भारत में अंग्रेजों के खिलाफ 1857 ई. में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नाम का एक हथियारबंद विद्रोह हुआ था. यह विद्रोह भारत के सम्पूर्ण इतिहास में पहली बार हुआ था जब तमाम राजाओं ने एकजुट होकर अंग्रेजों पर हमला बोला था. अंग्रजों के खिलाफ हुए इस हमले का कारण क्या था ? अगर अंग्रेज विदेशी ताकतें थी तो मुस्लिम शासकों द्वारा लगातार किये गये हमले क्या थे ? क्या वह विदेशी ताकतें नहीं थी ? अंग्रजों के खिलाफ हुए हथियारबंद विद्रोह का कारण क्या था, इसी सवाल को उकेरने का प्रयास इस आलेख में किया गया है. इस आलेख को डॉ. हिरालाल यादव ने लिखा है, जो पठनीय व सोचनीय है. पाठकों के लिए प्रस्तुत है उनके आलेख, जो यह मानता है कि चूंकि अंग्रेजों ने भारत में व्याप्त अमानवीय वर्ण-व्यवस्था पर अंग्रेजों ने न केवल करारा प्रहार ही किया, बल्कि उसे काफी हद तक तहस-नहस भी कर दिया, यही कारण है कि अमानवीय व क्रूर वर्ण-व्यवस्था के रक्षक ब्राह्मणवादी ताकतों ने अपने छिन रहे स्वर्ग को पुनः प्राप्त करने के लिए एकजुट होकर अंग्रेजों पर हमला किया था, जिसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का भी नाम दिया गया है, जबकि यह अमानवीय व क्रूर ब्राह्मणवादी व्यवस्था को बचाने की लड़ाई थी. यही कारण है कि क्रूर ब्राह्मणवादी पेशवाई राज्य को अंग्रेजी हमले में तहस-नहस कर देने की याद आज भी देश के लाखों दलित-दमित अपना विजय पर्व के रूप में मनाते हैं.]
अंग्रेजों ने भारत पर 150 वर्षों तक राज किया, ब्राह्मणों ने उनको भगाने का हथियारबन्द आंदोलन क्यों चलाया ? जबकि भारत पर सबसे पहले हमला मुस्लिम शासक मीर काशीम ने 712 ई. में किया. उसके बाद महमूद गजनबी, मोहमंद गौरी, चन्गेज खान ने हमला किये और फिर कुतुबदीन एबक, गुलाम वंश, तुगलक वंश, खिलजीवंश, लोदी वंश फिर मुगल आदी वंशों ने भारत पर राज किया और खूब अत्याचार किये लेकिन ब्राह्मण ने कोई क्रांति या आंदोलन नहीं चलाया. फिर अंग्रेजों के खिलाफ़ ही क्यों क्रांति कर दी ? आईये, जानते हैं अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति और आंदोलन की वजह.
1. अंग्रेजो नें 1795 में अधिनयम 11 द्वारा शुद्रों को भी सम्पत्ति रखने का कानून बनाया.
2. 1773 ई. में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने रेगुलेटिंग एक्ट पास किया, जिसमें न्याय व्यवस्था समानता पर आधारित थी. 6 मई, 1775 को इसी कानून द्वारा बंगाल के सामन्त ब्राह्मण नन्द कुमार देव को फांसी हुई थी.
3. 1804 अधिनियम-3 द्वारा कन्या हत्या पर रोक अंग्रेजों ने लगाई (लडकियों के पैदा होते ही तालु में अफीम चिपकाकर, मां के स्तन पर धतूरे का लेप लगाकर एवं गड्ढ़ा बनाकर उसमें दूध डालकर डुबो कर मारा जाता था).
4. 1813 में ब्रिटिश सरकार ने कानून बनाकर शिक्षा ग्रहण करने का सभी जातियों और धर्मों के लोगों को अधिकार दिया.
5. 1813 में अंग्रेजों ने दास-प्रथा का अंत कानून बनाकर किया.
6. 1817 में अंग्रेजों ने समान नागरिक संहिता कानून बनाया (1817 के पहले सजा का प्रावधान वर्ण के आधार पर था. ब्राह्मण को कोई सजा नही होती थी और शुद्र को कठोर दंड दिया जाता था. अंग्रेजों ने सजा का प्रावधान समान कर दिया).
7. 1819 में अधिनियम 7 बनाकर अंग्रेजों ने ब्राह्मणों द्वारा शुद्र स्त्रियों के शुद्धिकरण पर रोक लगाई (शुद्रों की शादी होने पर दुल्हन को अपने यानि दूल्हे के घर न जाकर कम-से-कम तीन रात ब्राह्मण के घर शारीरिक सेवा देनी पड़ती थी).
8. 1830 में नरबलि प्रथा पर रोक (देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मण द्वारा शुद्रों (स्त्री व पुरुष) दोनों को मन्दिर में सिर पटक-पटक कर बलि चढ़ा देता था).
