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पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के प्रति बाइडेन प्रशासन की नीति – एंटनी जे. ब्लिंकन, विदेश मंत्री, अमेरिका

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पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के प्रति बाइडेन प्रशासन की नीति - एंटनी जे. ब्लिंकन, विदेश मंत्री, अमेरिका
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के प्रति बाइडेन प्रशासन की नीति – एंटनी जे. ब्लिंकन, विदेश मंत्री, अमेरिका

यहां जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में आकर वास्तव में खुशी हो रही है. यह एक ऐसा संस्थान है जो दुनिया भर के उत्कृष्ट छात्रों और विद्वानों को आकर्षित करता है और जहां एक देश और एक दुनिया के रूप में हमारे सामने आने वाली सबसे अहम चुनौतियों पर अध्ययन होता है और बहस होती है. तो आज हमें बुलाने के लिए धन्यवाद !

और मैं विशेष रूप से एशिया सोसाइटी में अपने दोस्तों को धन्यवाद देना चाहता हूं, जो शांति, समृद्धि, स्वतंत्रता, समानता एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत एशिया के देशों और लोगों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए समर्पित हैं. आज हमारी मेज़बानी करने के लिए धन्यवाद, और हर दिन प्रदर्शित आपके नेतृत्व के लिए भी धन्यवाद. केविन रड, वेंडी कटलर, डैनी रसेल – आप सब सहकर्मी और अग्रणी चिंतक हैं, लेकिन साथ ही कर्मठ इंसान भी हैं, और आपके साथ होना हमेशा आनंदप्रद होता है.

और मैं मैं वास्तव में आपका आभारी हूं, सीनेटर रोमनी, आज यहां आपकी उपस्थिति के लिए – एक इंसान, एक नेता, जिसकी मैं बहुत प्रशंसा करता हूं, एक अतिसिद्धांतवादी व्यक्ति, जो उस विषय में अग्रणी रहा है जिस पर कि आज हम बात करने जा रहे हैं. सीनेटर, आपकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद ! और मुझे राजनयिक समुदाय के इतने सारे सदस्यों को देखकर भी प्रसन्नता हो रही है क्योंकि कूटनीति हमारे साझा भविष्य को आकार देने के लिए एक अनिवार्य साधन है.

पिछले दो वर्षों में हम कोविड-19 महामारी से लड़ने और भविष्य की वैश्विक स्वास्थ्य आपदा की तैयारी के लिए तथा आर्थिक झटके और सप्लाई चेन में व्यवधान से लेकर ऋण संकट से उबरने, तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने और एक अधिक स्वच्छ, सुरक्षित और किफ़ायती ऊर्जा भविष्य की पुनर्कल्पना करने के लिए एकजुट हुए. इन प्रयासों में एक साझा सरल तथ्य यह है कि हम में से कोई भी अकेले इन चुनौतियों का सामना नहीं कर सकता है. हमें इनका मिलकर सामना करना होगा.

इसीलिए हमने अमेरिकी विदेश नीति के केंद्र में कूटनीति को वापस रखा है, ताकि हमें उस भविष्य को संभव करने में मदद मिल सके जो अमेरिका और दुनिया भर के लोग चाहते हैं – एक ऐसा भविष्य जहां प्रौद्योगिकी का उपयोग लोगों के स्तर को ऊपर उठाने के लिए किया जाता है, उन्हें दबाने के लिए नहीं; जहां व्यापार और वाणिज्य कामगारों का समर्थन करते हैं, आय बढ़ाते हैं, अवसर पैदा करते हैं; जहां सार्वभौम मानवाधिकारों का सम्मान किया जाता है; जहां देश ज़ोर-ज़बरदस्ती और आक्रामकता से सुरक्षित हैं, और लोगों, विचारों, सामग्रियों और पूंजी का स्वतंत्र प्रवाह होता है; और जहां राष्ट्र अपना खुद का रास्ता चुन सकते हैं और साथ ही समान उद्देश्य के लिए प्रभावी ढंग से मिलकर काम कर सकते हैं.

ऐसे भविष्य का निर्माण करने के लिए, हमें नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था – कानूनों, समझौतों, सिद्धांतों और संस्थानों की प्रणाली जो दुनिया दो विश्वयुद्धों के बाद देशों के बीच संबंधों को संभालने, संघर्ष को रोकने और सभी लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के स्थापित की गई थी – की रक्षा करनी होगी और उन्हें बेहतर बनाना होगा.

इसके संस्थापक दस्तावेजों में संयुक्तराष्ट्र चार्टर और मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा शामिल हैं, जिनमें आत्मनिर्णय, संप्रभुता, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान जैसी अवधारणाओं को स्थान दिया गया है. इन्हें पश्चिमी जगत ने तय नहीं किया है. ये दुनिया की साझा आकांक्षाओं के प्रतिबिंब हैं.

उसके बाद के दशकों में, कठिन चुनौतियों के बावजूद, हमारे आदर्शों और हमारे द्वारा हासिल उपलब्धियों के बीच अंतर के बावजूद, दुनिया के देशों ने एक और विश्वयुद्ध और परमाणु शक्तियों के बीच सशस्त्र संघर्ष की स्थिति नहीं बनने दी. हमने एक वैश्विक अर्थव्यवस्था का निर्माण किया जिसने अरबों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है. हमने मानवाधिकारों को अभूतपूर्व ढंग से बढ़ाया है.

अब, जब हम भविष्य की ओर देखते हैं, हम न केवल इतनी प्रगति को संभव करने वाली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखना चाहते हैं, बल्कि इसका आधुनिकीकरण करना और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यह हर क्षेत्र के बड़े-छोटे सभी राष्ट्रों के हितों, मूल्यों, आशाओं का प्रतिनिधित्व करे; और इसके अलावा, यह हमारे समक्ष इस समय मौजूद चुनौतियों और भावी चुनौतियों का सामना कर सके, जिनमें से कइयों के बारे में दुनिया ने सात दशक पहले कल्पना भी नहीं की होगी. लेकिन इस परिणाम की गारंटी नहीं है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की नींव को गंभीर और सतत चुनौतियों का सामना है.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक स्पष्ट और तात्कालिक ख़तरा हैं. तीन महीने पहले यूक्रेन पर हमला करते हुए, उन्होंने सभी देशों को अधीनता या ज़ोर-ज़बरदस्ती से बचाने के लिए संयुक्तराष्ट्र चार्टर में निहित संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों पर भी हमला किया. इसलिए इतने सारे देश इस आक्रमण का विरोध करने के लिए एकजुट हुए हैं क्योंकि वे इसे अपनी शांति और सुरक्षा की नींव पर प्रत्यक्ष हमले के रूप में देखते हैं.

अमेरिका और दुनिया भर के देशों की अभूतपूर्व सहायता के सहारे यूक्रेन अपने लोगों और अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बहादुरी से लड़ रहा है. और वैसे तो युद्ध अभी ख़त्म नहीं हुआ है, लेकिन राष्ट्रपति पुतिन अपने एक भी रणनीतिक लक्ष्य को हासिल करने में विफल रहे हैं. यूक्रेन की स्वतंत्रता को मिटाने के बजाय, उन्होंने इसे मज़बूत ही किया है. नैटो को विभाजित करने के बजाय, वह इसे एकजुट कर रहे हैं. रूस की ताक़त के उपयोग के बजाय, उन्होंने इसे कमज़ोर किया है. और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमज़ोर करने के बजाय, उन्होंने इसकी रक्षा के लिए देशों को एकजुट किया है.

राष्ट्रपति पुतिन का युद्ध जारी रहने के बावजूद, हम अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए सबसे गंभीर दीर्घकालिक चुनौती पर ध्यान केंद्रित किए रहेंगे – और यह चुनौती पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना ने पेश की है. चीन एकमात्र ऐसा देश है, जिसके पास अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को नया आकार देने का इरादा और इसके लिए आर्थिक, राजनयिक, सैन्य और तकनीकी शक्ति भी है. बीजिंग की परिकल्पना हमें उन सार्वभौमिक मूल्यों से दूर ले जाएगी, जिन्होंने पिछले 75 वर्षों में दुनिया के लिए इतनी प्रगति को संभव किया है.

चीन वैश्विक अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन से लेकर कोविड की चुनौतियों तक को हल करने की हमारी क्षमता का भी अभिन्न अंग है. सीधे शब्दों में कहें, तो अमेरिका और चीन को अभी लंबे समय के लिए परस्पर मिलकर चलना होगा. यही कारण है कि यह आज दुनिया में हमारे समक्ष मौजूद सबसे जटिल और दूरगामी परिणामों वाले संबंधों में से एक है.

