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ब्लैक होल : जीवन और मौत के सूत्रधार की खोज

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ब्लैक होल : जीवन और मौत के सूत्रधार की खोज

ब्लैक होल तारों का विध्वंश भी करता है और उसे जीवन भी देता है. दूसरे शब्दों में कहें तो ब्लैक होल ब्रह्माण्ड का वह पिण्ड है, जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में जीवन और मौत का सूत्रपात करता है. ब्रह्माण्ड में बनने वाली तमाम तत्वों का निर्माण तारों में होता है, तारों का निर्माण और अंत ब्लैक होल करता है. यही कारण है कि ब्लैक होल ब्रह्माण्ड के जीवन का सूत्रपात भी करता है और उसका अंत भी.

ब्लैक होल एक अत्याधिक घनत्व वाला पिंड है जिसके गुरुत्वाकर्षण से प्रकाश किरणो का भी बच पाना असंभव है. श्याम विवर मे अत्याधिक कम क्षेत्र मे इतना ज्यादा द्रव्यमान होता है कि उससे उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण किसी भी अन्य बल से शक्तिशाली हो जाता है और उसके प्रभाव से प्रकाश भी नही बच पाता है.

ब्लैक होल की उपस्थिति का प्रस्ताव 18वी शताब्दी मे उस समय ज्ञात गुरुत्वाकर्षण के नियमो के आधार पर किया गया था. इसके अनुसार किसी पिंड का जितना ज्यादा द्रव्यमान होगा या उसका आकार जितना छोटा होगा, उस पिंड की सतह पर उतना ही ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल महसूस होगा. जान मीशेल तथा पीयरे सायमन लाप्लास दोनो ने स्वतंत्र रूप से कहा था कि अत्याधिक द्रव्यमान या अत्याधिक लघु पिंड के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से किसी का भी बचना असंभव है, प्रकाश भी इससे बच नही पायेगा.

इन पिंडो को ‘ब्लैक होल’ नाम जान व्हीलर ने 1967 मे दिया था. भौतिक विज्ञानीयों तथा गणितज्ञों ने यह पाया है कि श्याम विवर के पास काल और अंतराल (Space and Time) के विचित्र गुणधर्म होते हैं. इन विचित्र गुणधर्मो की वजह से ब्लैक होल विज्ञान फतांसी लेखको का पसंदीदा रहा है लेकिन ब्लैक होल फतांसी नही है. ब्लैक होल का आस्तित्व है और जब भी एक महाकाय तारे की मृत्यु होती है एक ब्लैक होल का जन्म होता है.

महाकाय तारे अपनी मृत्यु के पश्चात ब्लैक होल बन जाते है. हम ब्लैक होल को नही देख सकते है लेकिन उसमे गुरुत्वाकर्षण के फलस्वरूप उसमे गिरते द्रव्यमान को देख सकते है. इस विधि से खगोल वैज्ञानिको ने अब तक ब्रह्माण्ड का निरीक्षण कर सैकड़ो ब्लैक होल की खोज की है. अब हम जानते है कि हमारा ब्रह्माण्ड ब्लैक होल से भरा पड़ा है और उन्होने ब्रह्माण्ड को आकार देने मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.

ब्रह्माण्ड में कितने ब्लैक होल ?

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1972 में सबसे पहले ब्लैक होल के पाए जाने की पुष्टि हुई थी और तीन साल पहले ही ब्लैक की पहली तस्वीर दुनिया को देखने को मिली थी. लेकिन ब्रह्माण्ड में मौजूद तारकीय भार वाले ब्लैक होल की संख्या कितनी होगी, इसकी गणना करने के बारे में शायद किसी नहीं सोचा नहीं होगा. पर शोधकर्ताओं ने अपने नए गणनात्मक तरीके से यह कौतूहल भरी गणना कर ली है. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी पता लगाया है कि तारकीय भार वाले ब्लैक होल में ब्रह्माण्ड का कितना पदार्थ भरा है ?

