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अर्द्धनारीश्वर

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अर्द्धनारीश्वर
अर्द्धनारीश्वर

स्त्री व पुरूष,
दोनों ही जन्म से ,
अर्द्ध नारीश्वर होते हैं,

पुरूषों का स्त्रीत्व,
धीरे धीरे कुचला गया.
पुरूषों रोते नहीं,
कहकर उनके अश्रु,
बहने नहीं दिये गए.
पुरूषों को दर्द नहीं होता,
कहकर बनाया गया,
कठोर और संवेदनहीन.
बार बार उनका स्त्रीत्व,
कुचला गया,
वो रोना चाहते थे
कभी कभी,
फूट फूट कर,
पर अंततः उन्हें पुरूष बनना पड़ा…

स्त्रियों का पुरूषत्व,
पल पल कुचला गया,
स्त्रियां ये नहीं करती,
कहकर दबा दी उनकी,
अनगिनत प्रतिभाएं.
स्त्रियां वो नहीं कर सकती,
कहकर बांधी गयी,
उनकी सीमाएं.
बार बार उनका पुरूषत्व
कुचला गया.
वो हंसना चाहती थी,
कभी कभी,
ठठ्ठे मारकर,
पर अंततः उन्हें स्त्री बनना पङा…

  • वंदना ‘शरद’

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ROHIT SHARMA

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