राम अयोध्या सिंह
भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार के किशनगंज में स्पष्ट कहा कि जब तक केन्द्र में मोदी जी की सरकार है, बिहार के संघियों और भाजपाईयों को किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है. इसके साथ ही अमित शाह ने सांप्रदायिक समीकरण और ध्रुवीकरण के लिए हर चाल चलने की कोशिश की. शायद अपनी इसी रणनीति के तहत उन्होंने बिहार में सीबीआई, ईडी और अन्य केन्द्रीय जांच एजेंसियों को अपनी कार्रवाई तेज करने का हुक्म भी दिया है.
नीतीश कुमार की धोखेबाज और लालू प्रसाद यादव के जंगलराज की याद दिलाते हुए उन्होंने बिहार के लोगों को उनसे सावधान रहने की भी अपील की है. अपने भाषण में उन्होंने कोई भी सकारात्मक पहलकदमी की बात नहीं की. स्पष्ट है कि उनके पास सकारात्मक कुछ है भी नहीं, न कहने को और न करने को.
मोदी जी का अभयदान मिलने की बात कहकर उन्होंने यह भी सच साबित कर दिया है कि बिहार में संघ और भाजपा के सदस्यों को तब तक डरने की कोई बात नहीं है, जब तक मोदी जी हैं. यह उन्हें इस बात के लिए उकसाने की पहल है कि वे अपनी मर्जी में जो भी आए करने के लिए स्वतंत्र हैं, डरने की कोई बात नहीं है. क्या सचमुच ही ऐसा वक्तव्य किसी देश के गृहमंत्री का हो सकता है ? इतने बड़े पद पर बैठा आदमी इतना नीचे गिर भी सकता है, यह भी साबित हो गया.
अमित शाह जी, आपको तो सबसे पहले अपने ऐसे वक्तव्यों पर शर्म आनी चाहिए थी, लेकिन क्या कीजिएगा, आप लोग तो इन सबसे परे हैं. आप बोलने और करने के लिए स्वतंत्र हैं. जब आपके पास संवैधानिक और गैर संवैधानिक सारी शक्तियां, कानून, केन्द्रीय एजेंसियां, देश की सारी पूंजी, अपराधी, भ्रष्टाचारी, धार्मिक संतों, महंतों और शंकराचार्यो की भीड़, पुलिस, अर्द्धसैनिक बल तथा सेना की ताकत भी आपके पास है तो फिर यह संभव कहां है कि कोई आपका विरोध करेगा ? आप जब जिसे चाहें जेल में डलवा सकते हैं. फिर किस बात की चिंता ?
नहीं शाह जी, आपको चिंता है और वास्तविक चिंता है. आपको चिंता है कि आम जनता आपकी और मोदी सरकार की सारी कारगुजारियों को जान गई है. जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है. लोग आपसे नाराज ही नहीं, घृणा भी करने लगे हैं, नहीं तो पुर्णिया और किशनगंज में भीड़ जुटाने के लिए जितनी मेहनत आपकी पार्टी ने किया, उसके अनुपात में तो भीड़ नगण्य थी.
बार-बार जिंदाबाद का नारा लगाने के लिए भीड़ को कहना ही यह साबित करता है कि जनता आपसे उब चुकी है और मुंह भी मोड़ रही है. जनता को यह बखूबी पता है कि आपके पास उन्हें देने के लिए सिर्फ सांप्रदायिक तनाव और दंगे ही हैं. वे यह भी जान गए हैं कि सांप्रदायिक तनाव और दंगों से उनके जीवन की किसी भी समस्या का समाधान होने वाला नहीं है.
उन्हें चाहिए शिक्षा, उन्हें चाहिए स्वास्थ्य सेवा, उन्हें चाहिए रोजगार, उन्हें चाहिए भूख से निजात के लिए रोटी, धूप, शीत और बरसात से बचने के लिए छत, उन्हें चाहिए शांति, समृद्धि और विकास. और, आप यह सब उन्हें दे नहीं सकते. आपके पास जातीय समीकरण, धार्मिक उन्माद, हिन्दू और मुसलमान, भारत और पाकिस्तान, कश्मीर और केरल करने के सिवा और है ही क्या ? सत्ता और पूंजी के घोड़े पर सवार आप देश को रौंद रहे हैं, और जनता अभी चुपचाप यह दृश्य देख रही है. समय आने पर सारा हिसाब होगा. जनता भी कमर कस चुकी है.
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