औरंगजेब क्रूर शासक था क्योंकि उसने मंदिरों को तोड़ा. ऐसा हम सबों को बताया गया है. परंतु क्यों तोड़ा ? ये कभी नहीं बताता. वर्तमान मोदी-शाह शासक दयालु और दिनदयाला है क्योंकि उसने राम मंदर बनाने का वायदा किया है ? इसने मंदर क्यों बनाने का वायदा किया ? ये कभी नहीं बताता.
सबसे पहले औरंगजेब द्वारा मंदिर तोड़ने के पीछे के कारणों को देखना चाहिए. कई सौ साल पहले विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में भी एक महिला का बलात्कार हुआ था. वो जमाना औरंगजेब का था और उसने मंदिर को जमींदोज कराने का आदेश दे दिया. आज महिलाओं की तो जाने दीजिए, छोटी-छोटी बच्चियों तक के साथ न केवल बलात्कार, सामूहिक बलात्कार ही किया जाता है बल्कि उसकी नृशंस हत्या भी मंदिर में की जा रही है, ये जमाना हिन्दू हृदय सम्राट मोदी और अमित शाह का है. उसने बलात्कारियों को न केवल पुरस्कृत ही किया है बल्कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली पीड़िता को ही जेल में डाल दिया. और दो कदम आगे बढ़कर पीड़िता के समूचे परिवार को ही खत्म कर दिया. और वह अब दुनिया का सबसे विशाल मंदर बनाने पर तुला हुआ है.
दरअसल मंदिर में बलात्कार कोई पहली घटना नहीं है, लेकिन ऐसी बेशर्मी पहली बार हुई है जब शासक वर्ग ही बलात्कारियों को बचाने में लगा हुआ हो. पीड़िता को ही जेल में डाल रहा है. ऐसे में मंदिर में बलात्कार जैसा जघन्य अपराध किए जाने पर बनारस के विश्वनाथ मन्दिर को ढहा देने का आदेश देने वाला औरंगजेब निस्संदेह एक बेमिसाल और महान शासक था.
औरंगजेब बंगाल जाते हुए बनारस के पास से गुजर रहा था, तो उसके काफिले में शामिल हिन्दू राजाओं ने बादशाह से निवेदन किया कि वहांं काफिला एक दिन ठहर जाए तो उनकी रानियां बनारस जा कर गंगा नदी में स्नान कर लेंगी और विश्वनाथ मन्दिर में श्रद्धा सुमन भी अर्पित कर लेगी. औरंगजेब ने तुरंत ही यह निवेदन स्वीकार कर लिया और काफिले के पड़ाव से बनारस तक पांच मील के रास्ते पर फौजी पहरा बैठा दिया.
रानियां पालकियों में सवार होकर गईं और स्नान एवं पूजा के बाद वापस आ गईं, परन्तु एक रानी, कच्छ की महारानी, वापस नहीं आई, तो उनकी तलाश शुरू हुई. काफी तलाशने के बावजूद रानी का पता नहीं चल सका.
जब औरंगजैब को ये मालूम हुआ तो उसे बहुत गुस्सा आया और उसने अपने फौज के बड़े-बड़े अफसरों को रानी की तलाश के लिए भेजा. आखिर में उन अफसरों ने देखा कि मंदिर में गणेश की मूर्ति जो दीवार में जड़ी हुई है, हिलती है। उन्होंने मूर्ति हटवा कर देखा तो तहखाने की सीढी मिली और गुमशुदा रानी उसी में पड़ी रो रही थी. उसकी इज्जत भी लूटी गई थी और उसके आभूषण भी छीन लिए गए थे. यह तहखाना विश्वनाथ की मूर्ति के ठीक नीचे था.
राजाओं ने इस हरकत पर अपनी नाराजगी जताई और क्षोभ प्रकट किया. चूंंकि यह बहुत घिनौना अपराध था, इसलिए उन्होंने कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की. उनकी मांग पर औरंगजेब ने आदेश दिया कि चूंकि पवित्र-स्थल को अपवित्र किया जा चुका है, अतः विश्वनाथ मूर्ति को कहीं और ले जा कर स्थापित कर दिया जाए और मन्दिर को गिरा कर जमीन को बराबर कर दिया जाय और महंत को गिरफ्तार कर लिया जाए.
पट्टाभि सीतारमैया ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘रुद फेदर्स एण्ड द स्टोन्स’ में इस घटना को दस्तावेजों के आधार पर इस प्रमाणित किया है. पटना म्यूजियम के पूर्व क्यूरेटर डॉ. पी. एल. गुप्ता ने भी इस घटना की पुष्टि की है.
केवल मंदिर ढ़ाह देने और मंदिर बना देने भर से कोई क्रूर और महान नहीं बन जाता. मोदी-शाह जैसा धूर्त और हत्यारा महिलाओं के प्रति कितनी नीच भावना रखता है इसका पता सेंगर और चिंमयानंद जैसे मामलों में चल जाता है, वहीं कश्मीर के कठुआ के एक मंदिर में एक छोटी बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार और फिर पत्थरों से कुचलकर नृशंस हत्या कर देने के बाद भी मोदी-शाह के निर्देश पर जिस प्रकार बलात्कारियों और हत्यारों को बचाने के लिए तिरंगा जुलूस निकाला गया, और अब राम मंदर बना रहा है, उसकी तुलना में मंदिर को ढ़ाहने वाला औरंगजेब केवल महान शासक था और स्त्रियों की अस्मत की रक्षा करने के लिए वह सदैव याद किया जायेगा. ठीक उसी तरह बलात्कारियों और हत्यारों की पिपासा की पूर्ति करने के लिए राम मंदर बनाने वाला मोदी-शाह कलंक और बदनुमा धब्बा का प्रतीक बन गया है.
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Brij pratap singh
December 26, 2023 at 12:17 pm
तुम्हारा महान बाप और एक तुच्छ चोर
ROHIT SHARMA
January 3, 2024 at 4:31 pm
आपकी टिप्पणी आपके ब्राह्मणवादी कुसंस्कार का परिचायक है. धन्यवाद !