कश्मीर दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य तैनाती वाला इलाका है, जहां आये दिन भारत सरकार के इशारे पर कश्मीरियों के मानवाधिकार को कुचला जाता है. फर्जी मनगढ़ंत कहानी गढ़कर भारतीय सैनिकों के द्वारा उनकी हत्या की जाती है. उनके विरोध प्रदर्शन करने पर उनपर गोलियां चलाईं जाती है, पिटाई की जाती है, जेलों में बंद किया जाता है.
भारतीय इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब भारतीय सैनिकों के इन अमानवीय हमलों के खिलाफ ब्रिटिश पुलिस में भारतीय गृहमंत्री अमित शाह और भारतीय सेना के प्रमुख नरवणे समेत अन्य सैन्य प्रमुखों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है, जिस कारण पहले ही मानवाधिकार हनन और धर्म आधारित नरसंहार का आरोप झेल रहे मोदी सरकार के कारण भारत की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर छवि और धुमिल हुई है. हलांकि निर्लज्ज और जनविरोधी केन्द्र की मोदी सरकार पर इस मुकदमा का क्या असर पड़ता है, यह देखना दिलचस्प होगा.
ताजा रिपोर्ट के मुताबिक़ यूनाइटेड किंगडम पुलिस को जम्मू और कश्मीर में युद्ध अपराधों को लेकर भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को गिरफ्तार करने का अनुरोध प्राप्त मिला है. पाकिस्तान व तुर्की ने अपनी शिकायत के कथित रूप से कश्मीर में रह रहे दो हजार लोगों के बयान वाली रिपोर्ट लंदन पुलिस को सौंपी है. दावा किया गया है कि यह कश्मीर में भारत द्वारा किए जा रहे युद्धापराध और हिंसा का सुबूत है.
ब्रिटेन स्थित एक कानूनी फर्म स्टोक वाइट ने भारतीय चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, गृहमंत्री सहित आठ और टॉप सैन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और नागरिकों के खिलाफ अपराधों में उनकी कथित भूमिका को लेकर कार्रवाई करने के लिए मेट्रोपॉलिटन पुलिस की युद्ध अपराध इकाई को सबूत सौंपे हैं. बताया जा रहा है कि कानूनी फर्म की यह रिपोर्ट 2020 और 2021 के बीच 2000 से अधिक साक्ष्यों पर आधारित है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह मानने का मजबूत कारण है कि भारतीय अधिकारी जम्मू और कश्मीर में नागरिकों के खिलाफ युद्ध अपराध और अन्य हिंसा कर रहे हैं.’ कानूनी फर्म की जांच ने सुझाव दिया कि कोरोनावायरस महामारी के दौरान दुर्व्यवहार और खराब हो गया है.
इसकी रिपोर्ट में पिछले साल भारत के आतंकवाद विरोधी अधिकारियों द्वारा क्षेत्र के सबसे प्रमुख अधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी के बारे में विवरण भी शामिल था. 42 वर्षीय परवेज ने सिविल सोसाइटी के जम्मू और कश्मीर गठबंधन के लिए काम किया, जिसने भारतीय सैनिकों द्वारा हिंसा और यातना के उपयोग के बारे में व्यापक रिपोर्ट लिखी है.
रिपोर्ट के अन्य हिस्सों में पत्रकार सज्जाद गुल की चर्चा है, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में एक विद्रोही कमांडर की हत्या का विरोध करने वाले परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों का एक वीडियो पोस्ट करने के बाद गिरफ्तार किया गया था.
खलील दीवान द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक कश्मीरी को दो इजरायली खुफिया अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किया गया था. पीड़ित ने एसडब्ल्यूआई-यूनिट को बताया है कि पूछताछ करने वाले भारतीय मूल के नहीं थे. वे वाइट थे और वह अमेरिकी एक्सेंट में बात कर रहे थे. वे विदेशी मामलों पर मेरे विचार जानना चाहते थे और कश्मीर संघर्ष में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी.
लॉ फर्म स्टोक व्हाइट ने बताया कि उन्होंने मेट्रोपॉलिटन पुलिस की वॉर क्राइम्स यूनिट में कई सुबूत जमा किए हैं. फर्म का दावा है कि ये सुबूत इशारा करते हैं कि कश्मीर में एक्टिविस्टों, पत्रकारों और आम नागरिकों के अपहरण, उन्हें प्रताड़ित करने और उनकी हत्याओं के पीछे जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के नेतृत्व वाली भारतीय सेना और देश के गृहमंत्री अमित शाह जिम्मेदार हैं.
40 पेज के इस रिपोर्ट में टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत पर पाकिस्तान की जीत का समर्थन करने के लिए कश्मीरी छात्रों की गिरफ्तारी का भी जिक्र किया गया है. भारत द्वारा इजरायली रक्षा बलों और अमेरिका से MQ-1 प्रीडेटर से चार हेरॉन ड्रोन के अधिग्रहण की बात की गई है, इसे लेकर कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर में खुफिया, टोही और निगरानी मिशनों के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा.
