1955 में प्रकाशित, ‘उआन रुल्फो’ (Juan Rulfo) के मशहूर उपन्यास ‘पेदरो परामो’ (Pedro Páramo) के बारे में किसी समीक्षक ने लिखा कि इस उपन्यास से गुजरना ठीक वैसे ही है जैसे किसी डिबिया को खोलना और यह पाना कि डिबिया तो खाली है, लेकिन इस डिबिया को जिस जिस ने इससे पहले खोला है, उन सबकी फुसफुसाहट इसमें कैद है. …