'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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एम.सी.डी. चुनाव और शासकीय राजनीति की अर्थी

भ्रष्टाचार और दलाली की पराकाष्ठा को कब का पार कर चुकी शासक वर्गीय पार्टियां अपने कंधों पर राजनीति की अर्थी को उठाये आज दिल्ली के आम आदमी के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है. शासकीय राजनीति पार्टी का सबसे बदबूदार चेहरा बन चुकी भारतीय जनता पार्टी एम0सी0डी0 को आगे कर दिल्ली को कूड़े के ढ़ेर पर बिठा रखा है और …

हमारा देश कहां जा रहा है?

…और उसे बी.एस.एफ. की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. बी0एस0एफ0 के जवान तेज बहादुर यादव को खाने में शिकायत करने के कारण काफी प्रताड़ना मिली. उसने स्वैच्छिक सेवावकाश की सिफारिश की, जिसे उच्चाधिकारी ने नकार दिया और अब उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. गनिमत है उसकी हत्या उन दूसरे सैनिक की तरह नहीं हुई जिन्होंने बेगारी प्रथा …

एम.सी.डी. का चुनाव और ठेंगे पर चुनाव आयोग

भारत के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे सनसनीखेज चुनाव अगर कोई है तो वह दिल्ली के एम0सी0डी0 जैसे छोटे निकायों का चुनाव. इस चुनाव पर राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर लोगों की निगाहें अगर जमी है तो इसका एकमात्र कारण आम आदमी पार्टी जैसे ईमानदार खेमे की मौजूदगी और अपनी चड्डी तक को सरे बाजार नीलाम करता चुनाव …

मसखरों का खेल है चुनाव

नक्सलवादियों ने डंके के चोट पर 1967 ई0 को घोषणा किया था कि भारत में चुनाव केवल मसखरों का खेल है, इसलिए इसका बहिष्कार करना चाहिए. नक्सलवादियों के इस घोषणा के साथ ही एक तरफ देश के तमाम शासक वर्ग जहां एकबारगी थर्रा उठा था वही देश की विशाल आबादी जागरूक भी हो गयी और हथियार उठा ली. इसका परिणाम …

आखिर अरविन्द केजरीवाल ही क्यों?

अक्सर मेरे मित्र सवाल करते हैं कि मैं आखिर अरविन्द केजरीवाल के समर्थन में क्यों लिखता हूं ? क्या और कोई नहीं है इसके अलावे ? कुछ मित्र तो दबे स्वर में यहां तक कह दिये हैं कि अरविन्द केजरीवाल से जरूर कोई आर्थिक मदद मिलती होगी. मित्र के सवाल उद्वेलित तो करते हैं पर उससे भी ज्यादा अहम् सवाल …

रामायण और राम की ऐतिहासिक पड़ताल

रामायण और महाभारत एक काल्पनिक साहित्य रचना है, न कि कोई इतिहास की गाथा. पर हम यह भी जानते हैं कि कोई भी रचना वगैर वस्तु केन्द्रित नहीं हो सकती है अर्थात्, कल्पना की उड़ान भी वस्तु की तुलना में ज्यादा ऊंची नहीं उड़ सकती. यही कारण है कि रामायण और महाभारत की कोई भी ऐतिहासिक तथ्य सीधे तौर पर …

दिल्ली एम.सी.डी. चुनाव और शुंगलु कमिटी की रिपोर्ट

जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने एल0 जी0 नजीब जंग को दिल्ली की चुनी हुई सरकार के ऊपर सर्वोच्च शासक का दर्जा दिया तब उत्साह से लबरेज एल0 जी0 नजीब जंग ने 30 अगस्त, 2016 ई0 को आनन-फानन में वी0 के0 शुंगलु को बुला कर तीन सदस्यीय कमिटी का गठन कर आम आदमी पार्टी के द्वारा किये गये कामों की फायल …

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