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ललित मोदी को भाजपा का टॉप आर्डर नेताओं ने अब तक बचाये रखा है

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ललित मोदी को भाजपा का टॉप आर्डर नेताओं ने अब तक बचाये रखा है
ललित मोदी को भाजपा का टॉप आर्डर नेताओं ने अब तक बचाये रखा है
girish malviyaगिरीश मालवीय

ललित मोदी और सुष्मिता सेन के बीच क्या और कैसे रिश्ते है, यह पोस्ट उस बारे में नहीं है. दो वयस्क व्यक्ति अपने निजी जीवन में एक दूसरे के साथ किस तरह के ताल्लुकात रखते हैं, यह उनका निजी मामला है. बात यहां पर ललित मोदी के सार्वजानिक जीवन की हो रही है कि कैसे उन्हें भाजपा का टॉप आर्डर नेताओं ने अब तक बचा के रखा है.

ललित मोदी पिछले 12 साल से देश से फरार चल रहे हैं. दरअसल, साल 2008 में ललित मोदी ने ही IPL की शुरूआत की. बतौर चेयरमैन और कमिश्नर उन्हें IPL के आयोजन की जिम्मेदारी दी गई थी. मोदी के बुरे दिन अप्रैल 2010 की एक रात में उनके ट्वीट के कारण शुरू हुए. आधी रात को अपने किए ट्वीट में उन्होंने तत्कालीन विदेश मंत्री शशि थरूर पर आरोप लगाया कि ‘कैबिनेट मिनिस्टर शशि थरूर कोच्ची टीम की खरीद-फरोख्त के लिए उन पर दवाब डाल रहे हैं.’

वजह है उनकी तत्कालीन प्रेमिका और मौजूदा पत्नी सुनंदा पुष्कर (मोदी ने इन्हें ही 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड बोला था) जो कि कोच्ची टीम को खरीदना चाहती थी. थरूर उन्हें आगे कर के खुद टीम पर पैसा लगा रहे थे. यह खबर आग की तरह फैल गयी, जिसने बीसीसीआई के टेबल से लेकर दिल्ली की संसद को हिला कर रख दिया. थरूर कुर्सी से गये और मोदी बीसीसीआई से.

बीसीसीआई ने भी इसके बाद ललित मोदी पर 22 तरह के आरोप लगाए, जिनमें अपने परिवार को कॉन्ट्रैक्ट देना, आईपीएल की ब्रॉडकास्टिंग अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना, गोपनीयता, नीलामी में धांधली जैसे आरोप शामिल रहे. ईडी यानी एंडोर्समेंट डायरेक्टरेट की जांच के बाद कई और बड़े खुलासे हुए. इन आरोपों के बाद मोदी को 2010 में आईपीएल कमिश्नर के पद से हटा दिया गया था. उसी साल वह देश छोड़कर ब्रिटेन भाग गए. जांच में इन आरोपों को सही पाया गया और 2013 में बीसीसीआई ने उन पर आजीवन बैन लगा दिया. ललित मोदी आज भी फरार चल रहे हैं.

दरअसल ललित मोदी के टर्म्स सुषमा स्वराज वसुंधरा राजे से बहुत ही अच्छे थे. सिर्फ अरुण जेटली से ही उनकी तनातनी थी.
राजस्थान विधानसभा में विपक्ष की नेता के रूप में वसुंधरा राजे की ललित मोदी के पक्ष में ब्रिटिश सरकार को चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने ललित मोदी के ब्रिटेन में बने रहने के हर प्रयास को अपना समर्थन दिया था.

2011 में उनको पहली चिट्ठी लिखी गई थी. दूसरी चिट्ठी राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान 2013 में लिखी थी. एक चिट्ठी में तो उन्होंने यह भी लिख दिया था उनकी चिट्ठी और ललित मोदी के समर्थन में कही गई उनकी बात के बारे में भारत सरकार को पता नहीं लगना चाहिए. बाद में वसुंधरा राजे का एक पत्र सामने आया जिसमें उन्होंने ललित मोदी को पद्म सम्मान दिये जाने की सिफारिश की थी.

इसके पहले जब वसुंधरा मुख्यमंत्री थी, तब ललित मोदी राजस्थान में सुपर सीएम के रूप में मशहूर हो गए थे. वसुंधरा के बेटे के साथ उनकी कई कंपनियों में पार्टनरशिप भी सामने आई थी. मुम्बई के पुलिस कमिश्नर रहे राकेश मारिया ने महाराष्ट्र सरकार के सामने यह स्वीकार कर लिया था कि 17 जुलाई 2014 को लंदन में ललित मोदी, नरेंद्र मोदी से मिले थे. इसी महीने के आस पास सुषमा ने ललित मोदी की मदद की थी.

बाद में अरुण जेटली, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ऐलान किया कि ‘सुषमा स्वराज ने ललित मोदी की मानवीय आधार पर मदद करने के इरादे से उन पर भरोसा करके जो कुछ भी किया, उसमें कोई गलती नहीं है. पूरी पार्टी और सरकार सुषमा स्वराज के साथ है.’ गौर करने की बात यह है कि किसी नेता ने इस बात का खंडन नहीं किया कि सुषमा जी ने ललित मोदी की नियम विरुद्ध मदद की.

ललित मोदी के बचाव में वकीलों की जो टीम उतारी गई थी, उसके प्रवक्ता महमूद आब्दी ने दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह दावा किया कि ‘भारत में मोदी सरकार ने ललित मोदी के ख़िलाफ़ इंटरपोल में कोई नोटिस नहीं निकाला है जबकि तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि लाइट ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी हुआ.’

2015 के बाद से मीडिया पूरी तरह से सरकार की भाषा बोलने लगा इसलिए ललित मोदी आराम से अपना निर्वासित जीवन लंदन में जीने लगे. वहां भी वे घोटालों से बाज नहीं आए, कैंसर के इलाज के नाम पर उन्होंने वहां भी एक घोटाला किया. ललित मोदी और सुष्मिता सेन के एक बार फिर चर्चा में आने के बाद यह बातें हमारा बिका हुआ मीडिया तो बताने से रहा इसलिए यहां लिख दी है ताकि सनद रहे और वक्त जरूरत पर सामने आए.

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