'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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माओवादियों के एक साधारण प्लाटून सदस्य के साथ साक्षात्कार

मैं अपनी बात कहने के बजाय यहां एक साक्षात्कार के साथ आपका परिचय कराना चाहूंगा. यह साक्षात्कार लेने का मौका मुझे महज संयोग से प्राप्त हुआ था. यह साक्षात्कार पलामू जिले के विश्रामपुर थाना क्षेत्र में मौजूद एक क्रांतिकारी पार्टी सीपीआई (माओवादी) के एक प्लाटून सदस्य रवि से लिया था. जब साक्षात्कार लिया गया था तब सीपीआई (माओवादी) का गठन …

मोदी सरकार में ‘आपदा को अवसर’ में बदलने वाले मोदी के गुंडा गैंग एनआईए के खिलाफ जागरूक हों !

भारत की सत्ता पर काबिज मोदी सरकार ने ‘आपदा को अवसर’ में बदलने का नारा क्या दिया, सरकार के तमाम अंग ‘आपदा’ को भुनाने में लग गया. जहां आपदा नहीं है, वहां भी आपदा को पैदा कर दिया. यूं तो भारत सरकार के तमाम अंग सुप्रीम कोर्ट से लेकर सीबीआई, पुलिस, ईडी के कारनामे आये दिन खबरों की सुर्खियां बनाते …

संघियों का नया सूत्र : बलात्कार एक पवित्र कार्य, बलात्कारियों का महिमामंडन और भगत सिंह का विरोध करना

विश्वविद्यालय शिक्षण संस्थान का उच्चतम रुप होता है, जहां अंतिम तौर पर देश के भविष्य के नीति-नियंताओं को गढ़ा जाता है. यहां से निकलने वाले युवा ही भविष्य का निर्धारण करते हैं. विगत के एक दशक से विश्वविद्यालयों से जिस तरह के नीति-नियंताओं का निर्माण कर देश में डाला जा रहा है, उसकी एक झलक साफ-साफ अब दीख रही है. …

स्मार्ट मीटर पर बबाल : नीतीश सरकार जबरन लगायेगी स्मार्ट मीटर, 1 अक्टूबर को प्रदेश भर में राजद का प्रदर्शन,

स्मार्ट मीटर पर बबाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. राजद जहां स्मार्ट मीटर के खिलाफ 1 अक्टूबर से समूचे बिहार में प्रदर्शन करने की तैयारियां कर रही है, वहीं, नीतीश कुमार की सरकार स्मार्ट मीटर वाली कम्पनियों के पक्ष में सीएमडी ने सभी जिलाधिकारी को जबरन बलप्रयोग के सहारे स्मार्ट मीटर लगाने की बात कर रही है. राजद …

Gaslighting : भारतीय को मोरबी पसंद है !

‘गैस लाइटिंग (Gaslighting) – यह शब्द साल 2022 के वर्ड ऑफ द इयर (Word of The Year) है. यह कोई नया शब्द नहीं है, इसकी खोज करीब 80 साल पहले हुई थी लेकिन इसके इस्तेमाल में पिछले कुछ सालों में अभूतपूर्व लोकप्रिय हुई है. यही कारण है कि इस खास शब्द को इस टाइटल से नवाजा गया है. कहा जाता …

‘प्रसादम्’ में गाय की चर्बी है या अडानी की चर्बी ?

देश में अचानक तिरुपति के मंदिर के लड्डू, जिसे ‘प्रसादम्’ कहा जाता है, में गाय की चर्बी और मछली का तेल मिले होने की बात प्रकाश में आई. भाजपाइयों और संघियों ने मुद्दा बनाने के लिए खूब तुरही बजाये, लेकिन अचानक से भाजपा-आरएसएस के तुरही बजने बंद हो गये. अचानक से ये तुरही बजने बंद क्यों हो गये ? कभी …

स्मार्ट मीटर की धांधली और 200 यूनिट फ्री बिजली की मांग को लेकर 1 अक्टूबर से राजद का प्रदेश भर में आंदोलन

बिहार की सबसे बजबजाती हुई समस्याओं में से एक स्मार्ट मीटर के नाम पर हो रहे लूट के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल की ओर से आज ऐक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया गया है कि राज्य के सभी प्रखंड मुख्यालय पर 01 अक्टूबर, 2024 को आन्दोलन किया जायेगा. राजद की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए जगदानन्द सिंह ने बताया कि …

झारखंड उच्च न्यायालय में केंद्र ने माना कि संथाल परगना में हाल के ज़मीन विवाद के मामलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का जुड़ाव नहीं

झारखंड जनाधिकार महासभा सिमडेगा जिला संयोजक सह ठेठईटांगर जिप सदस्य अजय एक्का ने आज प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ मामले में झारखंड उच्च न्यायलय में केंद्र सरकार ने 12 सितम्बर 2024 को दर्ज हलफ़नामा में माना है कि हाल के ज़मीन विवाद के मामलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का जुड़ाव स्थापित नहीं हुआ है. उच्च …

लैटरल एंट्री माने मनुवाद की स्थापना, मनुस्मृति की वापसी हो रही है !

लैटरल एंट्री माने मनुवाद की स्थापना. मनुस्मृति की वापसी हो रही है. अभी वक्त है संभल जाओ – जगदीश्वर चतुर्वेदी भारत में ब्राह्मणवाद का सबसे संगठित स्वरूप आरएसएस, जो संघ  के संक्षिप्त रूप में कुख्यात है. और उसी कुख्यात संघ का ऐजेंट है नरेन्द्र मोदी. यानी ब्राह्मणवाद का सबसे कुख्यात चेहरा है नरेन्द्र मोदी, जो भारत के प्रधानमंत्री बने हुए …

2,00,000 पुरुष कंडोम, 20,000 महिला कंडोम और 10,000 डेंटल डैम पेरिस ओलंपिक विलेज में

‘द गार्जियन’ के स्तम्भकार अरवा महदावी के प्रकाशित इस लेख से पता चलता है कि ओलंपिक खेलों में आयोजकों और खिलाड़ियों के मदद के नाम पर पहुंचे लोगों की अय्याशियों के लिए कितना विशाल व्यवस्था किया जाता है. वह बताती हैं – ‘ओलंपिक में सेक्स भले ही आधिकारिक अनुशासन न हो, लेकिन ऐसा ज़रूर लगता है कि पेरिस ज़ोरदार इनडोर …

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