बीते वर्ष के दौरान, बाइडेन प्रशासन ने हमारी राष्ट्रीय ताक़त और सहयोगी देशों एवं साझेदारों के हमारे बेजोड़ नेटवर्क का उपयोग करने के लिए एक व्यापक रणनीति विकसित और कार्यान्वित की है ताकि हम उस भविष्य को संभव कर सकें जिसकी हम कामना करते हैं. हम संघर्ष या नया शीतयुद्ध नहीं चाहते. इसके विपरीत, हम इन दोनों से बचने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं.

हम चीन को एक प्रमुख शक्ति के रूप में उसकी भूमिका से रोकना नहीं चाहते हैं, और न ही चीन को – या किसी अन्य देश को – उसकी अर्थव्यवस्था को विकसित करने या अपने लोगों के हितों को आगे बढ़ाने से रोकना चाहते हैं. लेकिन हम अंतरराष्ट्रीय क़ानून, समझौतों, सिद्धांतों और संस्थानों की रक्षा करेंगे और उन्हें मज़बूत बनाएंगे जोकि शांति और सुरक्षा बनाए रखते हैं, व्यक्तियों और संप्रभु राष्ट्रों के अधिकारों की रक्षा करते हैं, तथा अमेरिका और चीन सहित सभी देशों के लिए सहअस्तित्व और सहयोग को संभव बनाते हैं.

आज का चीन 50 साल पहले के चीन से बहुत अलग है, जब राष्ट्रपति निक्सन दशकों के तनावपूर्ण संबंधों से आगे निकल चीन का दौरा करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे. उस दौर में, चीन अलग-थलग था और व्यापक गरीबी और भूख से जूझ रहा था.

अब, चीन असाधारण पहुंच, प्रभाव और महत्वाकांक्षा वाली एक वैश्विक शक्ति है. वह विश्वस्तरीय नगरों और सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क के साथ दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. वह दुनिया की सबसे बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों में से कइयों का घर है, और वह भविष्य की प्रौद्योगिकियों और उद्योगों पर हावी होने के लिए प्रयासरत है. उसने तेज़ी से अपनी सेना का आधुनिकीकरण किया है और वैश्विक प्रभाव वाला एक शीर्षस्तरीय लड़ाकू बल बनने का इरादा रखता है. और उसने हिंद-प्रशांत में अपना प्रभाव क्षेत्र बनाने और दुनिया की अग्रणी शक्ति बनने की अपनी महत्वाकांक्षा घोषित की है.

चीन का रूपांतर चीनी लोगों की प्रतिभा, सरलता और कड़ी मेहनत के कारण हो पाया है. इसे संभव करने में स्थिरता और अवसरों की उपलब्धता का भी योगदान है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था प्रदान करती है. यक़ीनन, इसका चीन से अधिक दुनिया के किसी अन्य देश ने फ़ायदा नहीं उठाया है. लेकिन अपनी सफलता को संभव करने वाले क़ानूनों, समझौतों, सिद्धांतों, संस्थानों को सुदृढ़ और बेहतर करने – ताकि अन्य देश भी उनसे लाभान्वित हो सकें – में अपनी शक्ति लगाने के बजाय बीजिंग उन्हें कमज़ोर कर रहा है. राष्ट्रपति शी के नेतृत्व में, सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी स्वदेश में अधिक दमनकारी और विदेशों में अधिक आक्रामक हो गई है.

हम इसे इन बातों में देख सकते हैं कि किस तरह बीजिंग ने चीन के भीतर एक सामूहिक निगरानी तंत्र स्थापित किया है और वह संबंधित तकनीक को 80 से अधिक देशों में निर्यात कर रहा है; कैसे वह दक्षिण चीन सागर में अवैध समुद्री दावों पर ज़ोर दे रहा है, तथा शांति एवं सुरक्षा, नौवहन की स्वतंत्रता और व्यापार को कमज़ोर कर रहा है; कैसे वह व्यापार नियमों को दरकिनार करने या तोड़ने का काम कर रहा है, और अमेरिका समेत पूरी दुनिया में कामगारों और कंपनियों को नुकसान पहुंचा रहा है; और कैसे वह उन सरकारों के साथ खड़े होकर संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की हिमायत का दावा करता है जो उनका बेशर्मी से उल्लंघन करती हैं.

यहां तक ​​कि जब रूस स्पष्ट रूप से यूक्रेन पर हमले की तैयारी कर रहा था, तब राष्ट्रपति शी और राष्ट्रपति पुतिन ने घोषणा की थी कि उनके देशों के बीच दोस्ती, उन्हीं के शब्दों में, ‘सीमा से परे’ है. इसी सप्ताह, जब राष्ट्रपति बाइडेन जापान के दौरे पर थे, तो चीन और रूस ने उस क्षेत्र में साथ मिलकर सामरिक बमवर्षकों की गश्त का आयोजन किया. यूक्रेन की संप्रभुता को मिटाने और यूरोप में अपना प्रभाव क्षेत्र क़ायम करने हेतु छेड़े गए राष्ट्रपति पुतिन के युद्ध की बीजिंग की तरफ़दारी को हिंद-प्रशांत क्षेत्र को अपना घर मानने वाले हम सारे देशों को ख़तरे की घंटी के रूप में लेना चाहिए.

इन कारणों से और ऐसे ही अन्य कारणों के चलते यह दुनिया के लिए एक तनावपूर्ण क्षण है. और ऐसे समय में कूटनीति महत्वपूर्ण हो जाती है. इसके ज़रिए हम अपनी गहरी चिंताओं को स्पष्ट करते हैं, एक-दूसरे के दृष्टिकोण को बेहतर ढंग से समझते हैं, और एक-दूसरे के इरादों के बारे में संदेहमुक्त होते है. हम सभी मुद्दों पर बीजिंग के साथ अपना प्रत्यक्ष संवाद बढ़ाने के लिए तैयार हैं और हमें उम्मीद है कि ऐसा हो सकता है. लेकिन हम बीजिंग पर अपना रास्ता बदलने का भरोसा नहीं कर सकते. इसलिए हम बीजिंग के आसपास के सामरिक वातावरण को एक खुली और समावेशी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की अपनी परिकल्पना को आगे बढ़ाने की दृष्टि से आकार देंगे.

राष्ट्रपति बाइडेन का मानना ​​है कि यह दशक निर्णायक होगा. हम स्वदेश में और दुनिया भर के देशों के साथ जो क़दम उठाएंगे, उनसे से ही ये तय होगा कि भविष्य के बारे में हमारी साझा परिकल्पना साकार होगी या नहीं.

इस निर्णायक दशक में सफल होने के लिए, बाइडेन प्रशासन की रणनीति को तीन शब्दों में अभिव्यक्त किया जा सकता है – ‘निवेश, समन्वय, प्रतिस्पर्धा.’ हम यहां स्वदेश में हम अपनी ताक़त के स्रोतों – हमारी प्रतिस्पर्धात्मकता, हमारा नवोन्मेष, हमारा लोकतंत्र – में निवेश करेंगे. हम अपने सहयोगी देशों और साझेदारों के नेटवर्क के साथ अपने प्रयासों का समन्वय करेंगे, समान उद्देश्य के साथ और साझा हित में काम करते हुए. और इन दो प्रमुख ख़ूबियों का उपयोग करते हुए हम चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे, अपने हितों की रक्षा करने और भविष्य की अपनी परिकल्पना निर्मित करने के लिए.

हम इस चुनौती को आत्मविश्वास के साथ स्वीकार करते हैं. हमारा देश अनेक शक्तियों से संपन्न है. हमारे पास हैं: शांतिपूर्ण पड़ोसी, विविध और बढ़ती आबादी, प्रचुर संसाधन, दुनिया की आरक्षित मुद्रा, दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना, और नवाचार एवं उद्यमिता की एक समृद्ध संस्कृति जिसने, उदाहरण के लिए, कई प्रभावी टीके बनाए हैं जो अब दुनिया भर में लोगों को कोविड-19 से बचा रहे हैं. और हमारा खुला समाज, उत्कृष्टतम रूप में, प्रतिभा और निवेश के प्रवाह को आकर्षित करता है और जिसमें नवीकण की जांची-परखी क्षमता है, जो हमारे लोकतंत्र में निहित है, और जो सामने आने वाली हर तरह की चुनौतियों से निपटने हेतु हमें सशक्त बनाती है.

