Home गेस्ट ब्लॉग भारत-चीन-पाकिस्तान सीमा

भारत-चीन-पाकिस्तान सीमा

2 second read
0
0
558

भारत-चीन-पाकिस्तान सीमा

क्या आपको पता है कि लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर इस वक़्त हमारे कितने फ़ौजी तैनात हैं ? 2 लाख से ज़्यादा. तकरीबन इतने ही ‘उधर’ भी हैं. आप पूछेंगे – ये हो क्या रहा है भाई ? जंग का इरादा है क्या ?

सूत्रों की खबर है कि चीन ने तिब्बत सीमा पर बमरोधी बंकर, नई हवाई पट्टियां, अस्थाई चौकियां और मोबाइल अटैक यूनिट्स बनाने शुरू कर दिए हैं. भारत ने भी हल्के और भारी दोनों तरह के हथियार और साज़ो-सामान जुटा लिए हैं.

बताया जा रहा है कि सेना को किसी भी समय चीन के कब्जे से ज़मीन छीनने के लिए तैयार रहने को कहा गया है. आपके खून में उबाल आया न ? उधर, जम्मू में ड्रोन उड़ रहे हैं. ज़मीन से ठाएं-ठाएं की आवाज़ आती है और तनाव बढ़ जाता है. चैनलों ने पाकिस्तान को कूटना शुरू कर दिया है.

ये अलग बात है कि जब चीन एक साथ 36 हज़ार ड्रोन उड़ाकर दिखा सकता है तो भारत कहां चूक रहा है – इस पर बात कोई नहीं कर रहा. ये सियासी प्रॉक्सी वॉर दोनों देशों के नेताओं की कुर्सी पर पकड़ बनाये रखता है.

बहरहाल, कश्मीर में परिसीमन का मतलब ‘घाटी में हिन्दू राज’ भी है. कौन जाने कल को पुलवामा की तरह यह सब मिलकर एक चुनावी मुद्दा बन जाए ? सच सबको हज़म नहीं होता, पर सच तो सच होता है.

जम्मू में ड्रोन का उड़ना कोई मामूली घटना नहीं है. भारत सरकार की इस मामले पर चुप्पी समझ से परे है. लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद को देखते हुए सरकार ने पाकिस्तान की सरहद से 4 डिवीज़न यानी 60 हज़ार से ज़्यादा जवानों को हटाकर चीनी सीमा पर तैनात किया है.

लद्दाख से लेकर हिमाचल और उत्तराखंड में चीन से लगी सीमा पर 2 लाख सैनिक तैनात हैं. क्या इसका फायदा उठाते हुए पाकिस्तान पश्चिमी मोर्चे पर भी भारत के साथ जंग के खतरे को बनाये रखना चाहता है ?

इन हालात के बरक्स करण थापर ने रणनीतिक विश्लेषक कर्नल अजय शुक्ला से लंबी बात की थी. संक्षेप में कहें तो हां, भारत इस वक़्त दो मोर्चों पर तनाव झेल रहा है. पहले लद्दाख फ्रंट पर 12 और पाकिस्तान सीमा पर 25 डिवीज़न तैनात हुआ करती थीं, अब हुआ असंतुलन चिंता का विषय है.

लेकिन इसका आर्थिक पक्ष कहीं ज़्यादा चिंताजनक है क्योंकि मोदी सरकार देश की इकॉनमी को संभाल नहीं पा रही है. सरकार के आर्थिक स्रोत पहले से ज़्यादा सीमित हैं. पहले बजट का 17% रक्षा मंत्रालय के हिस्से आता था, जो अब घटकर 15% हो गया है. जीडीपी के हिसाब से देखें तो यह 2.1% है.

अब अगर सेना पश्चिमी मोर्चे को मजबूत करने का कदम उठाती है तो उसके आधुनिकीकरण पर दबाव पड़ेगा. देपसांग, हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और गलवान में भले ही चीन थोड़ा पीछे हटा हो, लेकिन उसने करीब 1000 वर्ग किलोमीटर इलाके में भारत की पहुंच को भी रोक दिया है.

मौजूदा हालात में भारत को उत्तरी कमांड से सैनिकों को हटाना मुमकिन नहीं है. इसके अलावा जवानों के लिए ज़रूरी साजो-सामान और खासकर हल्के लड़ाकू टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों को जुटाने में काफी खर्च होना है. पर मोदी सरकार बीते 15 महीने से तस्वीर साफ करने के बजाय पर्दा डालने का काम ज़्यादा कर रही है. मुमकिन है संसद के मानसून सत्र में इस पर कुछ बात हो.

  • सौमित्र राय

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…