हिमांशु कुमार
हम सब जानते हैं कि पिछले लम्बे समय से भारत के मध्य भाग में आदिवासी इलाकों में खनिजों की भयानक लूट चालू है. पूंजीपतियों के लिए इस लूट को मुमकिन बनाने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारें इन इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को खौफजदा करके इन इलाकों पर कब्ज़ा करने में लगे हुए हैं. भारत की सबसे ज्यादा तादात में अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियां इन इलाकों में तैनात हैं.
आदिवासी इलाकों में तैनात यह सैन्य बल सरकार की नीति के मुताबिक आदिवासियों की हिम्मत तोड़ने के लिए महिलाओं पर यौन हमले करते हैं. बस्तर में काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी खुद भी शासन की प्रताड़ना अपने शरीर पर झेल चुकी हैं. महिला दिवस के लिए हमने उनसे बातचीत की.
हिमांशु कुमार – सोनी जी महिला दिवस आने वाला है, आप महिला दिवस हर साल मनाती हैं ? पिछले 2-3 साल से हमें भी आपके साथ इस दिन मौजूद रहने का मौका मिला है. आपने एक नाबालिग आदिवासी लड़की जिसके साथ सुरक्षा बलों ने बलात्कार किया और जिसके बाद उसे आत्महत्या करने पर मजबूर किया गया, उसकी यादगार में स्तम्भ बनाया गया था.
पिछले साल आपने आपकी साथी हिडमे जो इस इलाके के आदिवासियों की नेता हैं, जिन्हें अडानी के खिलाफ आन्दोलन करने की वजह से पिछले साल दिसम्बर में गिरफ्तार किया गया और यूएपीए लगा दिया गया है. उनकी रिहाई की मांग को लेकर आन्दोलन किया है. महिला दिवस के मौके पर बस्तर की आदिवासी महिलाओं की क्या हालत है, इस पर देश को हकीकत बताइये.
सोनी सोरी जी – महिला दिवस सारा देश मनाता है लेकिन बस्तर की आदिवासी महिलायें तो आजाद नहीं हैं. पिछले साल मैंने अपनी साथी हिडमे से कहा कि हमें महिला दिवस मनाना है तो वह बहुत खुश हुई और हर तरफ की महिलाओं को खबर दी गई. लेकिन जब महिलाओं के इकठ्ठा होने की खबर मिली तो पुलिस ने चारों तरफ से घेराबंदी कर दी. महिलाओं के कपड़े के भीतर तक तलाशी ली गई. उन पर लाठीचार्ज किया गया.
हम पांच जिलों की महिलाओं ने एक साथ मिलकर महिला दिवस मनाने की बात सोची थी. बीजापुर, दंतेवाडा, सुकमा, बस्तर समेत आसपास के जिलों की महिलाओं ने सोचा था हमारे खुशी और गम बांटने के लिए हम लोग इकठ्ठा आयेंगे, एक रात साथ रुकेंगे, अगले दिन गले मिलकर वापस जायेंगे. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया. हमें तो गम ही गम दुःख ही दुःख दिया गया. हमारी साथी हिडमे को क्रूरतापूर्वक घसीटते हुए जेल में डाल दिया गया. हमारे लिए इस महिला दिवस का यही महत्व है.
हिमांशु कुमार – सोनी जी महिला दिवस पर भारत की महिलायें जश्न मनाएंगी, वहीं बस्तर में महिलायें अगर महिला दिवस मनाना चाहती हैं तो पुलिस उनकी तलाशी लेती है, उन पर लाठीचार्ज करती है. आप देश को बताइये आखिर बस्तर में क्या चल रहा है, यहां की महिलायें किस हालत में हैं, वे क्या झेल रही हैं और यह सब क्यों हो रहा है ?
सोनी सोरी जी – बस्तर के महिला और पुरुष दोनों पर अत्याचार हो रहा है लेकिन महिला को अपने शरीर के अलग तरह का होने के कारण भी अत्याचार झेलना पड़ रहा है. जब फोर्स हमला करती है तो पुरुष तो जान बचाने के लिए जंगल में भाग जाते हैं, नहीं तो उन्हें फर्जी एनकाउंटर बताकर गोली मार देंगे या जेल में डाल देंगे लेकिन महिला अपना घर छोड़ कर नहीं भागती है. आखिर अपना घर तो महिला को ही बचाना है.
फोर्स के लोग अनाज पैसा जेवर लूट लेते हैं या सामान तितर-बितर कर देते हैं. तब महिला को यह पुलिस फोर्स के लोग निवस्त्र करते हैं, सामूहिक बलात्कार करते हैं.
