लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा जब अपने चुनावी घोषणा-पत्र में घोषणा करता है कि ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध करने के लिए कड़े कानून बनायेंगे’ तब अधिकांश अखबारों ने इसे महज ‘टाईपिंग-मिस्टेक’ माना. परन्तु, बीते 5 सालों में भाजपा के नेताओं, मंत्रियों वगैरह के कारतूतों से हम जानते हैं कि भाजपा के चुनावी घोषणा-पत्र में ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध करने के लिए कड़े कानून बनाने’ की बात ‘टाईपिंग-मिस्टेक’ नहीं है, बल्कि एक ऐसी सच्चाई है जिसका सामना देश की आम-महिलायें कर रही है, और भाजपा के नेताओं के बलात्कार अभियान का शिकार हो रही है, जो गलती से ही सही अब भाजपा के घोषणा-पत्र में भी शामिल हो गयी है, जिस तरह कब्रिस्तान और श्मासान का नारा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा लगायी थी और एक साथ 64 बच्चों के आॅक्सीजन के अभाव में मौत का कारण बनी थी. इस घटना में सबसे आश्चर्यचकित करने वाली बात यह थी कि जो डाॅक्टर बच्चों को बचाने के लिए तन-मन-धन से जुट गया, उसे ही जेल में बंद कर दिया और 64 बच्चों को मारने वाले जिम्मेदार लोगों का बाल तक बांका न हुआ.
उसी तर्ज पर अब जब महिलाओं के खिलाफ अपराध करने के लिए कड़े कानून बनाने की बात करने वाले भाजपा कश्मीर की ‘अरीफा’ के बलात्कारियों को बचाने के अभियान में निकली और देश भर में घूमते हुए बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह में अनाथ (निरीह) बालिकाओं के साथ बलात्कार करने वाले नेताओं के बचाव में तैनात हो गई, उसके घोषणा-पत्र का अक्षरशः पूर्वांकन है, जो भाजपा के दुबारा सत्ता में आने के बाद और भीषणतम रूप में शुरू होगी.
देश की सत्ता पर विराजमान होने के साथ ही भाजपाईयों ने देश भर में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार करने, प्रताड़ित करने का मानो एक अभियान-सा चला दिया और उसका हौलसा-आफजाई तथा संरक्षण करने में बलात्कार के आरोपित केन्द्रिय मंत्री से लेकर खुद प्रधानमंत्री मोदी तक लग गये. जिस प्रधानमंत्री पर महिलाओं की जासूसी कराने वगैरह का आरोप हो, नरसंहार का अभियुक्त हो, उसे तो प्रधानमंत्री बनाना ही नहीं चाहिए. इस प्रसंग में सबसे दुखद बाद तो यह है कि प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाने वाले व्यक्तियों को ही जेलों में डाल दिया गया, उसे प्रताड़ित किया गया और उससे भी आगे बढ़कर उत्तर प्रदेश में अपनी बेटी के साथ किये भाजपा नेताओं के बलात्कार की रिपोर्ट लिखाने वाले पिता को ही पीट-पीट कर मार डाला गया.
सारे देश की महिलायें इस बलात्कारी केन्द्रीय सत्ता से इस कदर भयभीत हो उठी है कि अब तो वह पुलिस में रिपोर्ट लिखाने से भी डरने लगी है क्योंकि पुलिस तंत्र इन बलात्कारियों का ही तबल चाटता है. यह सर्वविदित है कि बलात्कारियों का यह सत्ता देश में अविवाहित लोगों का एक ऐसा खेमा खड़ा कर चुकी है, जो परिवार नामक संस्था को ही बदनाम कर रही है और बलात्कार का नया अध्याय लिख रही है और अब उसे कानूनी जामा भी पहनाने का प्रयास कर रहा है. बलात्कारियों को भगवान का दर्जा देने के लिए वह सारे कुकर्म कर रही है, जिसे परिवार नामक पारंपरिक संस्था अवैध करार देती आई है.
देश की सत्ता सम्भालने के साथ ही महिलाओं के खिलाफ जिस तरह अपराधों में तेजी दर्ज की गई है, वह उसके वर्तमान घोषणा-पत्र में दर्ज हो गई है. परन्तु, उसे अंदाजा नहीं है कि इस देश की जनता और परिवार नामक संस्था अपने महिलाओं की रक्षा के लिए क्या-क्या कदम उठा सकती है ? इसमें सबसे शानदार कदम उठाया है छत्तीसगढ़ की जनता ने. भाजपा नेता और उसकी पुलिसिया तंत्र, जो महिलाओं खासकर आदिवासी महिलाओं को बलात्कार का सबसे आसान शिकार मानती है, और हत्या, बलात्कार, थाने के लाॅकअप में सामूहिक बलात्कार, बिजली के करेंट दौराना, महिलाओं के स्तनों को खुलेआम निचोड़ना जैसे कुकृत्य खुलेआम सत्ता के संरक्षण में करती है, को मौत के घात उतार दी.
हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में मारे गये भाजपा के विधायक भीमा मंडावी और उसके सिपहसालार सिपाहियों की. ये विधायक और उसके साथ के सिपाही की हत्या आदिवासी महिलाओं पर आये दिन जुल्मों की कहानी लिखने वालों को एक चेतावनी है, भले ही इसे नक्सली या माओवादी गतिविधियों से क्यों न जोड़ा जाये, परन्तु, भाजपा विधायक मंडावी की हत्या देश भर की महिलाओं पर ढाये जा रहे जुल्मों की अकथनीय दास्तां लिखने वालों के खिलाफ प्रतिरोध की एक आवाज है. मंडावी की हत्या यह बताती है कि ‘अगर तुम महिलाओं पर जुल्म ढाना बंद नहीं करोगे तो सत्ता की चाहे कितनी ताकत लगा ले, तुम सुरक्षित नहीं रह सकते. देश की जनता इसका प्रतिशोध जरूर लेगी.’ यह एक बेहद सुखद और सुन्दर संदेश है कि अगर गरीबों के बेटे-बेटियां सुरक्षित नहीं रहेंगे तो तुम भी सुरक्षित नहीं रह सकते.
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बलात्कार भाजपा की संस्कृति है
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