इस विषय पर SISSA के प्रोफेसर एड्रिया लैपी और डॉ ल्यूमेन बोको के मार्गनिर्देशन में पीएचडी छात्र एलेक्स सिसिलिया ने राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय संस्थानों के शोधकर्ताओं के साथ अध्ययन किया. एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने तारकीय भार वाले ब्लैक होल का जनसांख्यकीय अध्ययन किया. तारकीय भार वाले ब्लैक होल का भार सैकड़ों सौर भार का होता है, जिनकी उत्पत्ति विशाल तारों के मरने से होती है. सिसिलिया ने बताया कि यह अपने तरह के पहला अध्ययन है.

सिसिलिया ने बताया कि इस काम की सबसे नई बात यही है कि इसमें तारकीय और द्वीज विकास का विस्तृत प्रतिमान बनाए गए हैं. इसमें गैलेक्सी के अंदर तारों के निर्माण और धातु संवर्धन जैसी प्रक्रियाओं को भी शामिल किया गया है और खगोलीय इतिहास में इस तरह का पहली बार तारकीय भार वाले ब्लैक होल का अध्ययन किया गया है.

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया है कि ब्रह्माण्ड के कुल सामान्य पदार्थ की मात्रा का एक प्रतिशत हिस्सा इन तारकीय भार वाले ब्लैक होल में कैद है. हैरान की बात यह है कि शोधकर्ताओं ने पपाया कि अवलोकित ब्रह्माण्ड में इस तरह के ब्लैक होल की संख्या करीब 40 अरब अरब है.

गणना के लिए अपनाई पद्धति

वैसे तो वैज्ञानकों के लिए संपूर्ण ब्रह्माण्ड का बहुत सा हिस्सा अनजान है, लेकिन अभी तक जो ब्रह्माण्ड अवलोकित किया जा सका है, उसका आकार 90 अरब प्रकाशवर्ष के व्यास का गोला है. शोधकर्ताओं ने अपनी गणना की पद्धति के बारे में बताते हुए कहा, ‘ये अहम नतीजे एक मूल पद्धति के साथ तारकीय एवं द्विज उद्भव कोड SEVN को मिलाकर हासिल किए गया था. SEVN को SISSA के शोधकर्ता डॉ. मारियो स्पेरा ने विकसित किया है.

इस पद्धति में तारों के निर्माण की गति, तारों के भार की मात्रा, अंतरतारकीय माध्यम की धात्विकता सहित गैलेक्सी के भौतिक गुणों का पता लगाया गया था. ये सभी तारकीय ब्लैक होल की संख्या और भार का पता लगाने के लिए एक अहम तत्व हैं. इन घटकों का पता लगाकर शोधर्ताओं ने ब्रह्माण्ड के इतिहास के ऐसे ब्लैक होल की संख्या और भार वितरण का पता लगाया.

इसके अलावा शोधकर्ताओं ने अलग तारों, द्विज तंत्रों, और तारकीय पुंजों वाले अलग अलग भार के ब्लैक होल के निर्माण करने वाले विविध स्रोतों का भी अध्ययन किया और पाय कि अधिकांश तारकीय ब्लैक होल मुख्यतया तारकयी पुंजों की गतिमान घटनाओं से पैदा होते हैं. यह अध्ययन खगोलभैतिकी, गैलेक्सी निर्माण, गुरुत्वाकर्षण तरंगें जैसे बहुल विषयक शोध है.

क्या ब्लैक होल भौतिकी के नियमो का पालन करते है ?

ब्लैक होल भौतिकी के सभी नियमों का पालन करते हैं. उसके विचित्र गुणधर्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के फलस्वरूप उत्पन्न होते है. 1679 मे आइजैक न्युटन ने प्रमाणित किया था कि ब्रह्माण्ड के सभी पिण्ड एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण से आकर्षित होते है. गुरुत्वाकर्षण भौतिकी के सभी मूलभूत बलो मे सबसे कमजोर बल है. हमारे दैनिक जीवन मे प्रयुक्त होने वाले अन्य बल जैसे विद्युत, चुंबकत्व इससे कहीं ज्यादा शक्तिशाली है लेकिन गुरुत्वाकर्षण हमारे ब्रह्माण्ड को आकार देता है क्योंकि यह खगोलिय दूरीयोँ पर भी प्रभावी है. उदाहरण के लिए इस बल के प्रभाव से चन्द्रमा ग्रहों की, ग्रह सूर्य की तथा सूर्य आकाशगंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है.