मैंने कई बार गांव की पीड़ित महिलाओं से पूछा कि आप लोग पुलिस फोर्स को देखकर जंगल में क्यों नहीं भागते. महिलायें बताती हैं कि हम बच्चों को लेकर कैसे भाग सकते हैं या हमारे पेट में बच्चा है हम कैसे भागते. पेद्दा गेलूर गांव में चौदह महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ, बलम नेन्द्रा में बलात्कार हुआ, कुन्ना में हुआ.
हिमांशु कुमार – कुन्ना गांव में क्या हुआ था ?
सोनी सोरी जी – कुन्ना में इतनी बड़ी घटना हुई थी. वहां सुबह-सुबह गांव में फोर्स पहुंची. महिलायें अपना कामकाज कर रही थी. फोर्स ने महिलाओं को पकड़ा और उनके कपड़े उतारकर सिर्फ पेटीकोट ब्लाउज में रखकर उनके हाथ पीछे बांध दिए. फिर उन्हें इधर-उधर घुमाते रहे, उन्हें नीचे गिराकर उनके ऊपर बैठने की कोशिश करते थे.
एक महिला जो लकड़ी लेकर आ रही थी, उसका ब्लाउज खोलकर सिपाही ने उसके स्तन को दबाकर दूध निकाला. सिपाही हंस रहे थे. बाद में हमने इस महिला को लेकर दंतेवाडा में प्रेस कांफ्रेंस की. उस महिला ने प्रेस कांफ्रेंस में हिम्मत से अपना वक्ष खोला और बताया कि उसके साथ क्या किया गया. जब उससे पूछा गया कि आपको लाज नहीं आ रही तो उसने कहा कि लाज करूंगी तो मारी जाऊंगी.
गोड्डेलगुडा गांव में दो महिलायें थी. एक महिला का बच्चा पालने में था. वह अपनी सहेली के साथ जंगल से लकडियां लेकर आ रही थी. फोर्स को देखकर ये लोग वापस अपने गांव की तरफ लौटने लगी. फोर्स ने गोली चला दी. एक महिला वहीं घायल होकर गिर गई. दूसरी वाली को भी गोली लगी थी. यह पानी मांग रही थी. गांव की आदिवासी महिलायें जमा होने लगी. फ़ोर्स ने भीड़ बढ़ती देख कर पानी मांगने वाली घायल महिला को पालीथिन के बैग में लपेट दिया और कंधे पर डाल कर पुलिस कैम्प में ले गए.
गांव वाले उस महिला के छह महीने के छोटे से बच्चे को लेकर वहां आये और उन्होंने कहा देखो यह बच्चा भूखा है. हमारे पास बाजार का दूध भी नहीं है. यह कितना रो रहा है. हम पानी इसके होठों से लगाकर इसे चुप करने की कोशिश कर रहे हैं. बस एक बार पॉलीथिन खोलकर इस बच्चे को मां के स्तन से लगा दो लेकिन पुलिस ने नहीं सुना. बहुत बहस के बाद आखिर जब पॉलीथिन खोली गई, तब तक वह मां मर चुकी थी.
समेली गांव की 2021 की घटना है. पालनार में कोई घटना हुई. पुलिस दो आदिवासी लड़कियों को उठाकर ले गई. पूरे गांव के सामने दोपहर दो बजे लेकर गई. पुलिस महिलाओं को जंगल की तरफ खींचकर ले जा रही थी. महिलाओं ने गिड़गिड़ाकर कहा हमें थाने लेकर चलो या पुलिस कैम्प में लेकर जाओ. हमें जंगल में क्यों लेकर जा रहे हो ?
पुलिस उन्हें जंगल में ले गई. लड़कियों के चिल्लाने की आवाजें आती रही. शाम को छह बजे गोलियों की आवाज आई. मीडिया में खबर चला दी गई कि मुठभेड़ में दो महिला माओवादी मार गिराई गई हैं. जबकि वे तो गांव की आदिवासी महिलायें ही थी. जब उनकी डेड बॉड़ी देखी तो उनका बेदर्दी के साथ कत्ल किया गया था. उनकी नाक नहीं थी, आंखें नहीं थीं, बाल नहीं थे, गुप्तांगों को फाड़ डाला गया था.
इस तरह आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार किये जाते हैं. उन्हें गोली से उड़ा दिया जाता है और देशभर में बता दिया जाता है कि ये लोग माओवादी हैं. हमने इन्हें (मुठभेड़ में) मार गिराया. इसकी जांच ही नहीं होती. एफआईआर क्यों नहीं होती ? गिरफ्तार क्यों नहीं होती ? अगर वह माओवादी है तो कोर्ट में मुकदमा चलाओ. आपको किसने अधिकार दिया है इस तरह बलात्कार करने का ?
इसी तरह ताड़बल्ला गांव में हुआ. वहां पांच महिलाओं के साथ बलात्कार करके मार डाला. मरे पास आज भी उनका ब्लाउज और बालों के क्लिप हैं. वे 19-20 साल की छोटी उम्र की लडकियां थी. उन्हें फोर्स ने पकड़ा. गांववालों के सामने ही बलात्कार किया.मैंने पूछा आपने बचाया क्यों नहीं ?
