वह
वह सब करना चाहेगा
जो आम आदमी कर सकता है
मालूम है कि बहुतों को
यह बात बहुत नागवार गुजरेगी
तुम्हें यक़ीन नहीं होगा कि
वह भी आदमी है तुम्हारी तरह
कोई हिम आच्छादित महज
अल्पाइन पेड़ नहीं
बलशाली अमेरिका की नींव का
पहला पत्थर काले कंधों ने ढोया था
लाल जो शरीर के खून का
स्वाभाविक रंग है, अक्सर
एक दहशतगर्द अफ़वाह में रहता है
पश्चिम के आकाश का काला बादल
पीढ़ी दर पीढ़ी आज भी लावारिस है
काली मां बच्चे जनते आज भी मरती है
अति विकसित स्वास्थ्य सेवा
किस के हिस्से की मिल्कियत है ?
पश्चिमी मीडिया और समस्त पत्र
अक्सर मौन रह जाते हैं.
तीसरे विश्व की गरीबी भूखमरी तो इन्हें दिखती है
लेकिन अपनी रोबोटिक आत्ममुग्ध संस्कृति के
चकाचौंध के पिछवाड़े का काला अंधेरा
कारपेट के नीचे की गंदगी
इन्हें शायद नहीं दिखती है
कभी इस पर बहस कराने की
जहमत उठाना इन्हें जायज नहीं लगा
अलजजीरा की सीमाबद्धता समझी जा सकती है
कुपोषित काले बच्चे आज भी अपना
पाचवां बसंत देखने से वंचित हैं
ह्वाइट हाउस और पेंटागन में सैनिक कार्रवाई की
परिकल्पित योजनाएं तो बनती है, लेकिन
ये अभागे उजले फूटपाथ के
काले अंधेरे में कहीं पीछे छूट जाते हैं
स्वतंत्रता की देवी अपनी बेबसी पर
भूख के चिरंतन सत्य की समाधी में आत्मलीन है
बेफिक्र गोरे श्रमिक मशगूल हैं
हैप्पी होली डे की छुट्टियों में
बेकारों का हुजूम मात्र एक अंक है
डाउन टाउन की भीड़ में
कालों के हाथों थमा दी गयी है
उनकी बर्बादी की लाइसेंसी बंदूक
और छीन ली गयी है उनसे सौम्य
समतामूलक सभ्य जीवन जीने की दिशा
जिसे सुधारना इनकी नेमत कभी नहीं रही
लेकिन कब तक रहोगे इस नाकाफी
सामाजिक सुरक्षा की झूठी आत्मस्लाघा में
जो न मरने देती है न जीने
जब कि त्वचा के नीचे जो रंग है लाल है
और पाचन तंत्र की प्रक्रिया भी
आप की तरह इनका भी समान है
और दोनों की भूख डबल रोटी की है
ठंड में ठिठुरते दोनो को ही गर्म कमरे की जरुरत है
तुम्हारी अधुनातन नगर योजना
चौड़ी चौड़ी सड़कों के
चकाचौंध की छलकती रौशनी
इन तक, अब तक नहीं पहुंच पायी है
इनके बगैर मानव मूल्य, समता
स्वतंत्रता और विश्व बंधुत्व की
तुम्हारी लच्छेदार बातें
प्रजातंत्र के पीछे पूंजीवादी दुराचार
एक सुनियोजित छल नहीं तो क्या है
और नासा की समस्त उपलब्धियां
मानव मूल्य की सिसकती व्यथा की कीमत पर
एक व्यभिचार क्यों न समझा जाय
तुम्हारी प्रगति रोज भीख मांगती है
ट्राफिक सिग्नल के चौराहे और
शापिंग मॉल के निकास द्वार पर
विश्व नक्शे पर पसरा यह वृहद भू भाग
जिसमें दफ़्न है कालों के खून पसीने
सैम अंकल की काली कहानी
उपेक्षित प्रताड़ित काले गोरों का समवेत स्वर
ऊंची दीवार एक दृष्टिदोष है, श्रीमान
इससे कभी सुरक्षा नहीं मिलती
वक़्त व्यवस्था के बदलाव की मांग है
- राम प्रसाद यादव
(15.03.2017)
(अमेरिका प्रवास की मेरी यह नज़्म उन काले अफ्रीकी, सामान्य गोरे अमेरिकनों के लिए जो यहां की सरकार द्वारा उपेक्षित, अशिक्षित, बेकार, भूमिहीन, आश्रयहीन, बीमार, प्रताड़ित, दिशाहीन, अनसुना और एक दयनीय भटकाव की स्थिति में हैं.)
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