रतन लाल एक बिल्डर के यहां ठेकेदार था. उसका काम मजदूरों से काम कराना, उनकी हाजिरी लगाना और उनकी तनख्वाह बनाना था. रतन लाल अपने बिल्डर मालिक अंजानी परिवार का बहुत खास आदमी था. इतना खास कि जब भी कभी मालिक के यहां कोई पार्टी वगैरह होता तो सारा इंतजाम रतन लाल के जिम्मे ही रहता था और मालिक भी उस पर अटूट विश्वास करते थे. पार्टी में जो कुछ भी खाना बच जाता वह उसे हमेशा रतन को उठा ले जाने को बोलते थे.
रतन काम तो 18-18 घंटे करता था लेकिन उसमें कुछ गलत आदतें भी थी. वह चीजों को बेचने का शौकीन था. तो साहब अंजानी परिवार में जो खाना इत्यादि बच जाता उसे रतन ले जाकर बाहर स्टॉल लगाकर बेच देता था. फ्री के खाने को वह 100 रु. प्लेट में बेच अपनी जेब गरम रखता था. उसकी जिंदगी मशरूम और काजू खाकर अच्छी कट रही थी. दिन में वह चार बार अपने कपड़े बदलता था. कहा जाता है कि उसके सूट-बूट लाखों रुपये के होते थे.
अक्सर वह बिल्डर की साइट से कुछ भी उठाकर बेच आता. मजदूरों की सैलरी बनाते वक्त भी रतन डंडी मार देता था. कभी किसी बहाने से किसी की सैलरी काट लेता तो कभी किसी अन्य बहाने से किसी का भत्ता लेकिन चूंकि सब रतन के कहने पर ही नौकरी पर रखे गए थे तो सब चुप थे.
रतन का एक सुपरवाइजर था, जिसे रतन की पैरवी पर ही मालिक ने नौकरी पर रखा था. पैरवी के समय ही रतन को मालूम था कि सुपरवाइजर की सैलरी ठेकेदार से ज्यादा होगी सो, रतनलाल ने सुपरवाइजर को पहले ही समझा दिया कि ‘तेरी सैलरी 4 लाख होगी लेकिन टैक्स वगैरह कट कर हाथ में 2 लाख ही आएगी. सुपरवाइजर गोविंद वैसे भी नकारा बेरोजगार था इसलिए दो लाख भी उसके लिए बहुत थे. वह तैयार हो गया.
कुछ दिन बाद एक कागज़ सुपरवाइजर के सामने आया जिसमें उसकी तनख्वाह 4 की जगह 5 लाख लिखी थी. साथ में बाइक, रहने की सुविधा और फोन वगैरह की सुविधा शामिल थी. उसने तुरंत अपने एक पत्रकार मित्र को बताया कि सरकार उसकी सैलरी में फालतू टैक्स काट रही है. हल्ला मच गया. नियम के हिसाब से सुपरवाइजर की सैलरी से टैक्स कटना ही नहीं था लेकिन एक अतिमहत्वपूर्ण नियम के हिसाब से सुपरवाइजर को पत्रकार से कुछ भी सच बोलने की मनाही थी.
बस रतनलाल ने हवेली पर बुलाकर गोविंद को बताया कि चंद पैसों के लिए गोविंद ने अपना मुंह खोलकर देश के साथ देशद्रोह किया है. लेकिन चूंकि सुपरवाइजर ठेकेदार से ऊपर होता है इसलिए वह उसे जेल में तो नहीं डाल सकता लेकिन अगली बार सुपरवाइजर बनाने के बारे में सोचकर बताएगा.
नोट : कहानी काल्पनिक है और प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की फोटो सिर्फ ध्यान खींचने के लिए लगाई गई है. इससे अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हों तो मेरे ठेंगे से !!
- राजीव श्रीवास्तव
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