शुक्र है भगवान का कि मैं वीडियो नहीं बनाता, पोस्ट लिखता हूं, वरना आर्कमिडीज की तरह मुझे भी आप नंगे राजा की तरह दौड़ते देखते. बहरहाल, आज मुझे वो रहस्य मिल गया है, जिसकी गवेषणा करने में बड़े-बड़े लोग आज तक सर खपा रहे हैं.
सवाल यह था कि भाजपा एकदम ईमानदार दल है. इसका नेता ईमानदार है, कार्यकर्ता ईमानदार है, मंत्री ईमानदार है, संतरी ईमानदार है. दरअसल, अगर मां बाप ईमानदार न हो तो भाजपाण्डू पैदा होने से इनकार कर देता है. ऐसा शुद्ध ईमानदार पार्टी है बीजेपी…!!!
फिर तमाम करप्ट नेता भाजपा से जा चिपकते क्यों हैं ? सवाल यह है कि एक ईमानदार पार्टी की गोद मे भारत के तमाम घोषित करप्ट नेता (जिन्हें सीबीआई और ईडी जेल में डालने वाली ही होती है) कि अगले पल वो भाजपा के मंत्री, उपमुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री बने नजर आते हैं. बड़ा ही उलझाने वाला सवाल है. टब में नहाते हुए मैं यही सोच रहा था.
और सोचते सोचते मेरी निगाह चुम्बक पर गई. अब चुम्बक वहां क्या कर रहा था, यह मुझे नहीं पता. मगर उसे देखकर मेरे दिमाग में बिजली कड़की, जोर की झन्नाहट के साथ मुझे सब समझ में आ गया.
असल में आठवीं कक्षा का विज्ञान का चुम्बक वाला चेप्टर याद आ गया. आप अगर व्हाट्सप यूनिवर्सिटी से एंटायर एमएमसी नहीं किये, तो पता होगा कि चुम्बक के समान सिरे रिपेल करते हैं, और असमान सिरे एट्रेक्ट करते हैं.
हां ! बूझ गए आप. न समझने वालों के लिए- दरअसल चुम्बक का धनात्मक ध्रुव, दूसरे चुम्बक के धनात्मक ध्रुव के सामने आए, या ऋणात्मक ध्रुव दूसरे चुम्बक के ऋणात्मक के सामने पड़ जाए तो एक दूसरे से दूर भागते हैं, विकर्षण होता है. लेकिन धनात्मक के सामने ऋणात्मक आये, तो दोनो चप्प से चिपक जाते हैं. भयंकर एट्रेक्शन होता है.
वैसे ही पूर्ण ‘भ्रष्टाचार निगेटिव भाजपा’ के सामने जैसे ही पूर्ण ‘भ्रष्टाचार पॉजिटीव नेता’ आता है, वो चप्प से चिपक जाता है. दोनों का बंधन मोदी-शाह की तरह अटूट होता है. उधर कांग्रेस करप्ट है, इसलिए सब करप्ट नेता उससे दूर हो रहे हैं.
सिम्पल !!! समझ गए न ?? यूरेका !! यूरेका !!!
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आज मैं सोच रहा था कि एस. जयशंकर बुद्धिमान आदमी हैं. हरदीप पुरी बुद्धिमान आदमी हैं. हिमांता बिश्वसरमा बुद्धिमान आदमी है. मगर फिर मुझे ध्यान आया, बुद्धिमत्ता के अलावे इनमें एक और समानता है. वो ये कि इनमें एक्को भाजपाई नहीं है.
हां जी ! जयशंकर और पुरी एक्स ब्यूरोक्रेट हैं. हिमंता, एक्स कांग्रेसी हैं. ऐसे ही महाराष्ट्र के सीएम शिंदे बुद्धिमान हैं, भाजपा के नहीं हैं. कर्नाटक के बोम्मई सीएम थे, जनता दल के एक्स सीएम बोम्मई के पुत्र. हाल में महाराष्ट्र का डिप्टी सीएम ये एनसीपी से लाये.
अब सवाल यह है कि देश भर में भाजपा के 300 सांसद हैं, और हजारों विधायक !!! फिर इन्हें मंत्री, मुख्यमंत्री बनाने के लिए कांग्रेसियों और ब्यूरोक्रेट को बुलाने की जरूरत क्यों होती है ? यह विचार करने मैं टब में बैठ गया. फिर काफी मग्गे पानी मुंडी में डालने पर बात समझ में आयी.
असल में इनका वोटर वर्ग है गधा. इन्हें अपने जैसा गधा, निकम्मा, बकलोल, नफरती और बकवासी आदमी चाहिए होता है. तो चुनाव जीतने के लिए उन्हीं के जैसे आदमी को टिकट दिया है. वो धूमधाम से जीत भी जाते हैं. लेकिन जब सरकार चलानी हो तो बुद्धिमान आदमी चाहिए. बाहर से लेना पड़ता है. ब्यूरोक्रेसी से, दूसरे दलों से, कांग्रेस से…
मजबूरी में कुछ पार्टी वालों को दिखावटी मंत्री बनाना पड़ता है. मंत्रालय के काम से दूर बिजी रखने को उन्हें ट्विटर पर राहुल गांधी को गरियाने की ड्यूटी दे दी जाती है. एकाध पाकिस्तान का वीजा देने के लगा दिए जाते हैं, बाकी जेसीबी लेकर गद्दार खोजते फिरते हैं.
मछली काजू कतली से नहीं फंसती. गोबर से निकला केंचुआ देखकर ही मुंह मारने आती है. ऐसे में मोदी जी का दोष नहीं. उनके वोटर बेस का है. वो अपने जैसों को जिताते हैं, जो लोग किसी काम के नहीं होते. यूरेका…!!!
- मनीष सिंह
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फकीरचंद का परिवारवाद
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