'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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‘पेदरो परामो’ बनाम पेदरो परामो यानी जादू बनाम यथार्थ

1955 में प्रकाशित, ‘उआन रुल्फो’ (Juan Rulfo) के मशहूर उपन्यास ‘पेदरो परामो’ (Pedro Páramo) के बारे में किसी समीक्षक ने लिखा कि इस उपन्यास से गुजरना ठीक वैसे ही है जैसे किसी डिबिया को खोलना और यह पाना कि डिबिया तो खाली है, लेकिन इस डिबिया को जिस जिस ने इससे पहले खोला है, उन सबकी फुसफुसाहट इसमें कैद है. …

‘My Name Is Selma’ : यह सिर्फ़ उस यहूदी महिला की कहानी भर नहीं है…

98 साल की उम्र में यहूदी महिला ‘सेल्मा’ (Selma van de Perre) ने 2021 में इसी नाम से अपना संस्मरण लिखा. हिटलर के शासन के दौरान जर्मनी व यूरोप में 1933 से 1945 के बीच, यहूदियों की क्या स्थिति थी, इसका बहुत ही ग्राफिक चित्रण इस किताब में है. नीदरलैंड में एक मध्यवर्गीय यहूदी परिवार में जन्मी सेल्मा, जर्मन- राजनीति …

आउट ऑफ दिस अर्थ : खनन कम्पनियों व पूंजीवाद के काम करने के तरीकों और जनप्रतिरोध की तीखी पड़ताल

भारत के पूर्वी राज्यों विशेषकर उड़ीसा, छत्तीसगड़ और झारखण्ड में खनन कम्पनियों और वहां के मूल निवासियों के बीच संघर्ष की खबरें आती रही हैं. सरकार अपने चरित्र के अनुसार प्रायः कम्पनियों के साथ ही खड़ी नज़र आती है. जिन्होंने भी इन घटनाक्रमों को थोड़ा फालो किया होगा, वे ‘फेलिक्स पडेल’ और ‘समरेन्द्र दास’ का नाम जरुर जानते होगेे. लेखक …

‘खून की पंखुड़ियां’: एक परिचय

‘मैं मानता हूं कि जब तक एक भी व्यक्ति जेल में है, मैं भी जेल में हूं. जब तक एक भी व्यक्ति भूखा और नंगा है, मैं भी भूखा और नंगा हूं. फिर ऐसी हालत में एक पीड़ित व्यक्ति दूसरे पीड़ित व्यक्ति को अपमानित क्यों कर रहा है ? हम कम से कम इतना तो कर ही सकते हैं कि …

नवनीत पांडेय : ‘भले ही हम थोड़े हैं पर हथौड़े हैं’

यदि पाने की महत्वाकांक्षा से आप मुक्त हैं , तो खोने का मलाल भी आपमें नहीं रहेगा. तब आप स्वायत्त भी होंगे, और ईमानदार भी. आपकी वही स्वायत्तता आपको इतना मुखर बना देगी कि आप सबका ‘काट’ बन सकते हैं ! सबसे आंखें चार कर सकते हैं !! नवनीत पांडेय को जब भी देखा, मैंने इसी तरह से देखा. समकालीन …

क्रांतिकारी कवि वरवर राव की नजरबंदी त्रासदपूर्ण अन्याय रही !

सत्ता की कान में आसानी से कोई जूं रेंगती नहीं है. इसका यह आशय नहीं है कि एक अकेले आपके कहने से कुछ नहीं होगा. होगा, ज़रूर होगा, बस निकल पड़ने की कवायद तो कीजिए कारवां बन जाएगा. असहमत, हताश, निराश लोगों की उम्मीद तो बनिए. जद़ कि जत्थे में सब आएंगे, साथ आएंगे. भरोसा बनिए. यह दुनिया हमेशा आधी …

‘संकोफ़ा’ : क्योंकि इतिहास कभी अलविदा नहीं कहता…

‘ओपन वेन्‍स ऑफ लैटिन अमरीका’ जैसी चर्चित पुस्‍तक के लेखक ‘एडुवार्डो गैलीयानों’ ने कहीं इतिहास के बारे में लिखा है कि इतिहास कभी भी हमें अलविदा नहीं कहता, बल्कि कहता है – ‘फिर मिलेंगे.’ (History never really says goodbye. History says, ‘See you later.’) इस बार अफ्रीका के गुलामी वाले दौर के इतिहास से मुलाकात अमरीका में क्रान्तिकारी ब्‍लैक सिनेमा …

‘The Underground Railroad’ : स्क्रीन पर सांस लेता इतिहास

आज यह स्थापित बात है कि अधिकांश ‘मेडिकल साइंस’ और ‘एनाटोमी’ कालों के शरीर की चीरफाड़ करके और उनके शरीर पर खतरनाक मेडिकल प्रयोग करके विकसित हुआ है. जिस समय दक्षिण अमेरिका में गुलामी चरम पर थी, उसी समय एक गुप्त ‘The Underground Railroad’ नेटवर्क भी काम कर रहा था. जिसका इस्तेमाल करके काले गुलाम उत्तरी अमेरिका के उन राज्यों …

स्वामी सहजानंद सरस्वती की आत्मकथा ‘मेरा जीवन संघर्ष’ उनके जीवनकाल में क्यों प्रकाशित न हो सका ?

‘मेरा जीवन संघर्ष’ स्वामी सहजानंद सरस्वती की आत्मकथा (memory संस्मरण) की पुनरावृत्ति प्रो. अवधेश प्रधान के संपादन में ‘सेतु प्रकाशन’ द्वारा प्रकाशित, मुझे प्रेरित किया कि मैं ‘मेरा जीवन संघर्ष’ के प्रकाशन के इतिहास को लिख डालूं. इसी इतिहास में पुस्तक के इस संस्करण की भी समीक्षा निहित है. मैं और प्रो. वाल्टर हाउज़र ने ‘मेरा जीवन संघर्ष’ को संस्मरण …

‘Hitler and the Nazis: Evil on Trial’ : हमारे समय के लिए एक चेतावनी

पिछले दिनों ‘यूरोपियन यूनियन’ के चुनाव में दक्षिणपंथी पार्टियों को भारी बढ़त मिली है. फ़्रांस की ‘ली पेन’, इटली की ‘मेलोनी’ के साथ साथ जर्मनी की AfD पार्टी को भारी सफलता मिली है, जो अपने फासीवादी नजरिये के लिए जानी जाती है. भारत में मोदी ने अपना तीसरा टर्म शुरू कर दिया है और अमेरिका में पूरी संभावना है कि …

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