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, जब हम और हमारे सहयोगी देश नियम-आधारित व्यवस्था का निर्माण कर रहे थे, हमारी संघीय सरकार वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और हमारे श्रमबल में भी सामरिक निवेश कर रही थी, जिससे लाखों मध्यवर्गीय लोगों के लिए नौकरियों के अवसर बने, दशकों तक समृद्धि बढ़ी और हम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे आगे आ सके. लेकिन हम उन विशेषताओं को अटूट मान बैठे. और इसलिए अब बुनियादी बातों पर फिर से ध्यान देने का मौक़ा आ गया है.

बाइडेन प्रशासन राष्ट्रीय ताक़त के हमारे मूल स्रोतों में दूरगामी निवेश कर रहा है – और शुरुआत हमारी आर्थिक और तकनीकी बढ़त को बनाए रखने और विस्तारित करने, हमारी अर्थव्यवस्था और सप्लाई चेन को अधिक सुदृढ़ बनाने, और हमारी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को मज़बूत करने हेतु एक आधुनिक औद्योगिक रणनीति से की गई है.

पिछले साल, राष्ट्रपति बाइडेन ने हमारे इतिहास के सबसे बड़े बुनियादी ढांचा निवेश कार्यक्रम को मंज़ूरी दी: हमारे राजमार्गों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, रेल और पुलों का आधुनिकीकरण करने; हमारी उत्पादकता बढ़ाने के वास्ते माल को तेज़ी से बाजार में पहुंचाने; देश के हर कोने में हाई-स्पीड इंटरनेट का विस्तार करने; और अमेरिका के अधिकाधिक भागों में अधिकाधिक व्यवसायों और नौकरियों को आकर्षित करने के लिए.

हम शिक्षा और श्रमिक प्रशिक्षण में सामरिक निवेश कर रहे हैं, ताकि अमेरिकी श्रमिक – दुनिया में सर्वश्रेष्ठ – भविष्य की प्रौद्योगिकियों को डिज़ाइन करने, बनाने और संचालित करने में सक्षम हो सकें.

चूंकि हमारी औद्योगिक रणनीति प्रौद्योगिकी पर केंद्रित है, इसलिए हम अनुसंधान, विकास और उन्नत विनिर्माण में निवेश करना चाहते हैं. अर्थव्यवस्था के प्रतिशत के रूप में देखें तो साठ साल पहले हमारी सरकार ने अनुसंधान पर अभी के मुक़ाबले दोगुना से अधिक खर्च किया था – एक ऐसा निवेश जो आगे चलकर निजी क्षेत्र के नवोन्मेष को उत्प्रेरित किया। इसी तरीक़े से हमने अंतरिक्ष की दौड़ जीती, सेमीकंडक्टर का आविष्कार किया, इंटरनेट का निर्माण किया. हम अपने सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के आधार पर आरएंडडी में दुनिया में पहले स्थान पर हुआ करते थे – अब हम नौवें स्थान पर हैं. इस बीच चीन आठवें स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच गया है.

कांग्रेस के द्विदलीय समर्थन के साथ, हम इन प्रवृत्तियों को उलट देंगे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जैव प्रौद्योगिकी, क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों सहित अनुसंधान और नवोन्मेष में ऐतिहासिक निवेश करेंगे. ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां बीजिंग सबसे आगे आने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है – लेकिन अमेरिका के लिए अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए, न केवल नई प्रौद्योगियों को विकसित करने के मामले में, बल्कि दुनिया भर में उनके उपयोग के क़ायदे की दृष्टि से भी – ताकि वे लोकतांत्रिक मूल्यों पर नकि तानाशाही मूल्यों पर आधारित हों – हम पीछे नहीं रह सकते.

सीनेटर रोमनी और अन्य के नेतृत्व में हाउस और सीनेट ने इस एजेंडे के समर्थन में विधेयक पारित किया है, जिसमें अपने यहां सेमीकंडक्टर उत्पादन करने और अन्य अहम सप्लाई चेन को मज़बूत करने के लिए अरबों डॉलर का प्रावधान शामिल है. अब कांग्रेस द्वारा विधेयक को हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति के पास भेजे जाने की ज़रूरत है.

हम इस कार्य को पूरा कर सकते हैं, और इसमें देरी नहीं की जा सकती – सप्लाई चेन दूर जा रही हैं, और अगर हम उन्हें यहां नहीं लाते हैं, तो वे कहीं और स्थापित हो जाएंगी. जैसा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी इस क़ानून के खिलाफ़ पैरवी कर रही है – क्योंकि वैश्विक स्तर पर अपनी हैसियत और प्रभाव बढ़ाने के लिए यहां स्वदेश में आर्थिक नवीकरण का काम करने की तुलना में कोई बेहतर तरीक़ा नहीं है. ये निवेश न केवल अमेरिका को अधिक सुदृढ़ करेंगे, बल्कि वे हमें एक अधिक मज़बूत साझेदार और सहयोगी भी बनाएंगे.

अमेरिका के बारे में सबसे प्रभावी, जिसे जादुई भी कह सकते हैं, बातों में से एक यह है कि हम लंबे समय से दुनिया के हर हिस्से से प्रतिभाशाली और ऊर्जावान लोगों का पसंदीदा गंतव्य रहे हैं. इनमें चीन के लाखों छात्र शामिल हैं, जिन्होंने हमारे समुदायों को समृद्ध किया है और अमेरिकियों के साथ स्थायी संबंध बनाए हैं. पिछले साल, महामारी के बावजूद, हमने केवल चार महीनों में 100,000 से अधिक चीनी छात्रों को वीज़ा जारी किया – हमारी अब तक की उच्चतम दर. हम रोमांचित हैं कि उन्होंने अध्ययन करने के लिए अमेरिका को चुना – उनका यहां होना हमारे लिए सौभाग्य की बात है.

और हम भाग्यशाली हैं कि दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएं न केवल यहां पढ़ती हैं बल्कि यहां टिकती भी हैं – और हाल के वर्षों में अमेरिका में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पीएचडी करने वाले 80 प्रतिशत से अधिक चीनी छात्रों ने भी यही किया है. वे यहां अमेरिका में नवोन्मेष बढ़ाने में मदद करते हैं, और इससे हम सभी को लाभ होता है. हम अपने दरवाज़े बंद किए बिना अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सतर्क रह सकते हैं.

हम अपने इतिहास से यह भी जानते हैं कि जब किसी अन्य सरकार के साथ हम चुनौतीपूर्ण संबंध का प्रबंधन कर रहे होते हैं, तो उस देश या उस पृष्ठभूमि के लोगों को यह महसूस कराया जा सकता है कि वे यहां के नहीं हैं, या कि वे हमारे विरोधी हैं. इससे बड़ा झूठ और कुछ नहीं हो सकता है. चीनी मूल के अमेरिकियों ने हमारे देश में अमूल्य योगदान दिया; उन्होंने पीढ़ियों से ऐसा किया है. चीनी मूल के किसी व्यक्ति – चाहे वह यहां आया या रह रहा चीनी नागरिक हो, या चीनी मूल का अमेरिकी, या कोई अन्य एशियाई अमेरिकी जिसका इस देश पर दावा किसी से कम नहीं है – के साथ दुर्व्यवहार करना एक देश के रूप में हमारे सारे मूल्यों के खिलाफ़ जाता है. सभी के लिए अवसर के वादे को पूरा करने के लिए आप्रवासियों की पीढ़ियों द्वारा स्थापित हमारे राष्ट्र में नस्लवाद और जातीय नफ़रत का कोई स्थान नहीं है.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी सरकार के साथ हमारे गहरे मतभेद हैं लेकिन ये मतभेद सरकारों और उनके तंत्रों के बीच हैं, हमारे लोगों के बीच नहीं. अमेरिकी लोग चीनी लोगों का बहुत सम्मान करते हैं. हम उनकी उपलब्धियों, उनके इतिहास और उनकी संस्कृति का सम्मान करते हैं. हमें परस्पर जोड़ने वाले परिवार और दोस्ती आधारित संबंधों को हम बहुत महत्व देते हैं. और हम ईमानदारी से चाहते हैं कि हमारी सरकारें उन मुद्दों पर मिलकर काम करें जो उनके जीवन और अमेरिकियों के जीवन के लिए, बल्कि दुनिया भर के लोगों के जीवन के लिए भी, महत्वपूर्ण हैं.

हमारी राष्ट्रीय ताक़त का एक और प्रमुख स्रोत है जिस पर हम इस निर्णायक दशक में भरोसा करेंगे: हमारा लोकतंत्र.

