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भाजपा की चुनावी रणनीति : मतदाताओं को धमकाने और डराने का दौर

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‘‘ये भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. ये समाजवादी की सरकार नहीं है. यहां पर तुम जाकर डीएम, एसपी से अपना काम नहीं करा सकते हो. यहां पर तुम्हारा कोई नेता, कोई नेता तुम्हारी मदद नहीं कर सकता है. खड़ंजा, नाली नगरपालिका का काम है. दूसरी भी मसीबतें तुम्हारे ऊपर आ सकती है. आज तुम्हारा कोई पैरोकार भारतीय जनता पार्टी के अन्दर नहीं है. अगर हमारे सभासदों को तुमने वगैर भेदभाव के चुनाव नहीं जिताया. अगर रंजीत बहादुर की पत्नी को वोट देकर तुमने नहीं जिताया, तो ये दूरी जो तुम बनाने जा रहे हो, अब अगर ये दूरी बनेगी तो तुमको समाजवादी पार्टी बचाने नहीं आएगी. भारतीय जनता पार्टी का शासनकाल है, जो कष्ट तुमको नहीं झेलने पड़े थे, वो कष्ट तुमको उठाने पड़ सकते हैं, इसलिए मैं मुसलमानों से कहना चाहता हूं कि वोट दे देना. भीख नहीं मांग रहा हूं. अगर वोट नहीं दोगे तो जो कष्ट झेलोगे, उसका अंदाजा तुमको स्वतः लग जाएगा.’’ यह कहना है बारबंकी में चेयरमैन पद के लिए भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार शशि श्रीवास्तव के पति रंजीत बहादुर श्रीवास्तव का, जिन्होंने चुनावी मंच से मुसलमान मतदाता को धमकाते हुए वोट मांगी थी.

यह छोटे निकायों के लिए हो रहे चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बोल की यह बानगी दरअसल भारतीय जनता पार्टी की चुनावी रणनीति का खुलासा है. कानपुर में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की साढ़े चार करोड़ मतदाताओं को धमकाते हैं. शहडोल लोकसभा उपचुनाव के प्रचार में मध्यप्रदेश के खाद्यमंत्री ओमप्रकाश पूर्वे ने आदिवासी समुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘‘तुम शिवराज सिंह का नमक खाते हो, भाजपा को ही वोट करना. जो नमक का हक नहीं चुकाता, जानते हो उसे नमक हराम कहते हैं.’’

भारतीय जनता पार्टी देश भर में इसी तरह की धमकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सरेआम दे रही है. दरअसल भारतीय जनता पार्टी जनता की सेवा करने और उसका हृदय प्रेम से जीत कर वोट हासिल करने में यकीन नहीं रखती है. वह जानती है कि भाजपा की पूरी रणनीति जो आरएसएस की नीतियों इर्द-गिर्द धूमती है, जो दरअसल भारत को हिन्दु राष्ट्र बनाने के नाम पर मनुस्मृति के अनुसार ब्राह्मणवादी व्यवस्था को लागू करना चाहती है, जिसके केन्द्र में अंबानी-अदानी जैसे काॅरपोरेट घराना है. इन काॅरपोरेट घरानों की सेवा और ब्राह्मणवादियों के हितों के लिए आम जनता की बलि चढ़ा देना है. इस आम जनता में देश की विशाल आबादी आती है, जिसमें किसान, मजदूर, दलित, पिछड़ा, आदिवासी, मुसलमान और औरतें हैं.

