'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
Home ब्लॉग (page 68)

ब्लॉग

हिंसा से कौन डरता है ?

“यह अजीब बात है बल्कि षड्यंत्र है कि जब शोषित लोग लड़ने लगते हैं , तब ही यह शोर हो जाता है कि हिंसा हो रही है. शोषक वर्ग की हिंसा सिर्फ ‘ला एंड आर्डर प्राब्लम’ कहलाती है . शासन की हिंसा संवैधानिक बन जाती है .” – हरिशंकर परसाई हिंसा का सबसे बड़ा पैरोकार यह शासक वर्ग अपने शोषण …

ब्राह्मणवादी सुप्रीम कोर्ट के फैसले दलित-आदिवासी समाज के खिलाफ खुला षड्यन्त्र

कानून सत्ता की रखैल है, एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने साबित कर दिया है. इसके साथ ही यह भी कि साफ कर दिया है कि कानून केवल कमजोर, दलित समुदायों और प्रगतिशील ताकतों के ही खिलाफ मुस्तैदी से काम करेगी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट जैसे ब्राह्मणवादी संस्था के खिलाफ देश के कमजोर, दलित समुदायोंं और प्रगतिशील ताकतों का आक्रोश …

भाजपा के दंगे भड़काने का कुत्सित षड्यंत्र

वक्त जैसै-जैसै सरकता जा रहा है, भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव का डर सालने लगा है. उसके सारे वादे जुमले साबित हो चुके हैं. सारी नीतियां जनविरोधी और देशद्रोहपूर्ण साबित हो चुके हैं. जितनी बड़ी तादात में देश के बैंकों से हजारों-लाखों करोड़ रुपए लेकर भागने की घटना हुई और होती जा रही है, मोदी सरकार की विश्वसनीयता ही खत्म …

जवानों के नौकरी छोड़ने की रफ्तार में अप्रत्याशित बढ़ोतरी

गृह मंत्रालय से राज्यसभा में पूछे गए प्रश्न कि ”क्या वर्ष 2015 की तुलना में वर्ष 2017 में अपनी नौकरी छोड़ने वाले अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों और जवानों की संख्या में लगभग 500% की वृद्धि देखी गई है ?” के जवाब में गृह मंत्रालय ने लिखित जानकारी देते हुए बताया कि ”वर्ष 2017 में अपनी नौकरी छोड़ने वाले केंद्रीय सशस्त्र …

भाजपा की दलाली में हास्यास्पद हो गया है चुनाव आयोग

भारत में चुनाव आयोग की निर्थकता इससे ज्यादा और क्या हो सकती है कि कर्नाटक में होनेवाली विधानसभा चुनाव के तिथि की घोषणा चुनाव आयोग के बजाय भाजपा का आई टी सेल प्रभारी करता है. इसी के साथ भारत में चुनाव आयोग भाजपा के आदेशों को पालन करने वाली एक संस्था मात्र रह गई है, जिसकी विश्वसनियता आम आदमी के …

डाटा की खरीद-बिक्रीः बड़े मुद्दों से ध्यान भटकाने का योग

अर्ध सामंती, अर्ध औपनिवेशिक राष्ट्र की यह विशेषता होती है कि उसका शासक अपनी ही जनता की हत्या करता है, उसके सम्पत्तियों को लूटता है और साम्राज्यवादियों के सामने दुम हिलाता है. इसमें मजे की बात यह होती है कि शासक यह सब देशहित के नाम पर करता है. चूंकि अर्ध सामंती राष्ट्र की दूसरी विशेषता यह भी होती है …

फासिस्ट भाजपा के निशाने पर क्यों है जेएनयू ?

मीडिया, खासतौर पर सोशल मीडिया पर सक्रिय भाजपा के आई टी सेल के द्वारा देश भर में चलाए जा रहे बेहद आक्रामक दुश्प्रचार का सबसे बड़ा निशाना जेएनयू के छात्र बनते हैं. इसके बाद भी जब भाजपा और उसके सैकड़ों अनुषांगिक संगठनों के इस दुश्प्रचार को देश की जनता खारिज कर देती है तब जेएनयू के छात्रों से निपटने के …

इराक में भारतीय मजदूरों की हत्याः जब भारत सरकार अपने ही नागरिक के बयान पर यकीन नहीं की

इराक में 39 भारतीय मजदूरों की आईएसआईएस द्वारा की गई निर्ममतापूर्वक हत्या के एकमात्र चश्मदीद गवाह के बयान पर भारत की मोदी सरकार को यकीन नहीं हुआ. यह कोई पहला मामला नहीं है जब भारत की मोदी सरकार अपने ही नागरिकों और संस्थाओं पर यकीन नहीं की है. इससे पहले भी पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमलों की जांच भारतीय …

एफआरसीए, 2010 संशोधन विधेयक: भ्रष्टाचार पर भाजपा की ‘जीरो-टाॅलरेन्स’ नीति

आम आदमी पार्टी के 2 करोड़ के ‘‘विदेशी चंदे’’ पर बबाल काटने वाली भाजपा, कांग्रेस और भाजपा के स्पीलर एजेंट कपिल मिश्रा को जब भ्रष्टाचार के मामले में आम आदमी पार्टी को फंसाने के लाख जतन करने के बाद भी जब आम आदमी पार्टी पर कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ, उल्टे इस लपेटे में खुद कांग्रेस और भाजपा आ …

माफीनामाः अरविन्द केजरीवाल के सधे कदम

दुनिया भर के इतिहास में भ्रष्ट, जनविरोधी और शक्तिशाली सत्ता के खिलाफ जंग हमेशा से ही बेहद कष्टकारी प्रक्रिया रही है. शक्तिशाली सत्ता दिन में 18 बार झूठ बोल कर भी टिकी रहती है, वही उसके खिलाफ लड़ रही आम आदमी की सत्ता दिन में 24 बार सफाई देकर भी मुसीबत में रहती है. ऐसे में दुनिया के तमाम राजनीतिक …

1...676869...84Page 68 of 84

Advertisement