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किसी भी सम्मान से बेशकीमती है माओवादी होना

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भारत सरकार माओवाद को देश का सबसे बड़ा खतरा बताती है और उसकी पुलिसिया महकमा माओवादियों को खोज-खोजकर छल कपटकर आये दिन हत्या कर रही है, जेलों में डालकर सड़ा रही है, पुलिस थानों में औरतों के साथ बलात्कार करती है, नृशंस तरीकों से टार्चर करती है. एक आंकड़ें के अनुसार अबतक के 50 सालों में इस पुलिसिया महकमा ने कई लाख माओवादियों और उकसे समर्थकों की हत्या कर चुकी है. इसकी तरह माओवादियों ने भी कई हजार पुलिसिया महकमा के कारिंदों की हत्या कर चुका है. इस वीभत्स हिंसक गतिविधियां यह बताने के लिए पर्याप्त है कि माओवादी और इन पुलिसिया महकमा के बीच सीधा संघर्ष है. एक दूसरे का शत्रु है.

हां, यहां यह जानना समीचीन होगा कि पुलिसिया महकमा अपने जिन कॉरपोरेट घरानों के हितों की हिफाजत में जिन माओवादियों पर क्रूरतम जुल्म ढ़ाता है, उनके शरीर में बिजली का करंट लगाता है, हाथों-पैरों की ऊंगलियों काट देता है, शरीर में सुई चुभोता है, जिन्दा आग में भूनता है, दर्जनों गरीब लोगों की हत्याएं कर शैम्पेन उड़ाते हुए जश्न मनाता है. वहीं माओवादी जब पुलिसिया महकमा के कारिंदों की हत्या करता है तब वह सीधा हत्या करता है, उसे यातना नहीं देता. यहां तक कि उसे थप्पर मारना तो दूर गाली-गलौज तक नहीं करता है, जश्न मनाना तो दूर की कौड़ी है. तब यह सवाल उठ खड़ा होता है कि आखिर ये माओवादी हैं कौन ? और ये पुलिसिया गुंडा उनकी नृशंस हत्यायें क्यों करता है ?

कौन हैं ये माओवादी ?

माओवादियों को जानने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि हम चीन को जाने क्योंकि आधुनिक चीन का निर्माता माओ त्से-तुंग हैं, जिनके सिद्धांतों पर चलकर चीन आज दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बन गया है.

करोड़ों चीनी जब असहाय, बदहवास, गरीबी, पीड़ा, बेकारी जैसी अर्द्ध सामंती देश में रहकर जापानी साम्राज्यवादियों समेत अनेकों साम्राज्यवादियों के खूनी पंजों में दम तोड़ रहा था, तभी माओ त्से-तुंग की अगुवाई में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चीनी जनता को गोलबंद कर न केवल तमाम साम्राज्यवादियों को ही देश से बाहर निकाल फेंका, बल्कि देश के तमाम शोषकों को भी खत्म कर आधुनिक चीन का निर्माण किया.

आधुनिक चीन के निर्माता माओ त्से-तुंग ने चीन के निर्माण के लिए जिस सिद्धांत की स्थापना की, वह सिद्धांत दुनियाभर की मेहनतकश जनता के बीच लोकप्रिय हुई, और माओवाद कहलाया. और जहां कहीं की जनता ने अपने शोषण-जुल्म के खिलाफ माओ के सिद्धांत को अपना आधार बनाया, उन्हें माओवादी कहा गया.

भारत में रह रही यही जनता जो अपने शोषकों के जुल्मोसितम से मुक्ति के लिए माओ के सिद्धांत को आधार बनाकर लड़ाई लड़ रही है, वह माओवादी कहलाये – यानी भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी).

कौन है ये पुलिसिया महकमा ?

ये देश के सामंतों, जमींदारों, धन्नासेठों, कॉरपोरेट घराने के पालतू कारिंदें हैं, जो आम मेहनतकश जनता का धन-दौलत, मेहनत को लूटकर उन शोषकों तक पहुंचाने के तरीकों का रक्षा करता है. ये महकमा कहलाने के लिए तो देश के संविधान के तहत आता है जो देश के गरीबों, असहायों के हितों की रक्षा करता है, परन्तु इसका असली काम देश के गरीबों, असहायों को लूटना, उसकी हत्या करना और उसकी औरतों का अस्मत लूटना है.

चूंकि यह महकमा अमीरों, धन्नासेठों और कॉरपोरेट घरानोंके हितों की रक्षा के लिए है, इसलिए समाज का अमीर तबका भी इसको पैसों से खरीद कर अपना हित साध लेता है और गरीबों, असहायों को लुटने में इस्तेमाल कर लेता है. संक्षेप में कहा जाये तो यह भाड़े का टट्टू है, जिसे मनचाहे पैसों पर खरीद कर अपना हित साधा जाता है और अपने विरोधियों को ठिकाने लगाया जाता है.

पुलिसिया महकमा पर इसका ही एक संस्था, जो न्यायपालिका के तौर पर जाना जाता है, कहता है कि पुलिस संगठित गुंडों का हथियारबंद गिरोह है. तो वहीं इसी की दूसरी संस्था सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य जज एन. वी. रमन्ना का कहना है कि पुलिस का भ्रष्टाचार के कारण इसकी छवि प्रभावित हुई है और लोग पुलिस के पास जाने से कतराने लगे हैं. लोग निराशा के समय पुलिस से संपर्क करने से हिचकिचाते हैं. भ्रष्टाचार, पुलिस ज्यादतियों, निष्पक्षता की कमी और राजनीतिक वर्ग के साथ घनिष्ठता के आरोपों से पुलिस संस्था की छवि खेदजनक रूप से धूमिल होती है.

यहीं कारण है कि लोगों ने पुलिसिया जुल्म के खिलाफ हथियार उठा लियें हैं. उसकी हत्या करने लगे हैं और सबसे सुखद पक्ष तो यह है कि पुलिस की हत्या होने के बाद लोगों में खुशी की लहर छा जाती है. और लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं कि और ज्यादा पुलिस की हत्या हो. चूंकि पुलिस और उसकी सरकार पुलिस की हत्या करने वाले को माओवादी कहती है, तो कई लोगों ने माओवादियों को ही अपना भगवान मान लिया है और उनका सम्मान करने लगे हैं.

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