जिस प्रकार ब्राह्मणवादियों ने देश की विशाल जनसंख्या को शुद्रों के नाम पर शिक्षा, चिकित्सा, राजनीतिक अधिकारों से बंचित रखकर अपना दास बना लिया था, और उसके खून को निचोड़ना अपना शाही शान बना लिया था, एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी उसी दौर को वापस लाना चाहता है. इसके लिए बारी-बारी से निशाना साध रहा है. इसके पहले प्रयोगशाला बना गुजरात. जहां पहले तो इन्होंने मुसलमानों के विरोध के नाम पर हिन्दुओं को एकजुट कर उनके खिलाफ कत्लेआम मचाया, और हजारों मुसलमान स्त्री, पुरूष, बच्चों को मार डाला, आग में झोंक दिया, महिलाओं के साथ बलात्कार कर उनका कत्ल कर दिया. जब मुसलमान को उन्होंने एकहद तक शांत कर दिया तब इन ब्राह्मणवादी भाजपाईयों ने हिन्दुओं के ही दलित समुदाय के खिलाफ हल्ला बोल दिया और दलित समुदायों को एक-एक कर मारने लगे, जिसके खिलाफ गुजरात में दलितों ने एकजुट होकर जबर्दस्त विरोध किया, जिस कारण वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन को अपना गद्दी छोड़ना पड़ा. इसके बावजूद भाजपा नये सिरे से अपनी नीतियों को लागू करने का प्रयास कर रही है.

यही कारण है कि भाजपा नेताओं के द्वारा मुसलमानों को दिये जा रहे धमकी को व्यापक फलक में देखना होगा, जो हिन्दुओं के दलितों और आदिवासी समुदायों तक जाती है, जिसमें औरतें महज उपभोग की वस्तु बना दी जानेवाली है. भारतीय जनता पार्टी के कारकूनों, नेताओं और मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्रियों तक की लगातार उपभोगवादी मानसिकता की पोल गाहे-बगाहे हर रोज खुलती ही रहती है, जिसे ढकने के लिए चापलूस मीडिया जी-तोड़ प्रयास करती रहती है. खुद प्रधानमंत्री मोदी ही औरतों को किस प्रकार उपभोग की वस्तु समझते हैं इसका वाकया एक लड़की की पीछा करने के लिए सरकारी तंत्रों का निर्लज्जतापूर्वक किया गया उपयोग बताता है, छेड़खानी से सुरक्षा की मांग कर रही बीएचयू की छात्राओं को रात के अंधेरे में उनके हाॅस्टलों में पुरूष पुलिसों को भेज कर डंडे बरसाती है तो वहीं कुलपति छेड़खानी से सुरक्षा की मांग कर रही उन छात्राओं को देशद्रोही बताते हैं क्योंकि आरएसएस के विचारक गोलवलकर का यह मानना था कि “हमारे पुरखे यह साहसिक नियम बनाने में कितने बुद्धिमान थे कि किसी भी वर्ग की विवाहित महिला की पहली सन्तान एक नम्बूदिरी ब्राह्मण से ही उत्पन्न होनी चाहिए और उसके बाद ही वह अपने पति से सन्तान को जन्म दे सकती थी” — गोलवलकर (रिफरेन्स: एच.डी. मालवीय की पुस्तक ‘डैंजर ऑफ राइट रिएक्शन’ पृ. 33)

भाजपा एक ओर आम दलितों, आदिवासियों को शिक्षा खासकर उच्च शिक्षा से दूर रखने के लिए शिक्षा के निजीकरण के तहत् एक ओर बजट में लगातार कटौती कर रही है, आरक्षण की व्यवस्था को खत्म कर दलितों-आदिवासियों को शिक्षा से महरूम कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर इन दलितों-आदिवासियों को विभिन्न माध्यमों से यह बताने की कोशिश कर रही है कि उसे शिक्षा की कोई जरूरत ही नहीं है. उसे तो केवल ब्राह्मणवादियों की सेवा में रत् रहना चाहिए और उसके लिए जान तक गवां देनी चाहिए – जिसकी एक झलक नोटबंदी जैसी महाघोटाले के दौरान देखने को भी मिली. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी देश के इतिहास को उलट देने और विकृत करने की लगातार कोशिश कर रही है – विरोधियों को ठिकाने लगाने के लिए हत्या से लेकर हर तरह के प्रयास चला रही है, जिसमें खरीदने-धमकाने से लेकर सेक्स सीडी निकाल कर बदनाम करने तक आयाम शामिल है – जिसके खिलाफ देश के हर सजग नागरिकों को सवाल उठाना चाहिए और उसे चुनावों के माध्यम से सत्ता हासिल करने की हर कोशिश को नाकाम करना चाहिए.

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