मैं अंधभक्तों की आंख तो नहीं खोल सकता लेकिन चाहता हूंं कि वे थोड़ी तर्क शक्ति का इस्तेमाल कर नीचे लिखी हुई बातों पर ध्यान दें और राष्ट्र हित के लिए अपने विवेक का इस्तेमाल करेंः
(1) डिजिटल इंडिया का अगुवा रिलायंस – जियो बना, जबकि मौका सरकारी कंपनी बीएसएनएल / एमटीएनएल को दिया जाना चाहिए था।
(2) कैशलेस इकोनॉमी का अवतार भारतीय एनपीसीआई के “रुपए” को बनना चाहिए था लेकिन बाज़ी सीधे-सीधे पे-टीएम के हाथ लगने दी गई.
(3) फ्रांस के रॉफेल फ़ाइटर जेट का भारतीय पार्टनर सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एरोनौटिक्स लिमिटेड को होना चाहिए था लेकिन ऑर्डर मिला रिलायंस – “पिपावा डिफेंस” को.
(4) भारतीय रेल को डीज़ल सप्लाई का ठेका सरकारी उपक्रम इंडियन ऑयल कार्पोरेशन से छीन कर रिलायंस पेट्रोकेमिकल्स को दे दिया गया है.
(5) ऑस्ट्रेलिया के खदानों के टेंडर में सरकार चाहती तो एमएमटीसी की बैंक गारंटी एसबीआई के जरिये दे सकती थी लेकिन मिला अडानी ग्रुप को.
(6) सरदार पटेल की मूर्ति भारत में बन सकती थी पर आर्डर चीन को दिया गया.
(7) रेलवे के सबसे विकसित स्टेशन जानबूझ कर प्राइवेट कंपनियों को बेचे जा रहे हैं.
(8) सरकारी संस्थानों को जान-बूझकर प्राइवेट कंपनियों का पिछलग्गू बनाकर किसे फ़ायदा पहुंंचाया जा रहा है..?
(9) जानबूझ कर घाटा दिखा कर एयरइंडिया को निजी हाथों में बेचने की तैयारी हो रही है.
(10) अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में क्रूड के दाम तिहाई हो जाने के बावजूद अगर आप डीज़ल-पेट्रोल 2013 के भाव में (तिगुने भाव) बेचेंगे तो आपके उद्योगों को नुकसान होना ही है, क्योंकि उत्पादों की उत्पादन और परिवहन लागत बढ़ जाती है, ऐसे में वे चीन और दूसरे देशों के उत्पादों का मुकाबला कैसे कर सकेंगे..? आज अगर छोटे-छोटे उद्योग बंद और बड़े उद्योग अगर NPA हो रहे हैं तो हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
(11) FDI, आधार, GST आदि को जबरन लागू कर अपने वादे से पलट जाना.
(12) सरकारी नौकरी में खाली जगह होते हुए भी भर्ती न करना, ज्यादा से ज्यादा सरकारी नौकरियों में ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा देना, किसान-मजदूर को बर्बाद करने के लिए कृषि उत्पादन का निर्यात न कर उल्टा चीनी, दलहन आदि खाद्यान्नोंं का अपने चहेते दलालों के द्वारा आयात कराना.
(13) सरकारी संस्थाओं में निजीकरण को बढ़ावा देना जैसे कि स्कूल, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बैकिंग आदि में गिने-चुने पूंंजीपतियों को फायदा पहुंंचाना. रिजल्ट आपके सामने आ रहा है और भी बहुत सारे ऐसे फैसले लिए गये जिससे आम जनता और देश बर्बादी के कगार पर है.
देश-प्रेम और किसी व्यक्ति-विशेष का चारित्रिक पूजन करने में ज़मीन-आसमान का फ़र्क़ है. इस फ़र्क़ को समझना ज़रूरी है और वास्तविकता के धरातल में रहना उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है.
अंधभक्ति और जी-हुज़ूरी करना इसलिए भी ग़लत होता है क्योंकि वो आपसे आपका सवाल पूछने का अधिकार हक छीन लेता है.
– सोशल मीडिया से साभार
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