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भाजपा की गैर-जिम्मेदार बेशर्म सरकार

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भारतीय जनता पार्टी सर्वमान्य तौर पर विश्व की सर्वाधिक भ्रष्ट और गैर-जिम्मेदार पार्टी के तौर पर बदनाम हो चुकी है. इस बात पर न केवल अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी ने ही अपनी मुहर लगा दी है, वरन् भाजपा के सर्वाधिक मान्य मुख्यमंत्री के तौर पर बदनाम योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम के दौरान शेखी बघारते हुए कहते हैं, ‘‘लोग अपने बच्चों के दो साल के होते ही सरकार के भरोसे न छोड़ दें कि सरकार उनका पालन-पोषण करे.’’ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए योगी ने कहा कि ‘‘लोग अपनी जिम्मेदारियों से भागते हैं. लोगों की आदत होती है कि हर काम के लिए सरकार के भरोसे रहते हैं. मीडिया कहती है कि फलानी जगह कूड़ा पड़ा है, हमलोग मानते हैं कि सरकार की जिम्मेदारी है. लगता है हम सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो गये हैं.’’

अब तक का सर्वाधिक गैर-जिम्मेदार बयान देने वाले योगी आदित्यनाथ शायद यह भूल गये हैं कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, साफ-सफाई सरकार की जिम्मेदारी है जो इस देश की संविधान ने सरकार के हाथों में सौंपी है. अगर आम आदमी को ही कूड़ा-कड़कट, सड़क सफाई आदि की व्यवस्था करना है तो देश भर में फैले नगरपालिका में रोजगाररत् कर्मचारी को क्या केवल तनख्वाह लेने का अधिकार है ?

सरकार के भारी-भरकम फौज पर जनता के टैक्स से वसूली गई विशाल धनराशि का खर्च जो लाखों करोड़ में होता है, केवल ऐशो-आराम करने और विदेश का दौरा करने के लिए ही है ? सांसदों-विधायकों पर हर माह खर्च की जा रही विशाल धनराशि केवल ऐशगाह है ? देश भर में नौकरशाहों-कर्मचारियों की बहाली और उसपर खर्च की जा रही धनराशि केवल उसके ऐश के लिए है ?

कहना न होगा, मोदी के नेतृत्व में शासन कर रही भाजपा की भारत सरकार का शासन करने का केवल यही एक मायने है. वह देश की जनता की गाढ़ी कमाई को विभिन्न कुटिल तरीकों से चूसकर केवल अपने और अपने मंत्री-सांसदों-विधायकों और नौकरशाह-कर्मचारियों की ऐश करने की राशि मानते हैं और यही लागू भी करना चाहते हैं. वह देश में आम जनता के बुनियादी अधिकार शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, साफ-सफाई की अपनी संविधानप्रदत्त जबावदारी से मुक्त होकर निजी औद्यौगिक घरानों के हाथों में सौंप कर आम जनता के उपर दोहरी मार कर रही है. वह यह साफ तौर पर मानती है कि आम जनता अपना शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, साफ-सफाई की व्यवस्था खुद करें. सरकार आम जनता के हितों के लिए नहीं बनी है. वह तो केवल निजी संस्थानों और काॅरपोरेट घरानों के लिए बनी या बनाई जाती है. इसके बाद सरकार का जो समय बचता है वह उसके ऐश के लिए है, देश-विदेशों में पिकनिक मानाने और हवाई यात्रा के लिए है.

यही कारण है कि मोदी सरकार के आम जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से भागने का सीधा और आसान रास्ता उसके नीति आयोग ने भी दिखाया है. मोदी सरकार और उसके नीति-नियंताओं को देश और उसकी जनता की हर समस्या और विकास का रास्ता निजीकरण में नजर आ रहा है. रेलवे, एयर-इंडिया, जिला-अस्पताल, बिजली विभाग, सूचना एवं संचार के निजीकरण के बाद अब जेल, स्कूल, काॅलेज तक को निजी हाथों में सौपने का सलाह दे रहा है.

मोदी के नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कान्त देश में आम जनता के तमाम बुनियादी अधिकारों को खत्म करने का आग्रह करते हुए निजी हाथों में सौंपने की जहां पूरजोर पैरवी की है, वहीं वह यह बताना भूल गये कि इस की संसद-सुरक्षा और सेना को भी निजी हाथों में सौंपा जाना चाहिए. हालांकि व्यवहार में यह भी सत्य ही है देश की संसद-सुरक्षा प्रणाली और सेना तक निजी हाथों में सौंपी हुई ही है. सरकार की केवल उसके रखरखाव और उसमें लगने वाली अथाह लागत का भार वहन करती है, जिसे वह देश की जनता की गाढ़ी कमाई को चूस कर पूरा करती है.

निश्चित तौर मोदी सरकार इस बात के लिए हमेशा याद किया जायेगा कि उसने सफाई से झूठ बोलने की जगह बेशर्मी से झूठ बोलने का दौर प्रारम्भ किया है.

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