सौ साल पहले, अगर पूछा जाता कि किसी राष्ट्र की संपत्ति क्या होती है, तो हम शायद अपनी भूमि के विस्तार, अपनी आबादी के आकार, अपनी सेना की ताक़त, अपने प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता का ज़िक्र करते. और शुक्र है कि हम अभी भी इन सभी विशेषताओं से भरपूर हैं लेकिन इस 21वीं सदी में, पहले से कहीं अधिक, एक राष्ट्र की सच्ची संपत्ति उसके लोगों – मानव संसाधन – और उनकी पूरी क्षमता को सक्षम करने की उसकी क़ाबिलियत में पाई जाती है.

हम अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसा कर सकते हैं. हम बहस करते हैं, हम दलीलें देते हैं, हम असहमत होते हैं, हम अपने निर्वाचित नेताओं सहित एक दूसरे को चुनौती देते हैं. हम अपनी कमियों से खुलकर निपटते हैं; हम यह दिखावा नहीं करते हैं कि वे मौजूद नहीं हैं या उन्हें छुपा कर नहीं रखते हैं. और भले ही प्रगति बहुत धीमी नज़र आती हो, कठिन और बदसूरत हो लगती हो, लेकिन कुल मिलाकर हम एक ऐसे समाज की दिशा में लगातार काम करते रहे हैं जहां हमें एकजुट और प्रेरित करने और हमारा उत्थान करने वाले राष्ट्रीय मूल्यों के निर्देशन में सभी पृष्ठभूमि के लोग फल-फूल सकें.

हम त्रुटिहीन नहीं हैं. लेकिन अपने सर्वोत्तम रूप में, हम हमेशा – हमारे संविधान के शब्दों में – एक अधिक पूर्ण संघ बनने का प्रयास करते हैं. हमारा लोकतंत्र इसे संभव करने के लिए निर्मित है. अमेरिकी लोग और अमेरिकी मॉडल यही तो पेश करते हैं, और यह इस प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में यह सबसे प्रभावशाली साधनों में से एक है.

अब, बीजिंग का मानना ​​है कि उसका मॉडल बेहतर है; कि एक पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्रीकृत प्रणाली अधिक कुशल, कम अव्यवस्था वाली, अंततः लोकतंत्र से बेहतर होती है. हम चीन की राजनीतिक व्यवस्था को बदलना नहीं चाहते. हमारा काम एक बार फिर यह साबित करना है कि लोकतंत्र तात्कालिक चुनौतियों का सामना कर सकता है, अवसर पैदा कर सकता है, मानवीय गरिमा को बढ़ावा दे सकता है; कि भविष्य उन लोगों का है जो स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं और यह कि सभी देश बिना किसी दबाव के खुद अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे.

हमारी रणनीति का दूसरा भाग है भविष्य की एक साझा परिकल्पना को आगे बढ़ाने के लिए अपने सहयोगी देशों और साझेदारों के साथ समन्वय करना.

पहले दिन से ही, बाइडेन प्रशासन ने अमेरिका के गठबंधनों और साझेदारियों के बेजोड़ नेटवर्क को फिर से सक्रिय करने और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में फिर से जुड़ने के लिए काम किया है. हम साझेदारों को एक दूसरे के साथ तथा क्षेत्रीय और वैश्विक संगठनों के माध्यम से काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. और हम अपने लोगों के कल्याण के लिए और आने वाली सदी की चुनौतियों पर खरा उतरने के लिए नए गठबंधन स्थापित कर रहे हैं. यह बात हिंद-प्रशांत क्षेत्र से अधिक और कहीं चरितार्थ नहीं होती है, जहां हमारे संधि गठबंधनों सहित हमारे संबंध, दुनिया के हमारे सर्वाधिक मज़बूत रिश्तों में से हैं.

अमेरिका पूरे क्षेत्र के देशों और लोगों की परिकल्पना को साझा करता है: एक मुक्त और खुला हिंद-प्रशांत जहां नियमों को पारदर्शी रूप से विकसित किया जाता है और निष्पक्षता से लागू किया जाता है; जहां देश अपने संप्रभु फ़ैसले के लिए स्वतंत्र हैं; जहां ज़मीन पर, आसमान में, साइबर स्पेस में और खुले समुद्रों में सामग्रियों, विचारों और लोगों का स्वतंत्र प्रवाह होता है, और शासन लोगों के प्रति उत्तरदायी होता है.

राष्ट्रपति बाइडेन ने इस सप्ताह इस क्षेत्र की अपनी यात्रा के साथ इन प्राथमिकताओं को सुदृढ़ किया है. उन्होंने दक्षिण कोरिया और जापान के साथ हमारे महत्वपूर्ण सुरक्षा गठबंधनों की पुनर्पुष्टि की, और दोनों देशों के साथ हमारे आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग को प्रगाढ़ किया.

उन्होंने समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत फ़्रेमवर्क की शुरुआत की, जो इस क्षेत्र के लिए अपनी तरह का पहला प्रयास है. यह, राष्ट्रपति के शब्दों में, ‘हमारे सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं के तेज़ और न्यायसंगत विकास में मदद करेगा.’ यह फ़्रेमवर्क जिसे हम आईपीईएफ़ कहते हैं, अमेरिकी आर्थिक नेतृत्व को नवीकृत करता है, और साथ ही इसे 21वीं सदी के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था, सप्लाई चेन, स्वच्छ ऊर्जा, बुनियादी ढांचा और भ्रष्टाचार जैसे विषयों के अनुरूप अनुकूलित करता है. भारत समेत दर्जन भर देश पहले ही इसमें शामिल हो चुके हैं. साथ मिलकर आईपीईएफ़ सदस्य वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक तिहाई से अधिक का योगदान करते हैं.

राष्ट्रपति ने क्वाड देशों – ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत, अमेरिका – के नेताओं के शिखर सम्मेलन में भी भाग लिया. राष्ट्रपति बाइडेन के पदभार ग्रहण करने से पहले क्वाड की नेता स्तर की बैठक कभी नहीं हुई थी. गत साल उनके द्वारा क्वाड नेताओं की पहली बैठक बुलाने के बाद से चार क्वाड शिखर सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं. यह एक प्रमुख क्षेत्रीय समूह बन गया है। इस सप्ताह, इसने समुद्री क्षेत्र जागरूकता के लिए एक नई हिंद-प्रशांत साझेदारी शुरू की है, ताकि पूरे क्षेत्र में हमारे सहयोगी अवैध मत्सयन से निपटने और समुद्री अधिकारों और संप्रभुता की रक्षा के लिए अपने तटीय जलक्षेत्रों की बेहतर निगरानी कर सकें.

हम आसियान के साथ अपनी साझेदारी को मज़बूत कर रहे हैं. इसी महीने शुरू में, हमने सार्वजनिक स्वास्थ्य और जलवायु संकट जैसे तात्कालिक मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए अमेरिका-आसियान शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की. इस सप्ताह, सात आसियान देश हिंद-प्रशांत आर्थिक फ़्रेमवर्क के संस्थापक सदस्य बने. और हम अपने हिंद-प्रशांत और यूरोपीय साझेदारों के बीच संपर्क बढाने का काम कर रहे हैं, जिसमें अगले महीने मैड्रिड में नैटो शिखर सम्मेलन में एशियाई सहयोगियों को आमंत्रित करना शामिल है. हम हिंद-प्रशांत में शांति और स्थिरता बढ़ा रहे हैं; उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच ऑकस नाम की नई सुरक्षा साझेदारी के साथ.

और हम इस क्षेत्र और दुनिया भर के देशों को कोविड-19 को हराने में मदद दे रहे हैं. आज तक, अमेरिका वैश्विक महामारी से निपटने के उपायों के तहत लगभग 20 बिलियन डॉलर दे चुका है. इसमें सुरक्षित और प्रभावी टीकों की 540 मिलियन से अधिक खुराकों का दान शामिल हैं, जो बेचे नहीं गए हैं बल्कि दुनिया भर में 1.2 बिलियन खुराक बांटने के हमारे लक्ष्य के तहत बिना किसी राजनीतिक शर्त के दिए गए हैं. और हम इन खुराकों को टीकाकरण में बदलने के लिए एक वैश्विक कार्य योजना के तहत 19 देशों के एक समूह के साथ समन्वय कर रहे हैं. इस सारी कूटनीति के परिणामस्वरूप, हमारा हिंद-प्रशांत में साझेदारों के साथ अधिक सामंजस्य हुआ है, और हम अपने साझा लक्ष्यों की दिशा में अधिक समन्वित तरीके से काम कर रहे हैं.