आइंस्टाइन के पूर्वानुमानो को परखा जा चूका है और विभिन्न प्रयोगो से प्रमाणित किया गया है. अपेक्षाकृत कमजोर गुरुत्वाकर्षण बल जैसे पृथ्वी पर आइन्स्टाइन और न्युटन के पूर्वानुमान समान है लेकिन मजबूत गुरुत्वाकर्षण जैसे ब्लैक होल के पास मे आइन्स्टाइन के सिद्धांत से कई नये विचित्र अद्भुत तथ्यो की जानकारी प्राप्त हुयी है.

सितारों को ‘जन्म देते’ ब्लैक होल

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने खुलासा किया है कि धरती के पास एक ‘बौनी आकाशगंगा’ में एक ब्लैक होल को सितारों को ‘जन्म देते’ हुए देखा गया है. इससे पता चलता है कि ब्लैक होल उतने हिंसक नहीं होते हैं, जितना पहले सोचा गया था. अभी तक ब्लैक होल को अंतरिक्ष के ‘विनाशकारी राक्षस’ समझा जाता था क्योंकि अपने अत्यधिक तेज गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वे तारों समेत हर करीब आने वाली चीज को निगल लेते थे. ब्लैक होल के अंदर गुरुत्वाकर्षण बल इतना ज्यादा होता है कि इसके भीतर जाने वाली चीज महीन कणों में विभाजित हो जाती है, यहां तक कि प्रकाश भी इससे होकर नहीं गुजर सकता.

ब्लैक होल को लेकर नया खुलासा नासा के हबल टेलिस्कोप ने किया है. हबल की खोज दिखाती है कि ‘बौनी आकाशगंगा’ हेनिज 2-10 के भीतर एक ब्लैक होल सितारों को निगलने के बजाय उनका निर्माण कर रहा है. ब्लैक होल हेनिज 2-10 में हो रहे नए तारों के निर्माण के ‘फायरस्टॉर्म’ में योगदान दे रहा है. यह पिक्सिस के दक्षिणी तारामंडल में 3 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. हबल डेटा का अध्ययन मोंटाना स्टेट यूनिवर्सिटी के भौतिकी विभाग के दो शोधकर्ताओं जाचरी शुट्टे और एमी ई. रेइन्स ने किया है और इसकी घोषणा नासा ने की है.

शुट्टे ने कहा कि 3 करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर, हेनिज 2-10 आकाशगंगा इतनी करीब है कि हबल टेलिस्कोप ने ब्लैक होल के बाहर की तस्वीरें आसानी से खींच ली. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा आश्चर्य यह था कि सितारों को नष्ट करने के बजाय यह नए सितारों को जन्म दे रहा था. हेनिज 2-10 का आकार मिल्की-वे का 10 प्रतिशत है, इसमें पाए जाने वाले सितारों की संख्या हमारी आकाशगंगा में पाए जाने वाले सितारों की संख्या का सिर्फ 10वां हिस्सा है.

विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें एक सेंट्रल ब्लैक होल मौजूद है. हेनिज 2-10 में ब्लैक होल लगभग 10 लाख सौर द्रव्यमान का है. बड़ी आकाशगंगाओं में, ब्लैक होल हमारे सूर्य के द्रव्यमान के 1 अरब गुना से भी अधिक हो सकते हैं. एक रिसर्च का अनुमान है कि ब्रह्मांड का विस्तार ब्लैक होल के बड़े होने का कारण बन रहा है, जो आने वाले समय में असामान्य घटनाओं को जन्म दे सकता है. यह चिंताजनक इसलिए है क्योंकि ब्रह्मांड का विस्तार आकाशगंगाओं और सितारों को बड़ा नहीं बनाता बल्कि यह अंतरिक्ष के क्षेत्र का विस्तार करता है.

