'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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हरिशंकर परसाई की निगाह में भाजपा

कौन कहता है कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती ? अगर सलीके से काम लिया जाये और भारतीय जनता पार्टी वाली दिमाग और कार्यशैली हो तो काठ की हांडी की कौन कहें, कागज की हांडी या यौं कहें हवा की हांडी भी न केवल बार-बार चढ़ती है बल्कि उसमें भ्रष्टाचार की खिचड़ी भी बेमिशाल पकती है. आज से करीब …

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