'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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निजीकरण और व्यवसायीकरण की अंधी दौड़

कांग्रेस शासन काल में गरजने-बरसने वाली भारतीय जनता पार्टी जब भारत की सत्ता पर काबिज हुई, तुरन्त हीं कांग्रेस के छोड़े निजीकरण सहित सारे काम जो कच्छप चाल में रही थी, उसे न केवल पूरी तरह अपना लिया वरन जोर-शोर से लागू करना शुरू कर दिया. वे सारे एजेंडे जिसका भाजपा जमकर विरोध करती रही थी सत्ता में आते ही …

देश को देश की जनता चलाती है

नौ हजार करोड़ की विशाल धनराशि को लेकर भाग चुके माल्या पर भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरूंधति भट्टाचार्य ने हंसते हुए कहा था कि माल्या से एक-एक पाई वसूल करूंगी. परन्तु इतना समय बीत जाने के बाद भी इसे छोड़िये, भारत सरकार भी नहीं बता पा रही है कि आखिर माल्या से कितने धनराशि की वसूली हो पाई है. …

अविश्वसनीय चुनाव से विश्वसनीय सरकार कैसे बन सकती है ?

अभी-अभी पांच राज्यों में सम्पन्न हुये चुनावी नतीजों ने अपनी असली रंगत दिखा दी है. एक तरफ निर्दोष युवाओं की हत्याओं केे खिलाफ खड़ी इरोम शर्मिला का 16 वर्षों का संघर्ष था, जो महज 90 वोट पर आकर सिमट गई तो वहीं दूसरी तरफ युवाओं को नशे की ओर धकेलने वाला नशे का व्यापारी मजीठिया और लफ्फाजों की सरकार भारतीय …

‘‘थैंक्स फाॅर 90 वोट’’ के निहितार्थ

भारतीय सुरक्षा बल द्वारा मणिपुरी जनता की बेलगाम हत्या के विरूद्ध 16 साल से अनशन कर रही युवा मन की व्यथा का इससे ज्यादा और क्या मजाक हो सकता है कि शासकवर्गीय चुनाव में उसे महज 90 वोट की प्राप्ति होती है. इरोम को मिले महज 90 वोट इस चुनाव के भ्रष्टाचारमुक्त और जनपक्षीय होने के मूल चरित्र पर ही …

क्या चुनाव जनता को ठगने और मन बहलाने का एक माध्यम है?

कट्टर वामपंथी का कहना है कि चुनाव जनता को ठगने और मन बहलाने का एक माध्यम है, कि जनता को अगले पांच साल तक शासक वर्ग का कौन घड़ा लूटेगा इसका निर्धारण है, कि विश्व समुदाय के सामने अपनी दलाल नीति पर जनता की नकली वोट द्वारा केवल मोहर लगाने का एक स्टाम्प मात्र है. वर्तमान में पांच राज्यों में …

दिल्ली का आम बजट: विषैले पौधों की जड़ों में मट्ठा डालने की क्रिया

शायद हम उन खुशकिस्मतों में शामिल हैं जो देश में चल रहे संक्रमण काल के दौर में जी रहे हैं, जहां एक घोर अवसरवादी-दक्षिणपंथी सत्ता के बीच जनता की सत्ता सांस ले रहा है और एक अद्भुत सुखद हवा का संचार कर रहा है. एक सत्ता, जिनका प्रतिनिधित्व भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में थोड़े-थोड़े अंतर के साथ तमाम राष्ट्रवादी …

भ्रष्टाचार-मुक्त कार्य कम लागत में और जल्दी पूरे किये जा सकते हैं!

नई दिल्ली में एम0सी0डी0 द्वारा विगत 20 साल पहले से बनाये जा रहे एक पुल जो 70 करोड़ से बढ़कर अब 700 करोड़ की हो गयी है परन्तु अभी तक अधूरी है, का खबर आज देखने को मिला. ऐसे में एक परिचित के द्वारा वर्षों पूर्व की एक बातचीत याद आ गई. वे दिल्ली में एक ठीकेदार के अधीन काम …

भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश चुनाव के मायने

भारतीय जनता पार्टी के लिए, खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए उत्तर प्रदेश का चुनाव अभियान एक जीवन-मरण का प्रश्न बन चुका है. ऐसा भी नहीं है कि अगर उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी हार जाती है तो उनके प्रधानमंत्री के कुर्सी पर किसी प्रकार का खतरा मंडरायेगा. नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है. फिर सवाल उठता है कि क्यों …

प्रधानमंत्री का ब्यान और यू.एन.ओ. का संदेश

देश के प्रधानमंत्री के द्वारा दिये गये ब्यान की एक अहमियत होती है. उनके ब्यान को देश के लोगों के साथ-साथ विश्व समुदाय के लिए भी एक संदेश माना जाता है, जो अधिकारिक होता है. चुनावी रंग में बुरी तरह घुल-मिल चुके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इलाहाबाद के एक जनसभा में विरोधी पर निशाना साधते हुए जब मंच से ऐलान करते …

आशा की किरण आम आदमी पार्टी

भारतीय राजनीतिक पटल पर नया आयाम गढ़ते हुए आम आदमी पार्टी ने अद्भूत विश्वसनीयता के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज की है. अपनी स्थापना के महज 4 साल के छोटे से कार्यकाल में आम आदमी पार्टी जनता के उम्मीदों को पर लगा दी है. आम जनता धारा में चल रही पार्टी से जहां न केवल उब चुकी थी वरन् सारे उम्मीदों …

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