प्रार्थनायें फलीभूत होती तो
दुनिया में कभी भी कुछ बुरा न होता
सब जगह प्रार्थनाएं तो भरी हुई हैं
प्रार्थनाएं फलीभूत होती तो
न कोई गरीब होता, न कोई बेघर
न कोई दुःख, न कोई इच्छा रहती अधूरी
हम नागदेवता की पूजा करते हैं
कभी सर्पदंश से मृत्यु नहीं हुई होती
सर्प के डर से मुक्त हो गए हो गए होते
हम इंद्र देव की पूजा करते हैं
अकाल न पड़े होते बादल न फटते
अवर्षा के भय से मुक्त हो गए होते
अमन चैन, धन धान्य, निरोगी काया
इन सबकी कामना प्रार्थना में यही होता
यह सब कुछ पर कोई विपत्ति न आई होती
हम प्रार्थना करते रहे पर
उसके बाद भी वह सब कुछ होते रहा
जिस सुरक्षा के लिये हम प्रार्थना करते रहे
पूजा पाठ प्रार्थनाओं आडंबरों से
भरी पड़ी है पूरी दुनिया
घर, आकाश, हवा, पृथ्वी सब कुछ
फिर भी सब कुछ अनिष्ट रूप में है
पूजा पाठ, ध्यान में, कामनाएं, प्रार्थनाएं
व्यवहारिक रूप में फलीभूत नहीं होती हैं
क्योंकि प्रार्थनाओं के पास कोई
वैज्ञानिक आधार नहीं होता है.
- बुद्धिलाल पाल
31.08.2023
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