9. 1833 अधिनियम 87 द्वारा सरकारी सेवा में भेदभाव पर रोक अर्थात योग्यता ही सेवा का आधार स्वीकार किया गया तथा कम्पनी के अधीन किसी भारतीय नागरिक को जन्म स्थान, धर्म, जाति या रंग के आधार पर पद से वंचित नहीं रखा जा सकता है).
10. 1834 ई. में पहला भारतीय विधि आयोग का गठन हुआ, कानून बनाने की व्यवस्था जाति, वर्ण, धर्म और क्षेत्र की भावना से ऊपर उठकर करना आयोग का प्रमुख उद्देश्य था.
11. 1835 ई. में अंग्रेजों ने प्रथम पुत्र को गंगा दान पर रोक लगाया (ब्राह्मणों ने नियम बनाया था कि शुद्रों के घर यदि पहला बच्चा लड़का पैदा हो तो उसे गंगा में फेंक देना चाहिये. पहला पुत्र हृष्ट-पुष्ट एवं स्वस्थ पैदा होता है. यह बच्चा ब्राह्मणों से लड़ न पाए इसलिए पैदा होते ही गंगा को दान करवा देते थे).
12. 7 मार्च, 1835 को लार्ड मैकाले ने शिक्षा नीति राज्य का विषय बनाया और उच्च शिक्षा को अंग्रेजी भाषा का माध्यम बनाया गया.
13. 1835 ई. में को कानून बनाकर अंग्रेजों ने शुद्रों को कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिया.
14. दिसम्बर, 1829 के नियम 17 द्वारा विधवाओं को जलाना अवैध घोषित कर सती प्रथा का अंत किया.
15. देवदासी प्रथा पर रोक लगाई क्योंकि ब्राह्मणों के कहने से, शुद्र अपनी लडकियों को मन्दिर की सेवा के लिए दान देते थे. मन्दिर के पुजारी उनका शारीरिक शोषण करते थे. बच्चा पैदा होने पर उसे फेंक देते थे और उस बच्चे को हरिजन नाम देते थे. 1921 को जातिवार जनगणना के आंकड़े के अनुसार अकेले मद्रास में कुल जनसंख्या 4 करोड़ 23 लाख थी जिसमें 2 लाख देवदासियां मन्दिरों में पड़ी थी. यह प्रथा अभी भी दक्षिण भारत के मन्दिरो में चल रही है.
16. 1837 अधिनियम द्वारा ठगी प्रथा का अंत किया.
17. 1849 में कलकत्ता में एक बालिका विद्यालय जे. ई. डी. बेटन ने स्थापित किया.
18. 1854 में अंग्रेजों ने 3 विश्वविद्यालय कलकत्ता, मद्रास और बॉम्बे में स्थापित किये. 1902 में विश्वविद्यालय आयोग नियुक्त किया गया.
19. 6 अक्टूबर, 1860 को अंग्रेजों ने इंडियन पीनल कोड बनाया. लार्ड मैकाले ने सदियों से जकड़े शुद्रों की जंजीरों को काट दिया और भारत में जाति, वर्ण और धर्म के बिना एक समान क्रिमिनल-लॉ लागु किया.
20. 1863 अंग्रेजों ने कानून बनाकर चरक पूजा पर रोक लगा दिया (आलिशान भवन एवं पुल निर्माण पर शुद्रों को पकड़ कर जिन्दा चुनवा दिया जाता था, इस पूजा में मान्यता थी, कि भवन और पुल ज्यादा दिनों तक टिकाऊ रहेगें).
21. 1867 में बहू-विवाह प्रथा पर पुरे देश में प्रतिबन्ध लगाने के उद्देश्य से बंगाल सरकार ने एक कमेटी गठित किया.
22. 1871 में अंग्रेजों ने भारत में जातिवार गणना प्रारम्भ की. यह जनगणना 1941 ई. तक हुई. 1948 ई. में पण्डित नेहरू ने कानून बनाकर जातिवार गणना पर रोक लगा दी.
23. 1872 ई. में सिविल मैरिज एक्ट द्वारा 14 वर्ष से कम आयु की कन्याओं एवं 18 वर्ष से कम आयु के लड़कों का विवाह वर्जित करके बाल विवाह पर रोक लगाई.
24. अंग्रेजों ने महार और चमार रेजिमेंट बनाकर इन जातियों को सेना में भर्ती किया लेकिन 1892 में ब्राह्मणों के दबाव के कारण सेना में अछूतों की भर्ती बन्द हो गयी.
25. रैयत वाणी पद्धति अंग्रेजों ने बनाकर प्रत्येक पंजीकृत भूमिदार को भूमि का स्वामी स्वीकार किया.
