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विकेट का एक और पतन

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हमने तो दीर्घायु होने का
आशीर्वाद दिया था
हमें क्या पता था
तुम फांसी लगा लोगे

नाम भगत का लेने से क्या होता है
भगत होने के लिए भगत होना होता है
चाहते तो भगत भी
अपनी पसंद की जिंदगी जी सकते थे
लेकिन, वे वीर सावरकर इतने
समझदार नहीं थे
ख़ालिस जट थे

अच्छा हुआ समय रहते
तुम्हारे बुद्धि के दांत निकल आये
वही चाल, वही चेहरा, वही चरित्र

जब गिरना ही था
तो गिरने को क्या
कीचड़ भरे
उस चभच्चे में भी
गिर सकते थे

और तुम्हारा भी क्या दोष
दोष तो उन विषैले विषाणुओं का है
जो अच्छे से अच्छे फल को
संक्रमित कर देता है

बिना रन बने
खराब पिच पर एक और
विकेट का दयनीय पतन
अंदर तक दुःखी कर देता है

  • राम प्रसाद यादव

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