हमने अटलांटिक के आरपार अपने समन्वय को भी बढ़ाया है. हमने पिछले साल यूएस-ईयू ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल की शुरुआत की थी, जिसकी संयुक्त हैसियत दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 50 प्रतिशत के बराबर है. गत सप्ताह, नई प्रौद्योगिकी मानकों पर मिलकर काम करने, निवेश स्क्रीनिंग और निर्यात नियंत्रण के मुद्दे पर समन्वय, सप्लाई चेन को मज़बूत करने, हरित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने तथा विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा और डिजिटल ढांचे में सुधार करने के लिए इसकी दूसरी बैठक में मैं वाणिज्य मंत्री रायमोंडो, राजदूत तई और यूरोपीय आयोग के अपने समकक्षों के साथ शामिल हुआ था.

इस बीच, हमने और हमारे यूरोपीय साझेदारों ने विमानों के बारे में 17 साल पुराने मुक़दमे को अलग रखने का फ़ैसला किया; अब, हम एक-दूसरे से बहस करने के बजाय विमानन क्षेत्र में अपनी कंपनियों और कामगारों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।

इसी तरह, हमने यूरोपीय संघ और अन्य के साथ स्टील और एल्युमीनियम आयात संबंधी विवाद को सुलझाने का काम किया, और अब हम उच्च जलवायु मानकों के बारे में पर एक साझा दृष्टिकोण तय करने तथा बीजिंग द्वारा अपने फ़ायदे के लिए जानबूझकर बाज़ार को विकृत करने के प्रयासों से अपने श्रमिकों और उद्योगों को बचाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

हम एक साझा डिजिटल अर्थव्यवस्था, जो डेटा के विशाल प्रवाह पर निर्भर करती है, को मज़बूत करते हुए अपने नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा के लिए यूरोपीय संघ के साथ साझेदारी कर रहे हैं।

हमने अतिन्यून दर की ओर होड़ को रोकने के लिए जी20 के साथ वैश्विक न्यूनतम कर संबंधी एक ऐतिहासिक समझौते पर सहमति बनाई, ताकि बड़ी कंपनियों द्वारा उनके हिस्से का उचित कर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके, और देशों को अपनी जनता में निवेश के लिए अधिक संसाधन मिले। अब तक 130 से अधिक देश इस पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।

हम और हमारे जी7 सहयोगी विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे की भारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एक समन्वित, उच्च मानकों वाला और पारदर्शी दृष्टिकोण अपना रहे हैं।

हमने कोविड-19 को हराने और वैश्विक लोकतंत्र को नवीकृत करने के लिए वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित किए हैं, और हम संयुक्तराष्ट्र मानवाधिकार परिषद और विश्व स्वास्थ्य संगठन में फिर से शामिल हुए हैं।

और कठिन परीक्षा के इस दौर में, हम और हमारे सहयोगियों ने नैटो में नई जान फूंकी है है, जो अब पहले की तरह मज़बूत है।

इन सभी कार्रवाइयों का उद्देश्य नियम-आधारित व्यवस्था का बचाव करना और आवश्यकतानुसार उसमें सुधार करना है जिससे सभी राष्ट्र लाभान्वित होंगे। हम प्रौद्योगिकी, जलवायु, बुनियादी ढांचे, वैश्विक स्वास्थ्य और समावेशी आर्थिक विकास के मुद्दों पर सबसे आगे रहना चाहते हैं। और हम एक ऐसी प्रणाली को मज़बूत करना चाहते हैं जिसमें अधिकाधिक देश प्रभावी सहयोग करने, मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान करने, और एकसमान संप्रभु राष्ट्र के रूप में अपना भविष्य निर्धारित करने के लिए साथ आ सकें।

हमारी कूटनीति एक दूसरे के हितों के लिए साझेदारी और सम्मान पर आधारित है। हम यह उम्मीद नहीं करते हैं कि हर देश का चीन को लेकर ठीक वैसा ही आकलन होगा जैसा हमारा है। हम जानते हैं कि कई देशों – अमेरिका सहित – के चीन के साथ महत्वपूर्ण आर्थिक या जनस्तरीय संबंध हैं जिन्हें वे संरक्षित रखना चाहते हैं। यह देशों को निर्णय के लिए मजबूर करने की बात नहीं है। यह उन्हें बेहतर विकल्प देने के बारे में है ताकि, उदाहरण के लिए, उनके पास एकमात्र विकल्प अपारदर्शी निवेश का नहीं हो जो देशों को कर्ज़ के भंवर में फंसाता है, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है, पर्यावरण को नुक़सान पहुंचाता है, स्थानीय नौकरियों के अवसर या विकास नहीं ला पाता है, और देशों की संप्रभुता को कमज़ोर करता है। हमने ऐसे सौदों के बारे में सीधे कर्ज़दारों से पछतावे की बात सुनी है।

हर क़दम पर, हम अपने साझेदारों के साथ परामर्श करते हैं, उनकी बात सुनते हैं, उनकी चिंताओं को गंभीरता से लेते हैं, और उनकी विशिष्ट चुनौतियों और प्राथमिकताओं के अनुरूप समाधान ढूंढते हैं।

बीजिंग के साथ संबंधों में अधिक यथार्थवाद अपनाने की आवश्यकता को लेकर सहमति बढ़ रही है। हमारे कई साझेदारों को अपने पीड़ादायक अनुभवों के कारण पहले से पता है कि बीजिंग कैसे उसकी नापसंदगी वाला विकल्प चुने जाने पर परेशानी खड़े करता है। जैसे, पिछले साल बीजिंग ने इसलिए चीनी छात्रों और पर्यटकों को ऑस्ट्रेलिया की यात्रा करने से रोक दिया और ऑस्ट्रेलियाई से आयातित जौ पर 80 प्रतिशत शुल्क लगा दिया, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने कोविड की उत्पत्ति के बारे में स्वतंत्र जांच का आह्वान किया था। या पिछले नवंबर की घटना को ही लें, जब चीनी तटरक्षक पोतों ने दक्षिण चीन सागर में फिलीपीनी नौसेना के एक जहाज़ के लिए रसद की आपूर्ति रोकने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था। इस तरह की कार्रवाइयां दुनिया को याद दिलाती है कि कैसे कथित विरोध के खिलाफ़ बीजिंग जवाबी कार्रवाई कर सकता है।

समन्वय का एक और क्षेत्र है जिसमें हम अपने सहयोगी देशों और साझेदारों के साथ हैं: मानवाधिकार।

अमेरिका शिनजियांग क्षेत्र, जहां दस लाख से अधिक लोगों को उनकी जातीय और धार्मिक पहचान के कारण नजरबंदी शिविरों में रखा जा रहा है, में हो रहे जनसंहार और मानवता के विरुद्ध अपराधों के खिलाफ दुनिया भर के देशों और लोगों के साथ एकजुट है।

हम तिब्बत, जहां अधिकारी तिब्बतियों और उनकी संस्कृति, भाषा और धार्मिक परंपराओं के खिलाफ एक क्रूर अभियान छेड़े हुए है, और हांगकांग, जहां चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में कठोर लोकतंत्र विरोधी प्रावधान किए हैं, के मुद्दों पर एकजुट हैं।

इस पर, बीजिंग ज़ोर देकर कहता है कि ये कथित रूप से आंतरिक मामले हैं जिन्हें दूसरों को उठाने का कोई अधिकार नहीं है। यह ग़लत दलील है। शिनजियांग और तिब्बत में जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ उसका व्यवहार, उसके कई अन्य कार्रवाइयों के साथ, संयुक्तराष्ट्र चार्टर – जिसका बीजिंग लगातार हवाला देता है – के मूल सिद्धांतों और मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा – जिसका सभी देशों द्वारा अनुपालन अपेक्षित है – के खिलाफ़ है।

हांगकांग में स्वतंत्रता को रद्द करने का बीजिंग का क़दम ब्रितानी हैंडओवर के दौरान उसके द्वारा व्यक्त प्रतिबद्धताओं, जो संयुक्तराष्ट्र में दर्ज एक संधि में निहित है, का उल्लंघन है।

हम इन मुद्दों को उठाना और बदलाव का आह्वान करना जारी रखेंगे – चीन का विरोध करने के लिए नहीं, बल्कि शांति, सुरक्षा और मानवीय गरिमा के पक्ष में खड़े होने के लिए।

इसी के साथ हम अपनी रणनीति के तीसरे घटक पर आते हैं। घरेलू निवेश में वृद्धि और सहयोगी देशों और साझेदारों के साथ अधिक तालमेल के कारण, हम प्रमुख क्षेत्रों में चीन को पछाड़ने की स्थिति में हैं।

