Home कविताएं राजनीति-निरपेक्ष बुद्धिजीवियों से

राजनीति-निरपेक्ष बुद्धिजीवियों से

4 second read
0
0
126
अटो रेने कस्तिय्यो
अटो रेने कस्तिय्यो

एक दिन
मेरे देश के
राजनीति-निरपेक्ष
बुद्धिजीवियों से
पूछेंगे ज़रूर
हमारे ये सीधे-सादे लोग.

उनसे पूछा जायेगा
कि उन्होंने क्या किया
जब उनका देश मर रहा था
एक धीमी मौत,
जैसे मरती है कोई
आंच धीमे-धीमे
निर्बल और असहाय.

उनमें से किसी से भी
नहीं पूछा जायेगा
उनकी पोशाकों और
दोपहर के भोजन के बाद की
उनकी लम्बी सुस्तियों के बारे में,
कोई नहीं जानना चाहेगा
किसी ‘अनर्गल विचार‘ के साथ
उनकी नपुंसक मुठभेड़ों के बारे में,
किसी को भी नहीं होगी परवाह
उनके प्रखर वित्तीय पाण्डित्य की.

कोई भी सवाल नहीं करेगा उनसे
ग्रीक पौराणिक कथाओं के बारे में,
या कि उस आत्म-विरक्ति के ही बारे में
जब उनके भीतर
मरना शुरू किया था किसी ने
एक कायर की मौत !

उनसे पूछा नहीं जायेगा कुछ भी
उन हास्यास्पद स्पष्टीकरणों के बारे में,
उपजते आये थे जो
उनके समग्र जीवन की छाया में.

उस दिन
आयेंगे ही वे सब साधारण लोग

जिनके लिये नहीं थी कभी कोई जगह
राजनीति-निरपेक्ष उन बुद्धिजीवियों की
किताबों और कविताओं में,
पर जिनके लिये रोज़ पहुंचाते आये थे
वे दूध और ब्रेड,
टोर्टिला और अण्डे,
चलायी थी उनकी कार,
देखभाल की थी
उनके कुत्तों और उद्यानों की
उनके लिये श्रम किया था
वे पूछेंगे ज़रूर:

‘तुमने क्या किया था
जब यातना भोग रहे थे गरीब लोग,
कोमलता और जीवन को जब
उनके भीतर से निकाल कर
जलाया जा रहा था ?’

ओ राजनीति-निरपेक्ष बुद्धिजीवियो
मेरे प्यारे देश के,
तुम क़ाबिल ही नहीं होगे
उनके जवाब देने के.

ख़ामोशी का एक गिद्ध
भक्षण करेगा तुम्हारी अंतड़ियों का.

तुम्हारा अपना ही दु:ख
चोट करेगा तुम्हारी आत्मा पर.

और गड़ जाओगे तुम अपनी ही शर्म में देखना.

  • अटो रेने कस्तिय्यो, कवि एवं एक्टिविस्ट, ग्वाटेमाला
    अंग्रेज़ी से अनुवाद व प्रस्तुति- राजेश चन्द्र

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
  • विष्णु नागर की दो कविताएं

    1. अफवाह यह अफवाह है कि नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं अमित शाह गृहमंत्री आरएसएस हि…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

नारेबाज भाजपा के नारे, केवल समस्याओं से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए है !

भाजपा के 2 सबसे बड़े नारे हैं – एक, बटेंगे तो कटेंगे. दूसरा, खुद प्रधानमंत्री का दिय…