ब्रह्मांड विस्तार के साथ बढ़ेगा ब्लैक होल का आकार

अमेरिकी खगोलशास्त्री एडविन हबल ने 20वीं शताब्दी में सबसे पहले देखा था कि आकाशगंगाएं हमसे दूर हो रही हैं. वे जितना दूर जा रही हैं उतनी तेजी से चल रही हैं. इस खोज ने यह पुष्टि की थी कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, हालांकि वैज्ञानिक इसके पीछे के कारकों को स्पष्ट करने में असमर्थ रहे हैं. अमेरिका भर के अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने अब 100 साल पुरानी हबल की थ्योरी के आधार पर एक चौंकाने वाली खोज की है.

अल्बर्ट आइंस्टीन के 1915 के सापेक्षता के सिद्धांत के अनुसार ब्लैक होल का एक-दूसरे में विलय हो सकता है और इस प्रक्रिया में उनका आकार बढ़ सकता है. खगोलविदों ने इन भविष्यवाणियों की पुष्टि 2015 में ब्लैक होल टकराव के कारण पैदा हुई गुरुत्वाकर्षण तरंगों की पहली बार पहचान के साथ की. इस खोज ने वैज्ञानिकों की चिंता को बढ़ा दिया है क्योंकि अंतरिक्ष में कुछ ऐसे ब्लैक होल हैं जिनका आकार अपेक्षा से कहीं ज्यादा बड़ा प्रतीत होता है.

ब्लैक होल सूर्य से 100 गुना बड़े होते हैं. मानोआ में हवाई विश्वविद्यालय, शिकागो विश्वविद्यालय और एन आर्बर में मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का मानना है कि उन्होंने ब्रह्मांड की इस पहेली को सुलझा लिया है. एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में इस महीने प्रकाशित एक नई रिसर्च में, वैज्ञानिकों ने प्रस्तावित किया है कि ब्रह्मांड के विस्तार से ब्लैक होल अधिक विशाल हो सकते हैं. ब्लैक होल अपनी ओर आने वाले प्रकाश को अवशोषित कर लेते हैं इसलिए उन्हें नंगी आंखों नहीं देखा जा सकता. कुछ ब्लैक होल का आकार सूर्य से 50 से 100 गुना बड़ा हो सकता है।

नई रिसर्च का अनुमान है कि ब्रह्मांड का विस्तार ब्लैक होल के बड़े होने का कारण बन रहा है, जो आने वाले समय में असामान्य घटनाओं को जन्म दे सकता है. यह चिंताजनक इसलिए है क्योंकि ब्रह्मांड का विस्तार आकाशगंगाओं और सितारों को बड़ा नहीं बनाता बल्कि यह अंतरिक्ष के क्षेत्र का विस्तार करता है. आसान शब्दों में कहें तो तारों के बीच की दूरी बढ़ रही है. ऐसे ब्रह्मांड में विलय के कारण ब्लैक होल का द्वव्यमान बढ़ेगा और इसकी गति ब्रह्मांड के विस्तार की गति के साथ ही बढ़ती जाएगी.

सन्दर्भ –

  1. https://vigyanvishwa.in/2011/06/27/black-hole/
  2. https://hindi.news18.com/amp/news/knowledge/how-many-black-holes-are-in-the-universe-viks-3965695.html?fbclid=IwAR1JyORM22tkwo5QNdNj1BLll1LGwkFdo52CvomHbUtro07D8DDi8NwjxM4
  3. https://navbharattimes.indiatimes.com/world/science-news/universe-is-expanding-its-boundaries-as-black-hole-size-is-also-getting-bigger-new-study-suggests/articleshow/87697710.cms?utm_source=related_article&utm_medium=referral&utm_campaign=article
  4. https://navbharattimes.indiatimes.com/world/science-news/hubble-space-telescope-discovery-black-hole-gives-birth-to-a-star-revealed-by-nasa/articleshow/89031689.cms?fbclid=IwAR3ViAPb08804tNXiQW4BOmBP40ifCi4Ydhh-hjKjzFydMcUtfWOEnqdDHo

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