उदाहरण के लिए, बीजिंग खुद को वैश्विक नवोन्मेष और विनिर्माण के केंद्र में रखना, अपने ऊपर अन्य देशों की तकनीकी निर्भरता को बढ़ाना, और फिर उस निर्भरता का उपयोग अपनी विदेश नीति की प्राथमिकताओं को लागू करने के लिए करना चाहता है। और बीजिंग इस प्रतियोगिता को जीतने के लिए कोई कोर-कसर बाक़ी नहीं रख रहा है – उदाहरण के लिए, हमारी अर्थव्यवस्थाओं के खुलेपन का लाभ उठाते हुए अपने सैन्य नवोन्मेष को आगे बढ़ाने और अपने निगरानी तंत्र को मज़बूत करने के लिए जासूसी करना, हैकिंग करना और प्रौद्योगिकी की चोरी करना।

इसलिए ये सुनिश्चित करते हुए कि नवाचार की अगली लहर अमेरिका और हमारे सहयोगियों और साझेदारों द्वारा शुरू की जाए, हम अपनी उपलब्धियों की चोरी या सुरक्षा को ख़तरे में डालने के प्रयासों से भी अपनी रक्षा करेंगे।

हम तकनीकी प्रतिस्पर्धा में अपनी बढ़त के बचाव के उपायों को मज़बूत कर रहे हैं। इसमें शामिल हैं: यह सुनिश्चित करने के लिए नए और कड़े निर्यात नियंत्रण कि हमारे महत्वपूर्ण नवोन्मेष गलत हाथों में नहीं जा पाएं; विज्ञान के लिए एक खुला, सुरक्षित और प्रोत्साहित करने वाला माहौल निर्मित करने के वास्ते अकादमिक अनुसंधान के लिए अधिक सुरक्षा; बेहतर साइबर सुरक्षा; संवेदनशील डेटा के लिए अधिक पक्की सुरक्षा; और संवेदनशील प्रौद्योगिकियों, डेटा, या अहम बुनियादी ढांचों तक पहुंच हासिल करने, हमारी सप्लाई चेन को कमज़ोर करने, या प्रमुख रणनीतिक क्षेत्रों में हावी होने के बीजिंग के प्रयासों के खिलाफ़ कंपनियों और देशों की रक्षा के लिए सख़्त निवेश स्क्रीनिंग।

हम मानते हैं – और हम व्यापार समुदाय से भी इस बात को समझने की उम्मीद करते हैं – कि चीन के बाज़ार में प्रवेश की क़ीमत हमारे बुनियादी मूल्यों या दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धी और तकनीकी लाभों का बलिदान नहीं होनी चाहिए। हम कंपनियों से उम्मीद करते हैं कि वे अपने व्यवसाय का विस्तार ज़िम्मेदारी के साथ करेंगे, जोखिम का गंभीरता से आकलन करेंगे, और न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बल्कि उसे मज़बूत करने के लिए हमारे साथ काम करेंगे।

बहुत लंबे समय से, चीनी कंपनियों ने चीन में हमारी कंपनियों की उपस्थिति की तुलना में हमारे बाज़ारों में कहीं अधिक पहुंच का लाभ उठाया है। उदाहरण के लिए, चाइना डेली पढ़ने या वीचैट के माध्यम से संवाद करने के इच्छुक ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन द न्यूयॉर्क टाइम्स और ट्विटर चीनी लोगों के लिए निषिद्ध हैं, सिर्फ़ सरकार के लिए काम करने वालों को ही इनके इस्तेमाल की छूट है जो प्रोपेगंडा और दुष्प्रचार फैलाने के लिए इन प्लेटफ़ार्मों का उपयोग करते हैं। चीन में मौजूद अमेरिकी कंपनियों को व्यवस्थित रूप से ज़बरन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए बाध्य किया जाता है, जबकि अमेरिका में चीनी कंपनियों को हमारे क़ानून के शासन के तहत संरक्षण प्राप्त है। चीनी फिल्म निर्माता अमेरिकी सरकार की किसी तरह की सेंसरशिप के बिना अमेरिकी थिएटर मालिकों को अपनी फिल्में खुलकर बेच सकते हैं, लेकिन बीजिंग चीनी बाज़ार में विदेशी फिल्मों की संख्या को सख्ती से सीमित करता है, और जिन्हें अनुमति दी जाती है उन्हें विस्तृत राजनीतिक सेंसरशिप से गुजारा जाता है। अमेरिका में चीनी कंपनियां अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हमारी निष्पक्ष क़ानूनी प्रणाली का उपयोग करने से घबराती नहीं हैं – वास्तव में, वे अक्सर अदालतों में अमेरिका सरकार के खिलाफ़ दावे पेश करती हैं। चीन में मौजूद विदेशी कंपनियां ऐसा नहीं कर सकती हैं।

पारस्परिकता की यह कमी अस्वीकार्य है और यह अव्यवहार्य है।

या गौर कीजिए कि स्टील बाज़ार में क्या हुआ। बीजिंग ने चीनी कंपनियों को बड़े पैमाने पर निवेश का निर्देश दिया, जिसके बाद वैश्विक बाजार में सस्ते स्टील की बाढ़ आ गई। अमेरिकी कंपनियों और अन्य बाज़ारोन्मुख कंपनियों के विपरीत, चीनी कंपनियों को लाभ कमाने की आवश्यकता नहीं है – धन की कमी होने पर उन्हें सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों से उधार की एक और किश्त मिल जाती है। साथ ही, वे प्रदूषण नियंत्रण या अपने कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए ज़्यादा कुछ नहीं करते, और इस कारण भी लागत में कमी आती है। इस नीति के परिणामस्वरूप, चीन अब वैश्विक स्टील उत्पादन के आधे से अधिक के लिए ज़िम्मेदार है, जिसने अमेरिकी कंपनियों – साथ ही साथ भारत, मैक्सिको, इंडोनेशिया, यूरोप और अन्य जगहों के स्टील उत्पादकों को बाज़ार से बाहर कर दिया गया है।

हमने सौर पैनल, इलेक्ट्रिक कार बैटरी जैसे क्षेत्रों में भी यही बिज़नेस मॉडल देखा है – ये 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र हैं जिन्हें हम पूरी तरह से चीन पर निर्भर नहीं होने दे सकते।

इस तरह के आर्थिक जोड़तोड़ के कारण अमेरिकी कामगारों की लाखों नौकरियां चली गई हैं। और चीनी कंपनियों ने दुनिया भर के देशों के श्रमिकों और व्यवसायों को नुक़सान पहुंचाया है। हम सब्सिडी और बाज़ार में प्रवेश में अवरोध जैसी बाज़ार को विकृत करने वाली नीतियों और प्रथाओं का विरोध करेंगे, जिनका चीन की सरकार प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हासिल करने के लिए वर्षों से उपयोग कर रही है। हम औषधि और अहम खनिजों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में दोबारा अन्य देशों से उत्पाद या कच्चा माल लेना शुरू करके सप्लाई चेन की सुरक्षा और दृढ़ता को बढ़ावा देंगे, ताकि हम किसी एक आपूर्तिकर्ता पर निर्भर न रहें। हम आर्थिक ज़ोर-ज़बरदस्ती और डराने-धमकाने वाली कार्रवाइयों के खिलाफ़ अन्य देशों के साथ एकजुटता दिखाएंगे। और हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे कि अमेरिकी कंपनियां ऐसे व्यापार में संलग्न न हों जो बंधुआ मज़दूरी सहित मानवाधिकारों के हनन को सुविधाजनक बनाती हों या उनसे लाभान्वित होती हों।

संक्षेप में, हम अपने पास मौजूद हर साधन की मदद से अमेरिकी कामगारों और उद्योग के लिए लड़ेंगे – और हमें पता है कि कि हमारे सहयोगी देश भी अपने कामगारों के लिए यह लड़ाई लड़ेंगे।

अमेरिका चीन की अर्थव्यवस्था को हमारी या वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग नहीं करना चाहता है – हालांकि बीजिंग, अपनी बयानबाज़ी के बावजूद, चीन को दुनिया पर कम और दुनिया को चीन पर अधिक निर्भर बनाने की कोशिश कर रहा है। जहां तक हमारी बात है, हम व्यापार और निवेश चाहते हैं जब तक कि वे निष्पक्ष हों और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में नहीं डालते हों। अत्यधिक सक्षम श्रमबल सहित चीन के पास अपार आर्थिक संसाधन हैं। हमें विश्वास है कि हमारे कामगार और हमारी कंपनियां समान अवसर मिलने पर सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा करेंगी – और हम इस प्रतियोगिता का स्वागत करते हैं।