गांववालों ने बताया पूरी फोर्स बंदूकें लेकर सामने खड़ी हो गई. लड़कियों के पांव में गोली मार दी. उनके साथ सिपाही बलात्कार करते रहे. लड़कियां पिताजी बचाओ, मां बचाओ, भैय्या बचाओ चिल्लाती रही. हम कुछ नहीं कर पाए. अंत में फोर्स ने उन्हें गोली मार दी.
जंगल में सबसे ज्यादा महिला ही जाती है. उसे लकड़ी लानी होती है. महुआ पत्ते सब उसे ही लाना होता है. अगर उसके साथ सिपाही बलात्कार करेंगे तो वह कैसे जियेगी ? मेरी साथी हिडमे कहती है दीदी मैं जेल जाने से नहीं डरती, मरने से भी नहीं डरती, मैं बलात्कार से डरती हूं.
बीजापुर जिले के गांव की घटना है. एक महिला जो पेट से थी, गांव में पुलिस फोर्स आई तो सब जान बचाने के लिए जंगल में भागे. मैंने इस महिला से पूछा आप क्यों नहीं भागी. वह बोली मैंने सोचा मुझ गर्भवती महिला के साथ कोई क्या बुरा करेगा इसलिए मैं अपने आंगन में बैठी रही.
सिपाही आये मुझे घर के भीतर ले गए. मेरे साथ दस सिपाहियों ने बलात्कार किया. सिपाहियों ने मेरे कपड़े उतारकर मेरे स्तनों को पकड़कर वीडियो बनाए. पेटीकोट ब्लाउज पहनाकर हाथ पीछे बांधकर पैदल चलाकर पुलिस कैम्प में ले गये. वहां से आधी रात में इसे छोड़े.
वहां मीडिया के लोग, मैं और बेला भाटिया भी गये. उस महिला ने बताया कि देखो पुलिस वाले आये थे और जबरन मुझे 1600 रूपये देकर गये हैं कि तुम्हें दर्द हुआ होगा लो अपना दवा दारू कर लो. उस महिला ने वह रूपये दिखाए.
बीजापुर जिले के पुसनार गांव की एक लड़की को सिपाही घर से उठा कर जंगल में ले गये. उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया. उस लडकी ने लिखित शिकायत कर दी. कुछ महीने बाद इस लड़की की छोटी बहन जो नाबालिग है, वह बीमार हुई और उसे बीजापुर अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहां पुलिस वाले आ गए. उन्होंने कहा यह लड़की हमें सजा करवाना चाहती है और उसे जान से मारने का प्लान बनाया.
लड़की को पता चल गया. उसने कहा वो मेरी बड़ी बहन है, मैं नहीं हूं लेकिन पुलिसवालों ने पीड़िता की छोटी बहन को अस्पताल में ही मार डाला. मैं उस पीड़ित लड़की से मिली. उसने कहा मुझे लगता है अगर मैंने खुद के साथ हुए बलात्कार के खिलाफ आवाज ना उठाई होती तो आज मेरी छोटी बहन जिंदा होती.
सोनिया भास्कर मेरी छात्रा रही थी. 2005 में पुलिस ने उसकी चोटी में रस्सी बांधकर अपने पांव में बांधकर उसे गांव की गलियों में घसीटा था. सोनिया हमारे पास आई और अपने अपने साथ हुए अत्याचार के बारे में हमें बताया. हमने उनका बयान रिकॉर्ड किया और राष्ट्रीय महिला आयोग को दे दिया. कोई कार्यवाही नहीं हुई लेकिन उसके बाद लोग अपनी शिकायतें लेकर हमारे पास आने लगे. मैंने आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार की कितनी ही शिकायतें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट को सौंपी एक में भी न्याय नहीं मिला. इंटरव्यू दंतेवाड़ा में हमारे आश्रम में रिकॉर्ड किया गया था.
इसके बाद सोनी जी ने हमें बहुत सारी घटनाएं बताई हैं जो वीडियो इंटरव्यू में हैं. सोनी जी ने अंत में कहा कि यह सब मैंने भी अपने शरीर पर झेला है. आज बस्तर की महिलायें इस देश से सिर्फ यही मांगती हैं कि मेहरबानी करके हमारे साथ बलात्कार मत कीजिये. सोनी सोरी के सवाल भारत के लोगों से हैं, संविधान से हैं, इस देश के कानून और लोकतंत्र से हैं. देखते हैं कोई भी इन सवालों के जवाब दे पाता है या नहीं ?
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बताइए, आदिवासियों के लिए आपने क्या रास्ता छोड़ा है ?
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