'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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गृहयुद्ध की चपेट में जाता देश

केन्द्र की मोदी सरकार ने अब तक इतिहास में देश की जनता को जितना ज्यादा भ्रमित करने और दिवास्वप्न में डाल रखा है. संभवतः इतना कारगर कोई दूसरा न हुआ होगा. इसके सबसे बड़े पहरूआ बन कर जिन ताकतों ने मोदी को सक्षम बनाया वह है भ्रष्ट दलाल मीडिया और दलाल चुनाव आयोग. इसने सेना को भी मोहरा बनाकर अपना …

दलाल चुनाव आयोग और उसका ‘‘हैकाथन’’

केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी की दलाली में नंगई पर उतारू दलाल चुनाव आयोग देश में लोकतंत्र की हत्या करने पर उतारू है. लोगों को मूर्ख बनाने के लिए वह देश में करोड़ों रूपये खर्च कर अब एक ड्रामा आयोजित कर रहा है. इस ड्रामें का नाम उसने रखा है – ‘‘हैकाथन’’. हैकाथन एक प्रतिष्ठित आयोजन का नाम है, जिसमें …

जनता के मोदी सरकार से 30 सवाल

नरेन्द्र मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में मीडिया घरानों ने जम कर तारीफों के पुल बांधे हैं वहीं दिल्ली के अरविन्द केजरीवाल सरकार की मीनमेख निकालते हुए जहां नरेन्द्र मोदी को अगले 2029 तक परिणाम के आने की बात करती है, वहीं अरविन्द केजरीवाल सरकार के कामों के लिए 2 साल की अवधि बहुत ज्यादा लग …

रोजगार: मोदी सरकार के तीन साल

जुमलों, लुभावनी नारे और झूठे आंकड़ों के सहारे तीन साल बीता देने का जश्न मनाते मोदी सरकार ने देश के युवाओं को एक अंध कुंआ में धकेलने का काम बखूबी किया है. 24 नवम्बर, 2013 के आगरा में आयोजित भारतीय जनता पार्टी के चुनावी सभा में प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी ने प्रतिवर्ष 1 करोड़ रोजगार पैदा करने की …

आरक्षण: एक जरूरी ढ़ांचागत व्यवस्था

आरक्षण भारतीय समाज में तब से लागू है जब से भारतीय समाज में राजसत्ता अस्तित्व में आयी है. सत्ता पर काबिज शक्तियां अपने स्थायित्व के खातिर जातिव्यवस्था को स्थापित किया, जिसकी मनुस्मृति में स्पष्ट व्याख्या की गयी है. ब्राह्मणवाद को स्थायित्व प्रदान किया गया और आरक्षण को शत् प्रतिशत स्थापित किया और शिक्षण को एक खास ब्राह्मण और सत्ता तक …

“बिन ईवीएम सब सून !”

ईवीएम के जादूई तिलिस्म अब अपना रंग छोड़ रहे हैं. कभी न टेम्परर्ड होने वाली ईवीएम मशीन ने वीवीपैट मशीन के लगते ही उसका जादुई तिलिस्मी रंग उतर गया है और अब बगल झांकने लगा है. कहा जाता है कि ईवीएम ने उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब और दिल्ली एमसीडी चुनाव में अपना तिलिस्मी रंग खूब दिखाया था. पर साॅफ्टवेयर …

मोदी सरकार के तीन साल: हाथ कंगन को आरसी क्या ?

केन्द्र की मोदी सरकार अपने तीन साल के कार्यकाल को अपने विदेशी दौरों और चुनावी मोड में रहकर पूरा करने का जश्न मना रही है वहीं देश की विशाल आबादी खुद से ही यह सवाल करते हुए अपना अपने दुर्दिन को कोसते हुए पूछ रही है कि ‘‘आखिर क्यों हमने इस सरकार को चुनाव में वोट दिया था ?’’ विदित …

प्रतिव्यक्ति वार्षिक आय: दिल्ली सरकार बनाम केन्द्र सरकार

जब केन्द्र सरकार की तुलना एक छोटे केन्द्रशासित प्रदेश की राज्य सरकार से होने लगे तब केन्द्र सरकार की भ्रष्ट और काॅरपोरेट परस्त दलाल नीतियां सहज ही सवाल के घेरे में आ जाती है, जिसे झुठलाने के लिए केन्द्र सरकार को काॅपोरेट घरानों के ही दलाल तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया को भारी धन देकर खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा …

‘‘आपकी पाॅलिटिक्स क्या है … ?’’

विश्व साम्राज्यवादी ताकतों के तत्कालीन अगुआ ब्रिटिश प्रधानमंत्री विन्सटन चर्चिल ने विश्व प्रतिक्रियावादियों को प्रशिक्षित करते हुए कहा है कि ‘‘जहां भी कोई लोकप्रिय आन्दोलन चल रहा हो, उस आन्दोलन में शामिल हो जाओ. सबसे ज्यादा सक्रियता दिखाते हुए आगे आ जाओ और फिर उस आन्दोलन का नेतृत्व करते हुए अपने मन मुताबिक उसे अपने उंगली पर नचाते हुए अपने …

धृतराष्ट्र चुनाव आयोग और उसकी ‘‘अनोखी ईवीएम’’

इतिहास के एक पन्ने में दर्ज है एक छोटी-सी घटना. अंग्रेजी हुकूमत देश पर राज कर रही थी और असम में गवर्नर कार्यालय को घेरे हुई थी अपनी मांगों के समर्थन में आक्रोशित लोगों का विशाल हुजूम. हकलान अंग्रेज इस समस्या से निजात पाने का तरीका सोच ही रहे थे कि गवर्नर ने एक शानदार सुझाव दिया. उसने आदेश दिया …

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