इसलिए अनुचित प्रौद्योगिकी और आर्थिक प्रथाओं का ज़िम्मेदारीपूर्वक विरोध करने के साथ-साथ हम अपने हितों और अपने मूल्यों के अनुरूप अमेरिका और चीन को जोड़ने वाले आर्थिक और जनस्तरीय संबंधों को बनाए रखने के लिए काम करेंगे। बीजिंग शायद अपने व्यवहार को बदलने के लिए तैयार नहीं हो। लेकिन अगर वह हमारी और कई अन्य देशों द्वारा व्यक्त चिंताओं को दूर करने के लिए ठोस कार्रवाई करता है, तो हम सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे।

प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में बदले की ज़रूरत नहीं है। हम इसके लिए तत्पर नहीं हैं। हम इससे बचने का प्रयास करेंगे। लेकिन हम किसी भी ख़तरे से अपने हितों की रक्षा करेंगे।

इस संबंध में, राष्ट्रपति बाइडेन ने रक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि वह चीन को बढ़ते ख़तरे के रूप में सामने रखे, ताकि हमारी सेना की बढ़त को सुनिश्चित किया जा सके। हम एक नई परिकल्पना के माध्यम से शांति बनाए रखने की कोशिश करेंगे जिसे हम “एकीकृत निवारक” कहते हैं – यानि सहयोगी देशों और साझेदारों को साथ लाना; पारंपरिक हथियारों, परमाणु, अंतरिक्ष और सूचना के क्षेत्रों में काम करना; अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और कूटनीति में हमारी मज़बूत ताक़त का उपयोग करना।

बाइडेन प्रशासन हमारे सैन्य निवेशों को उन प्लेटफ़ार्मों, जो 20वीं शताब्दी के संघर्षों के लिए डिज़ाइन किए गए थे, से दूर असममित हथियार प्रणालियों की ओर स्थानांतरित कर रहा है जो लंबी दूरी तक मार करती हैं, पता करने की दृष्टि से कठिन हैं, और तैनात करने में आसान हैं। सैन्य अभियानों की संचालन प्रक्रिया हेतु मार्गदर्शन के लिए हम नई अवधारणाएं विकसित कर रहे हैं। और हम अपनी सेना की तैयारियों और वैश्विक तैनातियों में विविधता ला रहे हैं, अपने नेटवर्क, अहम असैन्य बुनियादी ढांचों और अंतरिक्ष-आधारित क्षमताओं को मज़बूत कर रहे हैं। हम इस क्षेत्र में अपने सहयोगी देशों और साझेदारों को उनकी अपनी असममित क्षमताओं के विकास में मदद करेंगे।

हम दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में बीजिंग की आक्रामक और अवैध गतिविधियों का विरोध करना जारी रखेंगे। लगभग छह साल पहले, एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने पाया कि दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के दावों का अंतरराष्ट्रीय क़ानून में कोई आधार नहीं है। हम क्षेत्र के तटीय देशों का उनके समुद्री अधिकारों को बनाए रखने में समर्थन करेंगे। हम नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता, जिसने दशकों से इस क्षेत्र की समृद्धि को सक्षम बनाया है, को बनाए रखने के लिए सहयोगी देशों और साझेदारों के साथ काम करेंगे। और जहां भी अंतरराष्ट्रीय क़ानून अनुमति देता है, हम अपना हवाई और समुद्री आवागमन जारी रखेंगे।

ताइवान पर, हमारा दृष्टिकोण दशकों से और विभिन्न प्रशासनों के दौरान एकरूप रहा है। जैसा कि राष्ट्रपति ने कहा, हमारी नीति नहीं बदली है। अमेरिका अपनी “एक चीन” नीति के लिए प्रतिबद्ध है, जो ताइवान संबंध अधिनियम, तीन संयुक्त विज्ञप्तियों, छह आश्वासनों द्वारा निर्देशित है। हम दोनों ही पक्षों द्वारा यथास्थिति में किसी भी तरह के एकतरफ़ा बदलाव का विरोध करते हैं; हम ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करते हैं; और हम उम्मीद करते हैं कि दोनों पक्षों के मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीकों से सुलझाया जाएगा।

ताइवान जलडमरूमध्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता में हमारा दीर्घकालिक हित है। हम पर्याप्त आत्मरक्षा क्षमता बनाए रखने में ताइवान की सहायता करने के लिए ताइवान संबंध अधिनियम के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं पर क़ायम रहेंगे – और, जैसा कि टीआरए में संकेत दिया गया है, “ताइवान की सुरक्षा या सामाजिक या आर्थिक व्यवस्था को ख़तरे में डालने वाले किसी भी तरह के बल प्रयोग या अन्य प्रकार की ज़ोर-ज़बरदस्ती का विरोध करने की अपनी क्षमता को बनाए रखेंगे।” हमें एक जीवंत लोकतंत्र और क्षेत्र की अग्रणी अर्थव्यवस्था ताइवान के साथ अपने मज़बूत अनौपचारिक संबंध पर गर्व है। हम अपनी “एक चीन” नीति के अनुरूप अपने विभिन्न साझा हितों और मूल्यों को लेकर ताइवान के साथ सहयोग का विस्तार करते रहेंगे, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में ताइवान की सार्थक भागीदारी का समर्थन करेंगे, और अपने आर्थिक संबंधों को प्रगाढ़ करेंगे।

जहां हमारी नीति नहीं बदली है, वहीं बीजिंग की ज़ोर-ज़बरदस्ती का स्वरूप बदल गया है – जैसे, दुनिया भर के देशों के साथ ताइवान के संबंधों को काटने की कोशिश करना और उसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भागीदारी करने से रोकना। और बीजिंग अधिकाधिक उत्तेजक बयानबाज़ी और गतिविधियों में लगा हुआ है, जैसे ताइवान के पास लगभग रोज़ ही पीएलए के विमानों को उड़ाना। इस तरह की बयानबाज़ी और कार्रवाइयां अत्यंत अस्थिरकारी हैं; वे ग़लत अनुमान लगाए जाने का जोखिम और ताइवान जलडमरूमध्य क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता के लिए ख़तरा बढ़ाती हैं। जैसा कि हमने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोगी देशों और साझेदारों के साथ राष्ट्रपति की चर्चाओं में देखा है, इस जलडमरूमध्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में केवल अमेरिका का ही हित नहीं है; यह अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा एवं समृद्धि की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

जैसा कि राष्ट्रपति बाइडेन कहना पसंद करते हैं, अपेक्षित संघर्ष से बदतर केवल एक ही बात हो सकती है, वो है अनपेक्षित संघर्ष। ऐसा होने से रोकने के लिए हम इस संबंध का प्रबंधन ज़िम्मेदारीपूर्वक करेंगे। हमने बीजिंग के साथ संकटकालीन संवाद और जोखिम कम करने के उपायों को प्राथमिकता दी है। और इस मुद्दे पर – और अन्य सभी मुद्दों पर – हम गहन प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ गहन कूटनीति के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।

भले ही हम निवेश, समन्वय और प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, लेकिन जहां हमारे हित मिलते हैं वहां हम बीजिंग के साथ मिलकर काम करेंगे। हम हमें बांटने वाली असहमतियों को उन प्राथमिकताओं पर प्रगति की राह में बाधा नहीं बनने दे सकते जिसके लिए हमें लोगों और दुनिया की भलाई के उद्देश्य से मिलकर काम करने की ज़रूरत है।

इसकी शुरुआत जलवायु से होती है। चीन और अमेरिका के बीच जलवायु के मुद्दे पर वर्षों से गतिरोध था, जिसने दुनिया में गतिरोध क़ायम किया – लेकिन दोनों के बीच प्रगति का दौर भी आया, जिसने दुनिया को प्रेरित किया। चीन और अमेरिका के बीच 2013 में शुरू किए गए जलवायु कूटनीतिक चैनल ने वैश्विक प्रगति को बढ़ावा दिया, जिससे पेरिस समझौता संभव हुआ। पिछले साल कॉप26 में, दुनिया की उम्मीदें उस समय बढ़ गईं जब अमेरिका और चीन ने मीथेन से लेकर कोयले तक के उत्सर्जन से निपटने के लिए मिलकर काम करने हेतु ग्लासगो संयुक्त घोषणा जारी की।

