Home कविताएं रोटी एक तमाशा है

रोटी एक तमाशा है

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एक अरसे के बाद
उस बच्ची ने
अपने से दस गुना बड़े
बाँस के सहारे
ज़मीन से बीस फुट उपर बंधी
रस्सी के सहारे
पार किया है राजपथ

एक अरसे के बाद
ह्यूम पाइप के खोह में बने
उसके घर के बाहर
ईंटों के तिर्यक के सीने में
सुलगी है आग

एक अरसे के बाद
ज़मीन पर नहीं गिरने के एवज़ में
ज़मीन पर उगी है रोटी की आस

तमाशा और रोटी के इस संबंध को
जब तक पूरी तरह से समझ पाएगी वह बच्ची
तब तक वह रस्सी पर चलने लायक़ नहीं रह जाएगी

उस दिन
उसका देह सिर्फ़ एक बिस्तर के काबिल रह जाएगा
जिस पर वह जन्म देगी और बच्चियां
करतब दिखाने के लिए

एक अरसे के बाद
हटा लिए जाएंगे खोखले ह्यूम पाइप भी
तुम्हारे प्यासे शहर को पानी पिलाने के लिए

एक अरसे के बाद
उस औरत और उसके बच्चों के सर पर
सिर्फ़ आसमान होगा
और सामने एक ईंटों का तिर्यक

तमाशे की रोटी सेंकती हुई

  • सुब्रतो चटर्जी

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ROHIT SHARMA

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