26. 1918 में साऊथ बरो कमेटी को भारत में अंग्रेजों ने भेजा. यह कमेटी भारत में सभी जातियों का विधि मण्डल (कानून बनाने की संस्था) में भागीदारी के लिए आया था. शाहू जी महाराज के कहने पर पिछडो़ं के नेता भाष्कर राव जाधव ने एवं अछूतों के नेता डॉ. अम्बेडकर ने अपने लोगों को विधि मण्डल में भागीदारी के लिये मेमोरेंडम दिया.
27. अंग्रेजों ने 1919 ई. में भारत सरकार अधिनियम का गठन किया.
28. 1919 ई. में अंग्रेजों ने ब्राह्मणों के जज बनने पर रोक लगा दी थी और कहा था कि इनके अंदर न्यायिक चरित्र नहीं होता है.
29. 25 दिसम्बर, 1927 ई. को डॉ. अम्बेडकर द्वारा मनुस्मृति का दहन किया. मनुस्मृति में शूद्रों और महिलाओं को गुलाम तथा भोग की वस्तु समझा जाता था,एक पुरूष को अनगिनत शादियां करने का धार्मिक अधिकार था, महिला अधिकार विहीन तथा दासी की स्थिति में थी. एक-एक औरत के अनगिनत सौतनें हुआ करती थी. औरतों-शूद्रों को सिर्फ और सिर्फ गुलामी लिखा है, जिसको राक्षस मनु ने धर्म का नाम दिया है.
30. 1 मार्च, 1930 ई. को डॉ. अम्बेडकर द्वारा काला राम मन्दिर (नासिक) प्रवेश का आंदोलन चलाया.
31. 1927 ई. को अंग्रेजों ने कानून बनाकर शुद्रों के सार्वजनिक स्थानों पर जाने का अधिकार दिया.
32. नवम्बर, 1927 में साइमन कमीशन की नियुक्ति की। जो 1928 में भारत के अछूत लोगों की स्तिथि की सर्वे करने और उनको अतिरिक्त अधिकार देने के लिए आया. भारत के लोगों को अंग्रेज अधिकार न दे सके इसलिए इस कमीशन के भारत पहुंचते ही गांधी और लाला लाजपत रॉय ने इस कमीशन के विरोध में बहुत बड़ा आंदोलन चलाया, जिस कारण साइमन कमीशन अधूरी रिपोर्ट लेकर वापस चला गया. इस पर अंतिम फैसले के लिए, अंग्रेजों ने भारतीय प्रतिनिधियों को 12 नवम्बर, 1930 को लन्दन गोलमेज सम्मेलन में बुलाया.
33. 24 सितम्बर, 1932 को अंग्रेजों ने कम्युनल अवार्ड घोषित किया, जिसमें प्रमुख अधिकार निम्न दिए –
क. वयस्क मताधिकार
ख. विधान मण्डलों और संघीय सरकार में जनसंख्या के अनुपात में अछूतों को आरक्षण का अधिकार
ग. सिक्ख, ईसाई और मुसलमानों की तरह अछूतों (ैब्/ैज् ) को भी स्वतन्त्र निर्वाचन के क्षेत्र का अधिकार मिला. जिन क्षेत्रों में अछूत प्रतिनिधि खड़े होंगे उनका चुनाव केवल अछूत ही करेगें.
घ. प्रतिनिधियों को चुनने के लिए दो बार वोट का अधिकार मिला, जिसमें एक बार सिर्फ अपने प्रतिनिधियों को वोट देंगे और दूसरी बार सामान्य प्रतिनिधियों को वोट देंगे.
34. 19 मार्च, 1928 को बेगारी प्रथा के विरुद्ध डॉ. अम्बेडकर ने मुम्बई विधान परिषद में आवाज उठाई, जिसके बाद अंग्रेजों ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया.
35. अंग्रेजों ने 1 जुलाई, 1942 से लेकर 10 सितम्बर, 1946 तक डॉ. अम्बेडकर को वायसराय की कार्य साधक कौंसिल में लेबर मेंबर बनाया. लेबरों को डॉ. अम्बेडकर ने 8.3 प्रतिशत आरक्षण दिलवाया.
36. 1937 में अंग्रेजों ने भारत में प्रोविंशियल गवर्नमेंट का चुनाव करवाया.
37. 1942 में अंग्रेजों से डॉ. अम्बेडकर ने 50 हजार हेक्टेयर भूमि को अछूतों एवं पिछडो़ं में बांट देने के लिए अपील किया. अंग्रेजों ने 20 वर्षों की समय सीमा तय किया था.
38. अंग्रेजों ने शासन-प्रशासन में ब्राह्मणों की भागीदारी को 100% से 2.5% पर लाकर खड़ा कर दिया था.
इन्ही सब वजह से ब्राह्मणों ने अंग्रेजों के खिलाफ़ क्रांति शुरू कर दी क्योंकि अंग्रेजों ने शुद्रों और महिलाओं को सारे हक अधिकार दे दिये थे और सब जातियों के लोगों को एक समान अधिकार देकर, सबको बराबरी में लाकर खडा किया.
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