जलवायु विचारधारा का विषय नहीं है। यह गणित की बात है। चीन के नेतृत्व के बिना जलवायु परिवर्तन को हल करने का कोई रास्ता नहीं है, क्योंकि वह वैश्विक उत्सर्जन में 28 प्रतिशत योगदान करने वाला देश है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि चीन अपनी वर्तमान नीति पर क़ायम रहता है और 2030 तक अपने अधिकतम उत्सर्जन सीमा को नहीं छूता है, तो शेष विश्व को 2035 तक नेट ज़ीरो हासिल करना होगा। और यह संभव नहीं है।

आज लगभग 20 देश ही 80 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार हैं। चीन नंबर वन है। दूसरे नंबर पर अमेरिका है। जब तक हम सभी बहुत अधिक और बहुत तीव्र प्रयास नहीं करते, वित्तीय और मानवीय लागत विनाशकारी होगी। दूसरी ओर, स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु नीति पर प्रतिस्पर्धा करने से ऐसे परिणाम मिल सकते हैं जिनसे सभी को लाभ मिलेगा।

इस संकट के सर्वाधिक बुरे परिणामों से बचने में हमारी सफलता के लिए ग्लासगो घोषणापत्र द्वारा स्थापित कार्य समूह के तहत किए जाने वाले प्रयासों सहित अमेरिका और चीन द्वारा मिलकर की जाने वाली प्रगति महत्वपूर्ण है। मैं चीन से इन साझा प्रयासों की गति तेज़ करने में हमारा साथ देने का आग्रह करता हूं।

इसी तरह, कोविड-19 महामारी पर, हमारी नियति परस्पर जुड़ी हुई है। और महामारी की इस नवीनतम लहर का सामना कर रहे चीनी लोगों के साथ हमारी पूरी हमदर्दी है। हम स्वयं कोविड के अत्यंत पीड़ादायक अनुभव से गुजर चुके हैं। इसीलिए हम पूरी दुनिया के टीकाकरण के लिए सभी देशों के मिलकर काम करने की ज़रूरत को लेकर इतने आश्वस्त हैं – अहसान या राजनीतिक रियायतों के बदले में नहीं, बल्कि इस आम तथ्य के कारण कि सबके सुरक्षित नहीं होने तक कोई भी देश सुरक्षित नहीं है। और, सभी देशों को पारदर्शी तरीक़े से नए वेरिएंट और उभरते एवं दोबारा प्रकट होते रोगाणुओं से संबंधित डेटा और नमूने साझा करने चाहिए, और विशेषज्ञों को काम करने देना चाहिए, अगली महामारी को रोकने के लिए, भले ही हम मौजूदा महामारी से जूझ रहे हों।

अप्रसार और शस्त्र नियंत्रण पर, यह हम सभी के हित में है कि हम उन नियमों, मानदंडों और संधियों को बनाए रखें जिन्होंने महाविनाश के हथियारों के प्रसार को सीमित किया है। चीन और अमेरिका को मिलकर, और अन्य देशों के साथ, ईरान और उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रमों से निपटने के लिए काम करते रहना चाहिए। और हम परमाणु शक्तियों के रूप में अपनी विशिष्ट ज़िम्मेदारियों पर सीधे बीजिंग के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हैं।

अवैध और अनुचित नशीले पदार्थों, विशेष रूप से फेंटेनाइल जैसे सिंथेटिक ओपिऑइड्स जिसने पिछले साल 100,000 से अधिक अमेरिकियों की जान ली, से निपटने के लिए हम चीन के साथ काम करना चाहते हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी गिरोहों को संबंधित रसायन हासिल करने से रोका जा सके, जिनमें से कइयों का स्रोत चीन है।

जब दुनिया भर के लोगों पर वैश्विक खाद्य संकट का ख़तरा मंडरा रहा है, हम वैश्विक पहलक़दमी के लिए चीन से उम्मीद करते हैं – एक ऐसा देश जिसने कृषि क्षेत्र में महान उपलब्धियां हासिल की हैं। गत सप्ताह संयुक्तराष्ट्र में अमेरिका ने खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए विदेश मंत्रियों की एक बैठक बुलाई थी। हमने चीन को उसमें भागीदारी के लिए आमंत्रित किया था और हम ऐसा करते रहेंगे।

और जब वैश्विक अर्थव्यवस्था महामारी की तबाही से उबर रही है, तो ऐसे में अमेरिका और चीन के बीच वैश्विक स्तर पर व्यापक आर्थिक समन्वय महत्वपूर्ण हो जाता है – जी20, आईएमएफ़ और अन्य मंचों के माध्यम से, और द्विपक्षीय तौर पर। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए ऐसा करना अत्यावश्यक है।

संक्षेप में, जहां कहीं भी संभव है हम चीन के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ेंगे, अपने या किसी और का पक्ष लेते हुए नहीं, और न ही कभी अपने सिद्धांतों से दूर जाने के बदले में, बल्कि इसलिए कि दुनिया बड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए बड़ी ताक़तों से मिलकर काम करने की उम्मीद करती है, और क्योंकि यह सीधे हमारे हित में है। द्विपक्षीय मतभेदों के कारण किसी भी देश को अस्तित्वगत अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर प्रगति नहीं रोकनी चाहिए।

पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना द्वारा पेश चुनौती का पैमाना और दायरा अमेरिकी कूटनीति के लिए अब तक की सबसे कठिन परीक्षा साबित होने वाला है। मैं विदेश विभाग और अपने राजनयिकों को अपने आधुनिकीकरण एजेंडे के तहत इस चुनौती से निपटने के लिए आवश्यक साधन देने के लिए कटिबद्ध हूं। इसमें एक विभागव्यापी एकीकृत टीम – चाइना हाउस – का गठन शामिल है, जो आवश्यकतानुसार कांग्रेस के साथ काम करते हुए विभिन्न मुद्दों पर और क्षेत्रों में हमारी नीति का समन्वय और कार्यान्वयन करेगी। और यहां मैं बीजिंग में हमारे दूतावास में एक उत्कृष्ट टीम और पूरे चीन में हमारे वाणिज्य दूतावासों का उल्लेख करना चाहूंगा, जिसका नेतृत्व राजदूत निक बर्न्स कर रहे हैं। वे हर दिन असाधारण काम कर रहे हैं, और उनमें से कइयों ने हाल के हफ़्तों में सख़्त कोविड लॉकडाउन के दौरान अपना काम जारी रखा है। विषम परिस्थितियों में भी वे कार्यरत रहे हैं। हम इस शानदार टीम के आभारी हैं।

मैं अमेरिकी कूटनीति की शक्ति और उद्देश्य या इस निर्णायक दशक की चुनौतियों का सामना करने की हमारी क्षमता को लेकर इतना अधिक आश्वस्त कभी नहीं रहा। अमेरिकी जनता से मैं कहूंगा: आइए हम अपनी बुनियादी शक्तियों में, अपने लोगों में, अपने लोकतंत्र में, अपनी नवोन्मेष की भावना में निवेश करने का संकल्प लें। जैसा कि राष्ट्रपति बाइडेन अक्सर कहते हैं, अमेरिका के खिलाफ़ दांव लगाना कभी भी अच्छा साबित नहीं होता। इसलिए आइए हम खुद पर दांव लगाएं और भविष्य के लिए हो रही इस प्रतियोगिता को जीतें।

एक खुले, सुरक्षित और समृद्ध भविष्य के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध दुनिया भर के देशों से कहना चाहूंगा: आइए हमारी साझा प्रगति को संभव बनाने वाले सिद्धांतों को बनाए रखने के साझा उद्देश्य के लिए कार्य करें और प्रत्येक राष्ट्र के अपना भविष्य निर्धारित करने के अधिकार का समर्थन करें। और चीन के लोगों से कहूंगा: हम आत्मविश्वास के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे; जहां भी संभव हुआ हम सहयोग करेंगे; जहां आवश्यक हुआ हम मुक़ाबला करेंगे। हमें संघर्ष की आशंका नहीं दिखती।

ऐसा कोई कारण नहीं है कि हमारे महान राष्ट्र शांतिपूर्वक सहअस्तित्व में नहीं रह सकते हैं, और मानव प्रगति में मिलकर भागीदारी और योगदान नहीं कर सकते हैं। आज मैंने जो कुछ भी कहा है, उसका सार यही है: मानव प्रगति को आगे बढ़ाना, और अपने बच्चों के लिए अधिक शांतिपूर्ण, अधिक समृद्ध और अधिक मुक्त दुनिया छोड़ना।

मेरी बात सुनने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। (तालियां)

अमेरिकी विदेश विभाग
विदेश मंत्री एंटनी जे. ब्लिंकन
जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय
वाशिंगटन डीसी
मई 26, 2022

भाषण का मूल स्रोत

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