तुर्की की लॉ फर्म का दावा है कि उसकी एक जांच यूनिट है जो जनहित से जुड़े मामलों की जांच करती है. उसने ‘इंडिया वार क्राइम इन कश्मीर’ को लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस की युद्ध अपराध शाखा को सौंपा है. इसमें भारत के गृहमंत्री और सेना प्रमुख को गिरफ्तार करने की मांग की गई है.
लॉ फर्म की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा गया है कि, ‘इस बात के पुख्ता सबूत है कि भारतीय प्रशासन जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों के खिलाफ वॉर क्राइम और अन्य हिंसक अपराध कर रहा है’. लंदन पुलिस के पास इसकी शिकायत ‘वैश्विक अधिकार क्षेत्र’ के आधार पर की गई है, जो देशों को दुनिया में कहीं भी मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के संबंध में मुकदमा चलाने का अधिकार देता है. उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन के पास युद्ध अपराधों की जांच के लिए वैश्विक न्यायाधिकार है.
पुलिस को यह ऐप्लिकेशन पाक प्रशासित कश्मीर के निवासी जिया मुस्तफा के परिवार की ओर से दी गई है. लॉ फर्म के मुताबिक यह परिवार 2021 में भारतीय अधिकारियों द्वारा की गई एक न्यायिक हत्या का पीड़ित है. साथ ही, यह ऐप्लिकेशन मानवाधिकार कार्यकर्ता मोहम्मद अहसान उन्टू के हवाले से भी दी गई है, जिन्हें पिछले सप्ताह गिरफ्तार किए जाने से पहले कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया था.
साल 2018 में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ने कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की अपील की थी. भारत सरकार बार-बार इन आरोपों से इनकार करती रही है. सरकार का कहना है कि अलगाववादी ये आरोप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और भारतीय सैनिकों की छवि खराब करने के लिए लगाते हैं.
वहीं लॉ फर्म अपनी जांच के आधार पर कहती है कि कोरोना वायरस महामारी के दौर में यह दमन और बुरा हो गया. रिपोर्ट में इलाके के प्रमुख एक्टिविस्ट खुर्रम परवेज का भी जिक्र किया गया है, जिन्हें पिछले साल भारत की आंतकरोधी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था. ‘जम्मू कश्मीर कोएलिशन ऑफ सिविल सोसायटी’ के लिए काम कर चुके 42 साल के परवेज ने भारतीय सैनिकों पर हिंसा करने के आरोपों को लेकर काफी कुछ लिखा था.
मानवाधिकार वकील दुनियाभर में ‘वैश्विक अधिकार क्षेत्र’ के सिद्धांत का इस्तेमाल करते हुए ऐसे लोगों के लिए इंसाफ पाने की कोशिश करते हैं, जो अपने घरेलू देशों में या द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट में अपने खिलाफ हुए अपराध की शिकायत दर्ज नहीं करा पाते हैं.
पिछले सप्ताह जर्मनी की एक अदालत ने सीरियाई खुफिया पुलिस के एक पूर्व अधिकारी को मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के जुर्म में दोषी करार दिया था. इस अधिकारी पर एक दशक पहले दमिश्क के पास एक जेल में हजारों बंदियों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप था.
विदित हो कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित है, जो दोनों इस क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं. मुस्लिम कश्मीरी विद्रोहियों का समर्थन करते हैं जो इस क्षेत्र को या तो पाकिस्तानी शासन के तहत या एक स्वतंत्र देश के रूप में एकजुट करना चाहते हैं. भारत नियंत्रित कश्मीर में, पिछले दो दशकों में हजारों नागरिक, विद्रोही और सरकारी बल मारे गए हैं.
कश्मीरियों और अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार समूहों ने लंबे समय से भारतीय सैनिकों पर व्यवस्थित दुर्व्यवहार करने और नई दिल्ली से शासन का विरोध करने वालों को गिरफ्तार करने का आरोप लगाया है. मानव अधिकार समूहों ने भी उग्रवादी समूहों के आचरण की आलोचना की है, उन पर नागरिकों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है.
2018 में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने कश्मीर में अधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्टों की एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच का आह्वान किया, जिसमें ‘सुरक्षा बलों द्वारा किए गए उल्लंघन के लिए पुरानी दण्ड से मुक्ति’ का आरोप लगाया गया था.
अंतरराष्ट्रीय लॉ फर्म का मानना है कि उनकी ऐप्लिकेशन के जरिए ऐसा पहली बार हो रहा है, जब कश्मीर में कथित युद्ध अपराधों को लेकर भारतीय अपराधियों के खिलाफ विदेश में कोई कानूनी कदम उठाया गया है. फर्म के डायरेक्टर हकन कामू ने उम्मीद जताई है कि ब्रितानी पुलिस उनकी रिपोर्ट के आधार पर जांच शुरू करेगी और इसमें दर्ज लोगों के ब्रिटेन में दाखिल होने पर इन्हें गिरफ्तार करेगी.
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