्तीस करोड़ थी. अगर …

जब यॉन मिर्डल ने सीपीआई (माओवादी) के महासचिव गणपति का साक्षात्कार लिया

यॉन मिर्डल और गौतम नवलखा ने जनवरी, 2010 में यह साक्षात्कार सीपीआई (माओवादी) के महासचिव गणपति से लिए थे. गणपति अब सीपीआई (माओवादी) के तत्कालीन महासचिव होने के साथ साथ सबसे बड़े सिद्धांतकार भी थे, जिन्होंने सीपीआई (माओवादी) की स्थापना में बड़ी भूमिका निभाई थी. यह साक्षात्कार उन्होंने सीपीआई (माओवादी) की स्थापना के 6 साल बाद दिये हैं. इस साक्षात्कार …

चित्रा मुद्गल : नाम बड़े और दर्शन छोटे

प्रेमचंद, यशपाल, जैनेंद्र जैन, रागेय राघव, राहुल सांकृत्यायन, कमलेश्वर, धर्मवीर भारती और शैलेश माटियानी सरीखे साहित्यकारों के अवसान के बाद हिंदी साहित्य में एक नयी पीढ़ी का उदय हुआ है. इस नयी पीढ़ी का चरित्र बहुत ही विचित्र रहा है. किसी भी भाषा और उसके साहित्य की सबसे बड़ी पूंजी उसका व्याकरण होता है, जो भावों और विचारों को सही-सही …

लाल बहादुर शास्त्री…संघी जीतेजी तो उन्हें हर दिन ‘हाय हाय, मुर्दाबाद, गद्दार, देश बेच दिया’ कहता रहा

उस रात, 1.20 पर शास्त्री सीने में दर्द और सांस में तकलीफ की शिकायत की. उनके निजी डॉक्टर इलाज करते हैं, पर 1.32 पर नब्ज थम जाती है. रूसी चिकित्सक भी आ जाते हैं, पर बेजान काया पर, हर कोशिश बेकार रही. पाकिस्तान ने उनके प्रधानमंत्री बनते ही, एक्टिविटी शुरू कर दी थी. पहले, कच्छ के रण पर हमला किया. …

किस चीज के लिए हुए हैं जम्मू-कश्मीर के चुनाव

जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए चली चुनाव प्रक्रिया खासी लंबी रही लेकिन इससे उसकी गहमागहमी और रंगबिरंगेपन में कोई कमी नहीं देखने को मिली. वोटिंग प्रतिशत भी इस राज्य में अबतक हुए चुनावों की तुलना में अच्छा ही कहा जाएगा. पूरे दस साल और तीन महीने बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए हैं लेकिन लोगों में इसे लेकर न कोई आलस्य …

पुरुष कवि सदानन्द शाही की स्त्री विषयक कविता

मित्रों, पिछले चार साल से आप ‘स्त्री दर्पण’ की गतिविधियों को देखते आ रहे हैं. आपने देखा होगा कि हमने लेखिकाओं पर केंद्रित कई कार्यक्रम किये और स्त्री विमर्श से संबंधित टिप्पणियां और रचनाएं पेश की लेकिन हमारा यह भी मानना है कि कोई भी स्त्री विमर्श तब तक पूरा नहीं होता जब तक इस लड़ाई में पुरुष शामिल न …

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