'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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माओवादियों ने दांतेवाड़ा में आदिवासी ग्रामीणों पर नृशंस हमला करनेवाले डीआरजी के 10 कुख्यात गुंडे मार गिराये

दांतेवाड़ा में आज डीआरजी के 10 गुंडों को माओवादियों ने मार गिराया है. इन गुंडों के मरते ही इन गुंडों के सरगना में हड़कंप मच गया. भांय-भांय बयानबाजी जारी होने लगा. प्रधानमंत्री के पद पर मौजूद इन गुंडों के सरगना नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री बघेल आननफानन में श्रद्धांजलि अर्पित करने लगा. इसलिए नहीं कि इसे मारे गये डीआरजी के गुंडों से …

मुस्लिम अक्रमणकारियों से इतनी ही घृणा है आपको तो सबसे पहले हिंदू शब्द का त्याग कर देना चाहिए…!

देखिए, एक बात आप लोग जान लीजिए कि हिंदू कोई धर्म नहीं है…! ये बात मैं नहीं कह रही. ये बात 11 दिसंबर 1995 को सुप्रीम कोर्ट ने कही थी… और तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा जारी की गई दूसरी याचिका में भी 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी बात वापस नहीं ली…! हिंदू शब्द की खोज तो विनायक दमोदर सावरकर ने …

हिन्दू राष्ट्र में अतीक अहमद के हत्यारों को बचाने की पृष्ठभूमि तैयार हो गई ?

तो अब अतीक अहमद के हत्यारों को बचाने की पृष्ठभूमि तैयार हो गई है. इस पृष्ठभूमि को समझने के लिए हमें न्यायपालिका और मीडिया के बदलते चरित्र को समझ लेना चाहिए, जो आज के समय में सीधे तौर पर सत्ता के इशारे पर बंदरकूद कर रहा है. मसलन, गुजरात की एक सत्र अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ वाले बयान पर एक …

पुलवामा कॉन्सपिरेसी पर सतपाल मलिक के खुलासा से क्या बदलेगा ?

जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सतपाल मलिक अपने बयान में जो कुछ भी कहें हैं वह कोई नई बात नहीं है. ऐसा भी नहीं है कि उन्होंने कोई गुप्त बात कह दिये हों. यह तमाम बातें देश के तमाम लोगों के बीच संज्ञान में है और वे इन तथ्यों पर अपनी मजबूत राय रखते हैं. पूर्व गवर्नर सतपाल मलिक ने …

मीडिया वालों, कलम छोड़ दो कट्टे थाम लो….!

देखिए मीडिया की डिमांड है कि मुख्तार अंसारी की मई में हत्या होनी चाहिए…! अतीक का चालीसवां होने तक की समाई नहीं है भाई रेडियो रवांडा को….जबकि अतीक के कत्ल की जिम्मेदार मीडिया ही है…! मीडिया ने मीडिया ट्रायल चलवा-चलवा कर अतीक को मरवा दिया….! मीडिया वालों, कलम छोड़ दो कट्टे थाम लो….! Read Also – मुझे अतीक अहमद से …

मुझे अतीक अहमद से पूरी हमदर्दी है क्योंकि …

मुझे अतीक अहमद से पूरी हमदर्दी है, जी हां हमदर्दी है… क्योंकि अतीक एक सेक्युलर राजनीति के पक्षधर थे. इलाहाबाद की रामलीला कमेटियां इसकी गवाह है, या वो बहुजन वर्ग जिनके एडमिशन से लेकर पढ़ाई तक, जिनके पॉकेट मनी से लेकर शादी विवाह तक का खर्च अतीक उठाते थे, वो भी बिना जाति धर्म देखे…! मुझे अतीक की मौत का …

इस्लामोफोबिया महामारी : सच में ये मुल्ले नहीं सुधरने वाले…!

कुदरत ने बड़ा खूबसूरत दिल दिया है भारतीय मुसलमानों को….! दिन भर गाली खाते हैं लेकिन सारी अच्छाई का ठेका अपने कन्धों पर उठाए हैं….! लॉकडाउन में मजदूरों के विस्थापन के समय खाने की पैकेट और पानी के बोतल बांट रहे थे….और फिर से कोरोनाकाल में लोगों की जिंदगी बचाने मस्जिदों को कोविड सेंटर में बदल रहे थे….! जहांगीरपुरा मस्जिद, …

हम दु:खी हैं न्यायपालिका, लोकतंत्र और लॉ एंड ऑर्डर की हत्या पर….

ओए हैलो…! ओए माफिया का अंत जरूरी था, माफिया से कैसी हमदर्दी का ज्ञान देने वाले भाई साहब…! शर्म करिए…! कोई अतीक के लिए नही रो रहा …., हम दु:खी हैं न्यायपालिका, लोकतंत्र और लॉ एंड ऑर्डर की हत्या पर…. अतीक पर कोई दु:ख नहीं है हमें….! हमें क्या, अतीक की आत्मा को भी दु:ख नहीं खुद के मरने का …

खुलकर कहिए न कि आप महिलारूपी वस्तु चाहते हैं…?

कल से देख रही हूं, कुछ सभ्य संस्कारी लोग कह रहे हैं कि उनकी नजर में लिव इन रिलेशनशिप का सीधा मतलब है – रखैल…! पर भईया ये तो स्त्री के लिए हुआ न, पुरुष को क्या कहेंगे….? ये भी तो बता दीजिए…? जब लिव इन रिलेशनशिप में दोनों हैं तो गाली भी दोनों के लिए ईजाद होनी चाहिए न…! …

असद फेक एंकाउंटर का घटिया स्क्रिप्ट…ये महापाप है !

सामने से पुलिस टीम के आने की बात की गई है जबकि सामने ऊंची दीवार है जिससे वाहन को इस पार लाना सम्भव नहीं है. 41 गोलियां चलाई गई जिसमें से एक भी मोटरसाइकिल में नहीं लगी. कच्चे रास्ते पर मोटरसाइकिल इतनी दूर तक इतनी स्पीड में गई कैसे. STF के अनुसार कानपुर-आगरा-दिल्ली होते हुए झांसी आए वो भी बिना …

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