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‘अमृतकाल’ घोषणा हो चुकी है, इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है !

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'अमृतकाल' घोषणा हो चुकी है, इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है !
‘अमृतकाल’ घोषणा हो चुकी है, इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है !
हेमन्त मालवीय

पहले कहीं से अचानक ज्ञानवापी शिवलिंग फव्वारा मुद्दा शुरू कर दिया जाता है ? क्यों ? अब तक ये वजह किसी को पता नहीं है. सोशल मीडिया पर जमकर बहस कराई जाती है, मीम जारी किए जाते हैं. पूरी स्क्रिप्ट को समझते जाइये. शिव हमारे आराध्य हैं, शिवलिंग का मजाक उड़ाने पे हिन्दू बहुत आहत महसूस करते हैं, आग लग रही है. बवाल होने में जरा-सी कहासुनी होने की देर है. इस सब पर वाट्सप पर हमारा ग्रुप भी आपस में लड़ रहा है !

इसी बीच में कहीं से मोहन भागवत जी आगे आकर मामला ठंडा कराते हैं. ‘हर मस्जिद में शिवलिंग’ न तलाशने कहते हैं और ज्ञानवापी मामला विलीन होने दिया जाता है !

अब सीन क्रमांक-दो

नूपर शर्मा का एक टीवी डिबेट ‘एक ऐसी बहस जो लाइव नहीं थी, उसमें एक आग लगाने वाला बयान देती है. नुपर की जिस डिबेट को प्रसारण के पूर्व ही रोका जा सकता था, बेरोकटोक सोशल मीडिया पर चलाया गया, मगर चार दिन तक कोई बवाल नहीं. फिर कहानी में जुबेर की एंट्री. जुबेर यानी आल्ट न्यूज सच्चाई का सिपाही जो पूरे बयान को अरबी भाषा में ट्रांसलेट कर मुस्लिम दुनिया को भारत के खिलाफ भड़काता है.

खबरें आती है मुस्लिम मुल्क बहुत नाराज हैं. भारतीय मजदूरों को कतर कुवैत से निकाल दिया गया है. इसके बाद जैसे भारत में उधर से इशारा मिलने की देर हो, हफ्ते भर में जुम्मे की नमाज के बाद 16 राज्यों में हर मस्जिद से निकल के मुसलमानों ने बवाल किया. खबर आती है. उसी दिन NDTV बताता है, ‘उपद्रव तो 8 ही स्थानों में हुआ है.’

यानी अब मुसलमान की भावनाओं को आहत करो, करवाओ, इधर बुलडोजर को तेल पानी डाला जा रहा हैं. मुस्लिम समुदाय में नारे चलते हैं – गुस्ताख नबी की एक सजा सर तन से जुदा सर तन से जुदा. नतीजतन बुलडोजर गरजता है. स्पष्ट तौर पर सेकुलर समुदाय को मात दी जाती है. कहीं से 4 दिन के लिए बीच में अग्निवीर निकल आते हैं.

एक पैटर्न हैं ! एक कथानक है ! जो साफ-साफ दिखाई दे रहा है. अगर आप हालिया घटनाओं को अपराध शास्त्र की नजर से देखे, कौटिल्य शास्त्र के कुटिल षडयंत्रकारी राजनीति को जाने, किस तरह से देश की भावनाओं से खेल खेला जा रहा है. क्यों वर्तमान चाणक्य ने कल कहा ‘हमें 40 साल तक हटाया नहीं जा सकता.’

अचानक से 24 जून को केरल में माकपा के कथित विंग SFI द्वारा राहुल गांधी के वायनाद ऑफिस पर बेवजह से मुद्दे पे तोड़-फोड़ करवाई जाती है जबकि माकपा ने ही यह सुरक्षित सीट राहुल गांधी को ऑफर की थी. यानी वही फुट डालो की चाणक्य नीति !

उसके बाद घटनाक्रम तेजी से चलता है. 28 जून को उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड, 30 जून को राहुल का तीन दिवसीय दौरे पर 1 जुलाई को बयान. पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्न पर राहुल का केरल के ‘मेरे ऑफिस में तोड़फोड़ करने वाले बच्चे हैं’ वाला जवाब. बाद में उस बयान को ZTv के नए नवेले एंकर द्वारा उदयपुर के हत्यारों के सम्बंध में जोड़ कर पूरे सोशल मीडिया पे चलाना.

कन्हैया के हत्यारों का बड़े-बड़े डिजाइनर खंजरों सहित वीडियो, उसके पूर्व के भी उनके प्रधानमंत्री को धमकी के वीडियो, उन वीडियो पे इतने दिन राज्य के ही नहीं नेशनल इंटेलिजेंस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करना, बाद में हत्यारों द्वारा सीधे साधे दर्जी की हत्या.

यहां महत्वपूर्ण था हत्या की खबर आते ही केंद्र द्वारा सीधे NIA को भेजने की बात ! मगर हत्यारे NIA हाथ लगते उस के पहले ही, हत्याकांड के 1 घण्टे के भीतर ही हत्यारों की राजस्थान पुलिस द्वारा गिरफ्तारी.

गिरफ्तार होते ही राजस्थान पुलिस के द्वारा हत्यारों के पाकिस्तान कनेक्शन सामने लाने का खुलासा. अगली सुबह तक हत्यारे रियाज के भाजपा के केंद्रीय मंत्री गुलाब चंद कटारी के साथ-साथ अन्य भाजपा के कार्यक्रमों में फोटो, हत्यारे की संघ के मुस्लिम जागरण मंच से जुड़े होने की खबरें.

यहा मानना पड़ेगा राजस्थान के CM गहलोत द्वारा जो शार्प डेमेज कंट्रोल किया गया है, वह काबिले तारीफ है. जहां राजस्थान में इंटरनेट बन्द कर हिंसा का वीडियो फैलने से रोका गया, वहीं यह हत्या का वीडियो देश भर में खुलकर परोसा गया. कुल मिलाकर जो पूरा घटनाक्रम कांग्रेस को लपेटे में लेने के काम आ रहा था, वह षडयंत्रकारी चाल बीजेपी के चाणक्य को गहलोत ने अपनी तीक्ष्ण बुद्धि की जादूगरी दिखा कर उलट के दिखा दी !

इस सब के दरमियान महाराष्ट्र की सरकार गिरा दी जाती है और हमको बताया जाता है यहां भी नूपर के समर्थन में पोस्ट करने पर कोल्हे हत्याकांड सम्प्पन किया जा चुका है. अब कल अचानक भक्तों को सदमा देते हुए मोदीजी हैदराबाद में जाकर बयान देते हैं कि ‘भाजपा मुस्लिम समुदाय में विश्वास जगाने को देश भर में स्नेहयात्राएं निकालेगी.’ याद रखियेगा संघ के पास ऑलरेडी एक मुस्लिम जागरण मंच भी है !

तो क्या स्नेह यात्री उत्तर नारे लगा सकते हैं ?

ए नबी के बन्दे … हमें धड़ से लगा !

ए नबी के बन्दे … हमें तन से लगा !!

ए नबी के बन्दे … हमें मन से लगा !! ?

1990 से आज तक और इन 8 सालों की हफ्ता दर हफ्ता घटने वाली किसी भी भड़काऊ घटना की टाइमिंग के बारे में देशवासियों को विशेष रूप से सोचना, समझना और विश्लेषण करना चाहिए क्योंकि ‘अमृतकाल’ घोषणा हो चुकी है. इस दौरान पूरे देश के हर धर्म के व्यक्ति को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है !

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ROHIT SHARMA

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