'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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बेशर्म अमित शाह ने कहा – ‘मोदी चाय वाला, गरीब आदमी’, लोगों का फूटा आक्रोश

‘चोर-चोर मौसरा भाई’ वाली लोक कहावत यूं ही नहीं कही गई है. यह भारतीय जनता पार्टी पर सटीक बैठ रही है. संसद में एक हत्यारा छाती ठोक कर कहता है कि ‘एक अकेला सब पर भारी है.’ तो वहीं दूसरा तड़ीपार ऐलान कर रहा है कि ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक चाय बेचने वाले घर से आते हैं. वह देश को …

नवनाजी यूक्रेन, अमेरिकी साम्राज्यवाद और नाटो गैंग के खिलाफ ‘जंग’ का एक साल

यूक्रेन में रुस के स्पेशल सैन्य ऑपरेशन को 24 फरवरी को एक साल पूरा हो गया है. अमेरिकी साम्राज्यवाद और नाटो गिरोह के 30 देश (रुसी राष्ट्रपति पुतिन के अनुसार 80 देश) मिलकर बड़े पैमाने पर हथियार, गोला-बारूद और सैन्य सहायता नवनाजी जलेंस्की को देकर छिपकर रुस को तबाह-बर्बाद करने के दीर्घकालिक अभियान में जुटा हुआ है. इस स्पेशल ऑपरेशन …

असम में बाल विवाह विरोधी मुहिम का संघी आतंक

अच्छे काम को बुरे ढंग से कैसे किया जाता है, भाजपा-आरएसएस एक मिसाल है. वह हर काम को ऐसे करती है कि लोगों में आतंक फैल जाता है, फलतः लोग विरोध में खड़े हो जाते हैं. लोग थूकने लगते हैं तब वह जनता को ही देशद्रोही बताने लगता है या यू-टर्न मार लेता है. दरअसल भाजपा का उद्देश्य उस समस्या …

समाजवाद और धर्म निरपेक्षता के बहाने संविधान पर हमले क्यों ?

1976 में भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से जोड़े गए थे. भाजपा-आरएसएस समर्थित दो वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका के माध्यम से इन्हें हटाने की मांग करते हुए कहा था कि ‘यह संशोधन भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विषय-वस्तु के विपरीत था.’ समाजवाद क्या है ? समाजवाद एक …

यूक्रेन युद्ध का क्या परिणाम होगा – तीसरा विश्वयुद्ध या जलेंस्की वध ?

लोग सोचते हैं यूक्रेन युद्ध का क्या परिणाम होगा ? क्या यह विश्वयुद्ध में परिणत हो जायेगा या रूस पराजित हो जायेगा ? सच्चाई यह है कि ऐसा कुछ भी होने नहीं जा रहा है. यूक्रेन युद्ध का ऐसा कोई भी परिणाम नहीं निकलने जा रहा है जो रूस को पराजित कर दें या तीसरा विश्वयुद्ध छिड़ जाये. अगर विश्वयुद्ध …

हिंडनबर्ग के वो 88 सवाल जिसने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अडानी समूह, मोदी सरकार और उसके अंधभक्तों के गोरखधंधों को नंगा किया

हिंडेनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट का मानना है कि अडानी समूह दिन के उजाले में बड़ा और खुला फ्राड करने में सक्षम है क्योंकि निवेशक, पत्रकार, नागरिक और यहां तक कि राजनेता भी बदले की कार्रवाई के डर से उसके खिलाफ बोलने से डरते हैं. हिंडेनबर्ग फर्म ने अडानी समूह से 88 सवालों पर जवाब मांगा है, जिसमें आखिरी के 3 सवाल …

भारत में मजदूर वर्ग की दुर्दशा और भरोसेमंद नेतृत्व

जनता के साथ संपर्क, इन संपर्कों को सुदृढ़ बनाना, जनता की आवाज़ सुनने के लिए तत्पर रहना, इसी में बोल्शेविक नेतृत्व की शक्ति और अजेयता रहती है. इसे एक नियम के रूप में माना जा सकता है कि जब तक बोल्शेविक व्यापक जनता के साथ संपर्क रखते हैं, तब तक वे अजेय बने रहेंगे. और इसके विपरीत, बोल्शेविकों के लिए …

आध्यात्म के नाम पर सत्ता का फासीवादी प्रयोग

भारत मूर्खों का देश है और इस मूर्खता को बनाये रखने के लिए शासक वर्ग लाखों करोड़ रुपया हर साल खर्च करता है. 1947 में बनी सरकार और उसके बाद लागू हुए भारतीय संविधान ने बेशक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने हेतु कुछ कार्य किया था, लेकिन बीतते वक्त के साथ यह प्रयास कमतर होता चला गया और आज नौबत …

गोड्डा : अडानी पावर प्लांट के लिए ‘भूमि अधिग्रहण’ के खिलाफ आदिवासियों का शानदार प्रतिरोध

इस देश के मूलवासी – आदिवासी, तमाम कायर, अकर्मण्य लोगों के अकर्मण्यता की कीमत अपने खून से चुका रहे हैं. देश के देशी-विदेशी गठजोड़ से संचालित देश के संसाधनों की लूट के खिलाफ एकमात्र आदिवासी ही वह समुदाय है जो पूरी दृढता से जल, जंगल, जमीन की लड़ाई को हमेशा से जारी रखे हुए हैं, चाहे वह बस्तर (छत्तीसगढ़) के …

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