हिमांशु कुमार, प्रसिद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता
बाबा रामदेव ने टीवी चैनल पर इंटरव्यू में वैचारिक आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल किया है. आज हम इस अवधारणा पर विचार करेंगे. क्या विचार भी आतंकवादी हो सकता है ? किस तरह के विचारों को वैचारिक आतंकवाद कहा जा रहा है ? संक्षेप में कहें तो नरेन्द्र मोदी के किसी भी फैसले पर सवाल उठाना वैचारिक आतंकवाद माना जा रहा है.
Live – देश में चल रहे सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं वैचारिक षड्यंत्र के खिलाफ आह्वान, प्रेस वार्ता #PressConference https://t.co/p4s1qHUIRs
— स्वामी रामदेव (@yogrishiramdev) October 17, 2019
आज मजदूरों की पूरी मजदूरी या आठ घंटे से ज्यादा काम लेने की बात करना भी वामपंथी आतंकवाद माना जाता है. आदिवासियों की जमीनों को छीन कर बड़े पूंजीपतियों को देने के लिए आदिवासियों की हत्याएं उन्हें फर्जी मामलों में जेल में डालने, आदिवासी महिलाओं से सुरक्षा बलों द्वारा बलात्कार का विरोध करना भी वैचारिक आतंकवाद माना जाता है और आदिवासियों के मानवाधिकारों की चिंता करने वालों को अर्बन नक्सली कह कर जेलों में डाला जा रहा है. जी. एन. साईबाबा, तथा कई सामाजिक कार्यकर्ता जेलों में डाल दिए गये हैं तथा वे कई सालों से जेल में हैं.
इसके अलावा दलितों द्वारा अपने साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ बोलना भी वैचारिक आतंकवाद माना जाता है. भीमा कोरेगांव में दलितों की रैली से डर कर भाजपा सरकार ने सुधा भारद्वाज समेत अनेकों सामाजिक कार्यकर्ताओं को पिछ्ले एक साल से जेल में डाला हुआ है. छात्रों की सस्ती शिक्षा की मांग करने को भी वैचारिक आतंकवाद माना जाता है. साम्प्रदायिकता का विरोध करना, अल्पसंख्यकों के लिए भी सामान हैसियत की बात कहना संविधान की बात मानने की मांग करना मानवाधिकारों के संरक्षण की मांग करना भी वैचारिक आतंकवाद कहलाता है. सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग, मानवाधिकार आयोग, संसद, पुलिस की पक्षपात कार्यवाहियों पर सवाल उठाना भी वैचारिक आतंकवाद कहलाता है.
वर्तमान सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करना, सरकार की विफलता का विश्लेषण करना, सरकार द्वारा रोजगार को तबाह करने, अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देने नोटबंदी की आलोचना करना भी वैचारिक आतंकवाद माना जाता है. जस्टिस लोया की हत्या, गुजरात के बाबु बजरंगी और माया कोडनानी जैसे ह्त्यारों को जेल से बाहर करने पर सवाल उठाना भी वैचारिक आतंकवाद माना जाता है. मोदी, अमित शाह, भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बजरंग दल की आलोचना वैचारिक आतंकवाद माना जाता है.
इसके अलावा मुसलमानों को गलियां बकना, साम्प्रदायिकता का जहर फैलाना, आरक्षण और बाबा साहब के खिलाफ गन्दी गंदी गालियां पोस्ट करना, बुद्धिजीवियों, प्रगतिशील विचारकों, कवियों, लेखकों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, सस्ती शिक्षा की मांग करने वालों धर्म निरपेक्षता की बात करने वालों को टुकड़े टुकड़े गैंग कहना, उन्हें विदेशी एजेंट गद्दार, मुल्लों की औलाद कहना देशभक्ति मानी जाती है. इस माहौल को बदलने की कोशिश में लगे रहना ही इस वख्त की सबसे बडी देशभक्ति है.
रामदेव ने आदिवासियों व भारत में मूल निवासी के विचार को तथा पेरियार के नास्तिकता के विचार को वैचारिक आतंकवाद कहा है. बाबा रामदेव अपना व्यापार बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को खुश करने के लिए इस तरह के शरारत पूर्ण बयान दे रहे हैं.
भारत के आदिवासी और दलित मूल निवासी हैं हालांकि वह कभी नहीं कहते कि बाकी लोगों को देश से निकाल दो. इसी तरह से पेरियार की नास्तिकता का विचार बहुत ही वैज्ञानिक तर्कपूर्ण और भारत को आगे की ओर ले जाने वाला है. भारत यदि आगे बढ़ेगा तो वह अंधविश्वासों को छोड़कर ही आगे बढ़ सकता है.
भारत या कहीं की भी नौजवान पीढ़ी अगर मंदिर मस्जिद ईश्वर अल्लाह के चक्कर में पड़ेगी तो वह पिछड़ापन जहालत और गरीबी में रहेगी. पेरियार को बिना तर्कपूर्ण ढंग से सामना किए सिर्फ वैचारिक आतंकवादी कहना बाबा रामदेव की धूर्तता चालाकी और मक्कारी है, उसके इस बयान की भरपूर भ्रत्सना होनी चाहिए.
Read Also –
अयोध्या के मंदिर मस्जिद विवाद पर नेहरु की दूरदर्शिता
मुसलमान एक धार्मिक समूह है जबकि हिन्दू एक राजनैतिक शब्द
कायरता और कुशिक्षा के बीच पनपते धार्मिक मूर्ख
मोदी के मॉडल राज्य गुजरात में दलितों की स्थिति
कैसा राष्ट्रवाद ? जो अपने देश के युवाओं को आतंकवादी बनने को प्रेरित करे
मोदी का हिन्दू राष्ट्रवादी विचार इस बार ज्यादा खतरनाक साबित होगा
मनुस्मृति : मनुवादी व्यवस्था यानी गुलामी का घृणित संविधान (धर्मग्रंथ)
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]