कैमूर मुक्ति मोर्चा द्वारा 5 फरवरी 2023 को रोहतास जिला के ग्राम- बरकट्टा में राजकली उरांव को न्याय दिलाने और जल-जंगल-जमीन पर अपने हक और अधिकार की लड़ाई को तेज करने के लिए संकल्प जन सभा का आयोजन किया गया, जिसमें कैमूर पठार की सैकड़ों जनता ने भाग लिया. इस संकल्प जन सभा को कैमूर मुक्ति मोर्चा के तरफ से इसके सचिव राजालाल सिंह खरवार, कार्यकारणी सदस्य विनोद शंकर और परीखा सिंह ने संबोधित किया. इसके अलावा इस सभा में डुमरांव पंचायत के मुखियापति रामायण सिंह, नागाटोली के महेश उरांव, राजकली उरांव के परिजन और ग्राम-भवनवा के नेपाली चेरो, ग्राम-गुल्लू के राजेन्द्र उरांव, ग्राम-अधौरा के महेंद्र ठाकुर और ग्राम-रेहल के लक्ष्मण उरांव आदी लोगों ने अपनी बात रखी.
इस संकल्प जन सभा की शुरुआत शहीद राजकली उरांव की याद में दो मिनट का मौन रख कर किया गया. सभा के शुरुआत में राजकली उरांव के परिजन और नगाटोली के लोगो ने राजकली उरांव के साथ हुई इस अमानवीय घटना और अत्यचार को जनता के सामने रखा. उन्होंने बताया कि कैसे वन विभाग के वाचर और सिपाहियों ने उनका हत्या किया और सबूत को मिटाने के लीए लाश को खोह में फेक दिया, ताकि लोगों को लगे कि राजकली अपने से खोह में गिर कर मरी है. अभी भी वन विभाग, पुलिस-प्रशासन के साथ मिलकर दोषियों को बचाने में लगी है. उन्होंने जनता से आह्वान किया कि ये हत्या हमारे वन अधिकार से जुडा हुआ है इसलिए कैमूर पठार पर रहने वाले सभी लोग इस लड़ाई में हमारा साथ दे, तभी हम राजकली के बलात्कारियों और हत्यारों को सज़ा दिला पायेंगे.
इसके बाद साथी विनोद शंकर ने अपनी बात रखते हुए बताया कि अगर आज इस कैमूर पठार पर पांचवी अनुसूची, पेसा कानून-1996 और वन अधिकार अधिनियम 2006 लागू होता तो राजकली उरांव के साथ ये घटना नहीं घटती लेकिन सरकार हमारे इन वन अधिकारों को लागू करना तो दूर उल्टे वन सेंचुरी और अब बाघ अभ्यरण्य को यहां लागू करके हमारे सारे वन अधिकार को खत्म कर दिया है. अब इस कैमूर पठार पर वन विभाग और हम में से कोई एक ही रहेगा.
‘अगर हमें अपने पूर्वजों के तरह ही यहां रहना है, तो हमे भीषण संघर्ष करना होगा. अपने यहां गांव-गांव में ग्राम सभा का गठन कर के पांचवी अनुसूची को खुद लागू करना होगा क्योकिं पूंजीपतियों की सरकार इसे यहां कभी लागू करने वाली नहीं है, जिसमें आदिवासी ग्राम सभा को इतनी ताकत दिया गया है, कि वे अपने गांव में अपना स्वशासन चला सकते है. तभी हम वन विभाग को यहां से भगा सकते हैं और सरकार की जन विरोधी नीतियों से अपने जल-जंगल-जमीन को बचा सकते हैं.
इसके बाद नेपाली चेरो ने अपनी बात रखते हुए जोर देकर कहा कि जिस तरफ दिल्ली में हुए दामिनी के बलात्कारियों और हत्यारों को फांसी की सजा हुई, वैसे ही राजकली उरांव के बलात्कारियों और हत्यारों को भी फांसी की सजा होनी चाहीए. रामायण सिंह ने कहा की आज कहने को तो हमारे देश में लोकतंत्र है लेकिन हकिकत में यहां क्या है ? इसे राजकली के साथ हुई इस अत्यचार ने हमें बता दिया है. उनके साथ ये अत्यचार कोई और नहीं बल्कि पटना और दिल्ली में बैठी इस सरकार ने किया है, तभी तो वो हत्यारों को बचाने में लगी है.
इसके बाद साथी राजालाल सिंह खरवार ने विस्तार से बताया कि इस देश में आज भी कम्पनी राज चल रहा है. आज भी हमें अपने पूर्वज सिधू-कन्हू, बिरसा मुंडा से प्रेरणा लेते हुए उन्ही की तरह संघर्ष करना होगा, तभी हम अपने जल-जंगल-जमीन को बचा सकते है और राजकली को न्याय दिला सकते है. हमे पथलगढी आंदोलन की तरह अपने यहां भी आंदोलन करना होगा. अपने गांव और उसके सीमा में बिना ग्राम सभा के अनुमती के किसी के प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा देना होगा, चाहे वो डीएम हो या सीएम हो या पीएम ही क्यूं न हो. सभी को हमारे ग्राम सभा से अनुमति लेकर हमारे गांव और सीमा में आना होगा, तभी इन लोगों को हमारी ताकत का एहसास होगा और हमारा हक-अधिकार और मान सम्मान सुरक्षित रहेगा.
तस्वीरों में जनसभा
इस सभा की अध्यक्षता कैमूर मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ साथी परिखा सिंह खरवार ने किया और संचालन कैमूर मुक्ति मोर्चा के साथी छेदी सिंह ने किया. इस संकल्प जन सभा में आए हुए सभी जनता ने संकल्प लिया कि अब हम राजकली उरांव जैसी घटना इस कैमूर पठार पर नही होने देंगे और अपने जल-जंगल-जमीन बचाने के लिए संघर्ष का जो भी तरीका अपनाना हो अपनाएंगे. इसकी रक्षा हर हाल में करेंगे.
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