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CAA-NRC-NPR : छंटने लगी है धुंध अब

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CAA-NRC-NPR : छंटने लगी है धुंध अब

गुरूचरण सिंह

दरअसल कुछ तरह का मायावी वातावरण का निर्माण कर दिया गया है CAA, NRC, NPR को लेकर कि कुछ पता ही नहीं चल रहा कि हमारे आसपास, हमारे साथ आखिर हो क्या रहा है ! कुछ-कुछ पांडवों के महल की तरह जिसमें जमीन की जगह सुंदर सरोवर और पानी की जगह जमीन नज़र आती थी और दरवाजे की जगह दीवार और दीवार के स्थान पर दरवाजा दिखता था. यहीं पर कहते हैं कि द्रौपदी ने दुर्योधन का मज़ाक उड़ाया था, ‘अंधे बाप की अंधी औलाद’ कह कर, जो महाभारत युद्ध का एक कारण बना था. इसलिए बहुत जरूरी है कि इस भ्रमजाल तो तोड़ा जाए और वास्तविकता सामने लाई जाए वरना आप शाहीन बाग करते रहेंगे, इसी बात पर संतोष कर रहे होंगे कि आप इसका बराबर विरोध कर रहे हैं और किसी भी कीमत पर इसे लागू नहीं होने देंगे. लेकिन असल कार्रवाई तो कहीं और शुरू होने वाली होगी. जब तक आपको पता चलेगा, आधी काम तो हो भी चुका होगा.

सबसे खतरनाक और सारी समस्याओं की जड़ है NPR, जो अभी तक जनगणना एक की सीधी-साधी कवायद लग रहा है. एक अरसे से इस पर काम कर रहे थे संघ-भाजपा. तभी तो 2004 में नागरिकता कानून, 1955 को संशोधित कर के उसमें एनपीआर के प्रावधान जोड़े गए थे, ठीक CAA के संशोधन की तरह, जिसमें छ: पड़ोसी देशों के हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने के लिए भारत में रहने की अवधि को घटा दिया था. इस कानून में सांप्रदायिक भेदभाव के चलते जनता में विरोध की एक लहर-सी उठ खड़ी हुई थी.

नागरिकता कानून, 1955 का 14A बताता है कि केंद्र सरकार देश के हर नागरिक का अनिवार्य पंजीकरण कर उसे राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है. सरकार देश के हर नागरिक के लिए एक रजिस्टर तैयार कर सकती है और इस काम के लिए एक नेशनल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी का गठन भी किया जा सकता है.

हैदराबाद की एक वरिष्ठ कार्यकर्ता जसलीन जयराज के बयान पर विश्वास करें तो तेलंगाना हकूमत ने तो सब तैयारी कर भी ली है. NPR से हमें बहुत बड़ा खतरा है. अमीर मुसलमान तबका तो इस में से पार हो जाएगा और उन्हें नागरिकता भी मिल जाएगी, मगर गरीब लोग कहां जाएंगे ? मुसलमानों के साथ-साथ ये मसला दलितों और पिछड़ों का भी है.

इसी साल के अप्रैल से सितंबर महीनों के बीच यह खतरा आपके घर के दरवाजे पर खड़ा मिलेगा. इस अवधि के दौरान एनपीआर तैयार करने के काम पर लगाए गए कर्मचारी घर-घर जाकर डेटा जुटाएंगे. इसी के आधार पर बाद में इसका इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस के तौर पर तैयार किया जाएगा. फोटोग्राफ, फिंगरप्रिंट्स जैसी चीजों को भी इस डेटाबेस में शामिल किया जाएगा. यह पूरी प्रक्रिया एनपीआर तय करने के लिए नियुक्त किए गए सरकारी अधिकारियों की देखरेख में होगी. (एक अन्य खबर के अनुसार इन सरकारी अधिकारियों के साथ संंघ से जुुुड़ा एक कार्यकर्ता भी वहां मौजूूद रहेेेगा – प्रतिभा एक डायरी).

जनगणना की तरह सब लोग तमाम जानकारी दें देंगे. कुछ समय बाद मान लो किसी तहसीलदार के कार्यालय में इनका विश्लेषण का काम शुरू होता है. मान लीजिए कुछ लोगों द्वारा दी गई जानकारी उस जानकारी से मेल नहीं खाती जो एक नागरिक होने के लिए अनिवार्य तय की गई है – मसलन, किसी के नाम के हिज्जे सभी प्रमाणपत्रों में एक जैसे नहीं हैं, आधार आदि की फोटो पहचान में नहीं आती, बूढ़े माता-पिता या दादा-दादी का जन्म प्रमाणपत्र नहीं है या ऐसा ही और कुछ है तो आपके घर एक नोटिस पहुंच जाएगा. बस वही से शुरू होगा एक अंतहीन सिलसिला जो बहुत मुमकिन है डिटेंशन सेंटर में जा कर थमे. एक तबके की तो चांदी कटने वाली है इस प्रक्रिया से और वह है वकीलों की जमात। भरते रहिए उनके घर को अपना घर बेच कर इसलिए मौजूदा NPR का बायकॉट करना बहुत जरूरी है.

पढ़े-लिखे नौजवानों, छात्रों और मुहल्ले में रहने वाले दूसरे जानकार लोगों की भूमिका बहुत अहम हो सकती है. वे हर मुहल्ले में जाकर लोगों को इसकी जानकारी दें कि कैसे इस दरपेश खतरे से बच सकते हैं ताकि हर मुहल्ले, कालोनी के निवासी NPR की जानकारी लेने आए कर्मचारी से मुलाक़ात लिए दिमाग़ी तौर पर तैयार रहें.

हर आदमी के पास अपने पड़ोसियों के मोबाइल नम्बर होने चाहिए, जिनकी एक सूची घर में भी रहे.
• NPR की जानकारी लेने वाले कर्मचारी अगर आपके घर आते हैं, तो किसी भी हालत में उनके साथ अकेले बात न करें.
• फौरन फोन करके अपने सभी पड़ोसियों को सूचना दें, बुला लें.
• मुहल्ले के सभी लोग मर्द, औरत, बच्चे, बूढ़े सब एक दूसरे का हाथ पकड़कर एक मानव श्रृंखला बना कर खड़े हो जाएं.
• किसी भी कर्मचारी से बदतमीज़ी से पेश न आएं, कोई भी चीख पुकार न करें.
• सभी के आ जाने पर सब एक साथ कहें कि हम मौजूदा प्रक्रिया में हिस्सा नहींं लेंगे, न ज़बानी और न ही लिखित में कोई जानकारी देंगें.
• बड़ी शालीनता के साथ कर्मचारियों को वापस जाने के लिए कहें.
• याद रहे, कोई भी कर्मचारी आपको जानकारी देने के लिए मजबूर नहीँ कर सकता.
• मानव श्रृंखला तब तक न तोड़ें, जब तक वे लोग आपके मुहल्ले से बाहर नहीं चले जाते.
• इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि जैसे ही कोई आपके घर जानकारी लेने आए, आप फौरन मोबाइल से वीडियो बनाना शुरू कर दें ताकि सनद रहे.

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