'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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नारेबाज भाजपा के नारे, केवल समस्याओं से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए है !

भाजपा के 2 सबसे बड़े नारे हैं – एक, बटेंगे तो कटेंगे. दूसरा, खुद प्रधानमंत्री का दिया हुआ ‘एक है तो सेफ हैं.’ लेकिन मणिपुर की बेकाबू हिंसा, झांसी मेडिकल कॉलेज में नवजात शिशु के जलकर मरने और दिल्ली में सांस तक न ले पाने के खतरनाक वायु प्रदूषण में इनके नारों वाला बटंना और एक नहीं रहना तो कहीं …

यूरोपीय और भारतीय किसान आन्दोलनों का गहरा सम्बन्ध

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जारी संघर्षों में, 2020-21 का भारत का किसान आन्दोलन 13 महीने तक चला. इसने एग्रो-बिजनेस कॉरपोरेशनों के खेती हड़पने और केन्द्र के केन्द्रीकरण के एजेण्डे वाले तीन कानूनों के खिलाफ जीत हासिल की. यह आन्दोलन शानदार तरीके से लड़ा और जीता गया था. इसने पूरी दुनिया में पूंजीवाद के खिलाफ, खास तौर पर किसान संघर्ष को, एक …

सुकमा : लक्ष्मी पुलिस कैंप का विरोध क्यों करती है ?

आज सुबह मेरे पास छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के गोमपाड़ गांव से लक्ष्मी का फोन आया. उसने बताया कि सिंगाराम से रामबाबू को पुलिस पकड़ कर ले गई है. इन दोनों के बारे में जानने से पहले हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ‘मूलवासी बचाव मंच’ पर प्रतिबंध लगाने के बारे में. अभी 2 दिन पहले एक आदेश जनता के …

इतिहास नीतीश जी को किस रूप में याद करेगा ?

नीतीश कुमार ने नौ मिनट के अपने भाषण में आठ बार नरेंद्र मोदी का नाम लिया और सात बार उन्हें धन्यवाद दिया. अपने भाषण के दौरान वे बार बार सामने की भीड़ का आह्वान करते रहे कि ‘मोदी जी के सम्मान में खड़े होकर वे उनका अभिनंदन करें, बिहार के विकास में मोदी जी लगे हैं, इसलिए उनका धन्यवाद करें.’ …

बिजली का निजीकरण : जनता के शोषण, उत्पीड़न का नया हथकण्डा

देश में बिजली की विभिषिका देश के तमाम मेहनतकशों का कमर तोड़ रही है. देश में सबसे मंहगे बिजली का उपभोक्ता यही मेहनतकश तबका है. क्या यूपी, क्या बिहार ! भाजपा शासित राज्यों का तो और भी बुरा हाल है. अभी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के एक बिजली इंजीनियर का फरमान वायरल है, जिसमें वह एक मीटिंग में यह इंजीनियर …

‘अक्साई चिन कभी भी भारत का हिस्सा नहीं था’ – ब्रिगेडियर. बी.एल. पूनिया (सेवानिवृत्त)

22 अक्टूबर 2024 को सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी का यह बयान कि भारतीय सेना और पीएलए, एलएसी पर विश्वास बहाल करने के तरीके तलाश रहे हैं, दुर्भाग्य से इसका गलत मतलब निकाला जा रहा है कि भारतीय सेना पीएलए या चीन को भरोसेमंद नहीं मानती है. यह आम धारणा को बढ़ावा देने के लिए बयान की गलत व्याख्या का …

विश्व मानव और विश्व सम्राट होने की राजनीति

कौन ईमानदार है, कौन बेईमान है इसे मीडिया द्वारा प्रचारित होना होता है. और इस सब प्रचार में मीडिया संस्थानों के मालिक अपने हितों की अनदेखी भला कैसे कर सकते हैं ! कम से कम देश दुनिया में चल रही छीना झपटी की राजनीति तो यही बयां कर रही है. जैसा कि पूंजीवादी व्यवस्थाओं का अपना एक मात्र मुनाफावादी चरित्र …

‘माओवाद, वर्तमान समय का मार्क्सवाद-लेनिनवाद है’, माओ त्से-तुंग की 130वीं जयंती के अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय माओवादी पार्टियों का संयुक्त घोषणा

महान मार्क्सवादी शिक्षक कॉमरेड माओ त्से-तुंग की 130वीं जयंती के अवसर पर दुनिया के माओवादी पार्टियों द्वारा 26 दिसम्बर, 2023 को एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया. उन्होंने इस संयुक्त घोषणापत्र के जरिए विश्व के सर्वहारा और उत्पीड़ित लोगों की एकजुटता का आह्वान करते हुए महान मार्क्सवादी शिक्षक कॉमरेड माओ त्से-तुंग को उनकी 130वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित किया. इसके साथ …

1917 की महान अक्टूबर क्रांति पर : संयासवाद नहीं है मार्क्सवाद

भारत में एक तबका है, जिसका मानना है कि कम्युनिस्टों को दुनिया की किसी चीज की जरूरत नहीं है. उन्हें फटे कपड़े पहनने चाहिए. सादा चप्पल पहननी चाहिए. रिक्शा-साइकिल से चलना चाहिए. कार, हवाई जहाज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. मोटा खाना और मोटा पहनना चाहिए. इस वेशभूषा में थोड़ी तरक्की हुई तो पाया कि नक्कालों ने जींस का फटा …

अन्तर्राष्ट्रीय उर्दू दिवस : नफरतों के दौर में मुहब्बत की जुबां

भारत की दुनिया को जो देन हैं, उनमें से एक बहुत हसीन देन का नाम है – उर्दू. एक ऐसी ज़बान जो भारत में जन्मी, यहीं जवान हुई और यहीं से उसके असर में दुनिया आई. आज जब ‘वर्ल्ड उर्दू डे’ है, यानि अंतरराष्ट्रीय उर्दू दिवस या यूं कहिए आलमी यौम ए उर्दू तो वह बात करनी चाहिए, जो इस …

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